फिर से शून्य पर पहुंचा ‘सन ऑफ मल्लाह’, इश्तहार देकर मारी थी राजनीति में एंट्री

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार की राजनीति में पिछले दो साल में अगर किसी नेता की सबसे ज्यादा चर्चा रही तो वह मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) की हुई है. बिहार में कोई बड़ा राजनीतिक हैसियत नहीं रहने के बावजूद वो सुर्खियों में रहे. मायानगरी में मुकाम बनाने वाले सहनी ने बिहार की राजनीति में सबकुछ पाकर खो दिया है और एक बार फिर वह यहां शून्य पर आ गए हैं
बिहार की राजनीति (Bihar politics) में मुकेश सहनी की एंट्री धमाकेदार हुई थी. कुछ साल पहले अखबारों में इश्तहार देकर राजनीति में प्रवेश करने वाले मुकेश सहनी की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.
19 साल की उम्र में दरभंगा के सुपौल बाजार से मायानगरी मुंबई पहुंचे सहनी ने वहा कॉस्मेटिक शॉप में सेल्समैन का काम. वहां 30 रुपए रोज की मजदूरी की. इसके बाद सहनी बॉलीवुड में सेट डिजाइन करने वाले के साथ हो लिए. और फिर यहां से सहनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और धीरे-धीरे बॉलीवुड में सेट डिजाइनर बन गए.
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नितिन देसाई की फिल्म देवदास के लिए उन्होंने सेट डिजाइन किया तब मुंबई के चर्चिच सेट डिजाइनर में उनकी गिनती होने लगी. मुंबई से सेट डिजाइन का काम बढ़ने के बाद वह साउथ की सिनेमा में भी सक्रिय हो गए. देवदास के साथ उन्होंने कई और फेमस फिल्मों का सेट निर्माण किया, मुकेश सहनी ने मुकेश सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड नाम से अपनी कंपनी भी बना ली और यहां उन्होंने खूब दौलत शोहरत कमाई.
अखबार में इश्तहार देकर राजनीति में एंट्री
इसके बाद सहनी ने बिहार की राजनीति की तरफ रुख किया. यहां उन्होंने सक्रिय होने से पहले बकायदा अखबारों में अपने आने का इश्तहार दिया और फिर बिहार की राजनीति में एंट्री मारी. सहनी ने खुद को बिहार में सन ऑफ मल्लाह के तौर पर प्रोजेक्ट किया. कहा जाता है कि बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने के लिए उन्होंने खूब पैसे खर्च किए. इसके बाद मुकेश सहनी सोशल मीडिया और बिहार की जनता के बीच ‘सन ऑफ मल्लाह’ के रूप में पहचान होने लगी.
2014 में नरेंद्र मोदी के लिए मांगा था वोट
बिहार की राजनीति के सुरुआती दिनों में सहनी ने बीजेपी का साथ दिया और 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार भी किया. लेकिन यहां कुछ ज्यादा स्कोप नहीं नजर आने के बाद सहनी ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और 2018 में अपनी खुद की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी यानि VIP बना ली.
2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने महागंठबंधन के साथ लड़ा, महागठबंधन ने उन्हें खगड़िया लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन वह यहां बुरी तरह चुनाव हार गए, मुकेश सहनी खगडिय़ा में तात्कालीन LJP के चौधरी महबूब अली कैसर के हाथों ढाई लाख से ज्यादा वोटों से हार गए. आरजेडी की पूरी फौज उस चुनाव में सहनी के पीछे खड़ी थी इसके बावजूद उन्हें ढाई लाख से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा
फिर बीजेपी के साथ आए सहनी
इसके बाद 2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीटें नहीं दी तो बीजेपी ने मुकेश सहनी की पार्टी को NDA से 11 सीटें दी. बीजेपी ने तब VIP को अपने कोटे से 11 सीटें दी थी. इसमें 4 सीटों पर सहनी की पार्टी ने जीत दर्ज की थी. सहनी खुद सिमरी बख्तियारपुर से हार गए लेकिन NDA की तरफ से उन्हें मंत्री बनाया गया.
इसके बावजूद सहनी बीजेपी के खिलाफ तेवर दिखाते रहे. यूपी चुनाव में तो उन्होंने बीजेपी को हराने का एकमेव लक्ष्य भी बना लिया. इसके साथ ही एनडीए में रहकर वह लालू प्रसाद का भी गुणगान करते रहे जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें एक बार राजनीति में फिर अर्श से फर्श लाकर खड़ा कर दिया है.
(इनपुट-न्यूज)