……..तो सीएम नीतीश झूठ भी बोलते हैं !
पटना (वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)|राजद जैसी भ्रष्ट पार्टी के साथ सरकार बनाने के बाद क्या सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) वैसे ही सत्यवादी हो गए जैसे भाजपा (BJP) ज्वाइन करते ही दागियों के दाग धुल जाते हैं ?
देश भर में यह बात संगठित तरीके से प्रचारित की जाती है कि भाजपा में शामिल होते ही भ्रष्टाचारी शुद्ध हो जाते हैं. इसलिए उनके यहां रेड नहीं डाला जाता.
यदि यह सच है तब भाजपा, भ्रष्टाचारियों की पार्टी मानी जानी चाहिए थी. ऐसा आरोप किसी भी राजनीतिक दल ने अभी तक भाजपा पर नहीं लगाया…..क्यों ?
लेकिन भाजपा ने खुले तौर पर बिहार मे महागठबंधन की सरकार मे शामिल भ्रष्ट मंत्रियों का जिक्र किया है. इस वजह से ही पहले कानून और फिर गन्ना मंत्री कार्तिकेय सिंह को इस्तीफा देना पड़ा.
सुधाकर सिंह (कृषि मंत्री) और सुरेन्द्र यादव (सहकारिता मंत्री) जैसे भ्रष्ट एवं अपराधी प्रवृति के राजद विधायक मंत्री बने हुए हैं, भाजपा लगातार इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है, लेकिन नीतीश कुमार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.
दरअसल, कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh RJD MLC) के इस्तीफे से लालू यादव (RJD Supremo Lalu Yadav) नाराज बताए जा रहे हैं. उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश सीएम या डिप्टी सीएम स्तर से नहीं की गई है, जिससे लालू यादव का पारा चढ़ा हुआ है. सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh RJD MLA) और सुरेन्द्र यादव (Surendra Yadav RJD MLA) भी लालू के बेहद करीब हैं, इसलिए सीएम उनको कैबिनेट से बर्खास्त नहीं कर रहे हैं.
लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) की भ्रष्टाचार से जुड़ी किसी बात पर जवाब देना हो तो सीएम नीतीश पीछे रहना नहीं चाहते. पूछ बैठते हैं कि, “भ्रष्टाचारी को कौन बचायेगा ?” तो क्या यह माना जाए कि नीतीश कुमार को अपने मंत्रीमण्डल के गठन की जानकारी नहीं है ?
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महागठबंधन मे शामिल होने के बाद अभी तक नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि जिस कारण से 2017 के जुलाई में उन्होने तब के महागठबंधन से नाता तोड़ा था, वह कारण कब खत्म हुआ ?
उल्लेखनीय है कि आईआरसीटीसी में हुए घोटाले (IRCTC Scam) में तेजस्वी यादव (RJD Leader Tejashwi Yadav) का नाम आने पर नीतीश कुमार ने राजद को सत्ता से बेदखल करते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. आईआरसीटीसी घोटाले का मामला सीबीआई देख रही है और तेजस्वी यादव की गर्दन तक कानून के हाथ कभी भी पहुंच सकते हैं.
दरअसल, नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन के जिस मोड़ पर पहुंच चुके हैं, वहां उन्हें राजद के साथ होने मे अपना जो हित साधन नजर आया हो, इस मोड़ पर उनकी शुरुआत अच्छी नहीं है, ऐसा जानकारों का मानना है.
(उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं)