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आनंद मोहन मामले में दिवंगत आईएएस अधिकारी की पत्नी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 8 मई को करेगा सुनवाई

पटना / नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णैय्या (IAS officer G Krishnaiah) की 1994 में हुई हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Bihar politician Anand Mohan) को समय से पहले रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) 8 मई को सुनवाई करने पर सहमत हो गया है.

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की पीठ ने मामले पर सुनवाई के लिए 8 मई को सूचीबद्ध करने पर अपनी सहमति व्यक्त की. याचिकाकर्ता उमा कृष्णय्या, जो दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णैय्या की पत्नी हैं, (IAS officer G Krishnaiah’s wife Uma Krishnaiah) ने अपनी याचिका में कहा कि नीतीश सरकार ने बिहार जेल मैनुअल 2012 (Bihar Prison Manual 2012) में पूर्वव्यापी प्रभाव के साथ 10 अप्रैल 2023 के संशोधन के साथ एक संशोधन लाया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी आनंद मोहन को छूट का लाभ दिया जाए.

उन्होंने याचिका में कहा है, “10 अप्रैल, 2023 का संशोधन, 12 दिसंबर, 2002 की अधिसूचना के साथ-साथ सार्वजनिक नीति के खिलाफ है और इसके परिणामस्वरूप राज्य में सिविल सेवकों का मनोबल गिरा है, इसलिए, यह दुर्भावना से ग्रस्त है और यह है स्पष्ट रूप से मनमाने ढंग से और एक कल्याणकारी राज्य के विचार के विपरीत है.”

27 अप्रैल को रिहा हुए थे आनंद मोहन

बता दें, तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया मामले में दोषी ठहराए गए गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन सिंह (Gangster-turned-politician Anand Mohan Singh) को गुरुवार 27 अप्रैल को अहले सुबह सहरसा जेल (Saharsa jail) से रिहा कर दिया गया. वह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. बिहार सरकार द्वारा जेल मैनुअल के नियमों में संशोधन के बाद एक आधिकारिक अधिसूचना में 14 साल या 20 साल जेल की सजा काट चुके 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया था.

क्या है पूरा मामला

तेलंगाना के रहने वाले कृष्णैया को 5 दिसंबर, 1994 को एक भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस से आगे निकलने की कोशिश की थी. जुलूस का नेतृत्व तत्कालीन विधायक आनंद मोहन कर रहे थे. जी कृष्णय्या को कथित रूप से आनंद मोहन सिंह द्वारा उकसाई गई भीड़ द्वारा उनकी आधिकारिक कार से बाहर खींच कर मार डाला गया था. गिरफ्तार आनंद मोहन को निचली अदालत ने 2007 में मौत की सजा सुनाई थी जिसे एक साल बाद पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने आजीवन कारावास में बदल दिया था. मोहन ने तब हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली और वह 2007 से सहरसा जेल में थे.