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जन सुराज पार्टी के ऐलान होते ही आरजेडी की बढ़ी चिंता, तेजस्वी ने तैयार किया प्लान

पटना (The Bihar Now डेस्क)| बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की एंट्री हुई होते ही सबसे ज्यादा चिंता आरजेडी को हो गई है. कारण है प्रशांत किशोर की रणनीति. हालांकि, आरजेडी से आ रही खबरों के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने प्रशांत की रणनीति को कमजोर करने के लिए एक प्लान बना लिया है.

प्रशांत किशोर की जन सुराज आरजेडी के गढ़ में सेंध नहीं लगा पाए, इसके लिए तेजस्वी यादव ने चार रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, आरजेडी की यह रणनीति जल्द ही जमीन पर भी दिखाई दे सकती है. माना जा रहा है कि आरजेडी एक मुख्य पार्टी है, जो आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव में सत्ता की मजबूत दावेदार है. आइए जानते हैं आरजेडी की इन संभावित रणनीतियों के बारे में –

पार्टी हायर करेगी प्रोफेशनल एजेंसी

आरजेडी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, प्रशांत किशोर सोशल मीडिया और मीडिया में माहौल बनाने के लिए आंशिक आंकड़ों का उपयोग कर रहे हैं. यह काम उनकी एक प्रोफेशनल एजेंसी कर रही है. जबकि आरजेडी खुद ग्राउंड पर मजबूत होते हुए भी ऐसा माहौल तैयार नहीं कर पा रही है.

ऐसी स्थिति में, आरजेडी हाईकमान ने प्रोफेशनल एजेंसी को हायर करने का फैसला किया है. हाल के दिनों में, आरजेडी ने प्रशांत किशोर के साथ काम कर चुके कुछ पुराने लोगों से संपर्क किया है. इसके अलावा, राजस्थान और कर्नाटक में कांग्रेस के लिए काम कर चुकी एक राजनीतिक कंसल्टेंसी से भी आरजेडी संपर्क में है. अगर इस कंसल्टेंसी से आरजेडी की बात बन जाती है, तो यह एजेंसी बिहार चुनाव 2025 में आरजेडी के लिए काम कर सकती है. अभी तक आरजेडी में डेटा इकट्ठा करने और सोशल मीडिया की देखरेख का काम आंतरिक स्तर पर ही होता आया है.

नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान संभव

अभी जगदानंद सिंह आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष हैं जिनका कार्यकाल अगस्त 2025 तक है. राज्य में अगले साल 2025 अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. आरजेडी के सूत्रों के अनुसार, अगर अगस्त 2025 में किसी नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है, तो उस व्यक्ति के पास ग्राउंड तैयार करने के लिए सिर्फ तीन महीने का समय रहेगा.

इसके अलावा, 80 साल के हो चुके जगदानंद सिंह ने खुद भी कई बार पार्टी हाईकमान से अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की अपील की है. उनके अनुसार, इस उम्र में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर बने रहना उचित नहीं है.

वैसे आरजेडी के अंदर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मुस्लिम उम्मीदवार की चर्चा चल रही है. पार्टी के एक धड़े का मानना है कि यह समय कोर वोटरों को जोड़ने का है. बता दें, बिहार में मुस्लिम और यादव आरजेडी के कोर वोटर माने जाते हैं.

बताया जा रहा है कि यदि किसी मुस्लिम चेहरे को अध्यक्ष बनाया जाता है, तो अब्दुल बारी सिद्दीकी का नाम सबसे आगे है. सिद्दीकी लालू परिवार के बहुत करीबी माने जाते हैं और वह एक समय आरजेडी विधायक दल के नेता भी रहे हैं.

पुराने नेताओं को मनाने की कवायत शुरू

प्रशांत किशोर के कारण उत्पन्न हुई पार्टी की चिंताओं के देखने हुए आरजेडी ने अपने पुराने नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है. इस सिलसिले में पहला नाम हीना शहाब का है. सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब ने हाल ही में लालू और तेजस्वी से मुलाकात की है.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा का सीवान में प्रदर्शन सबसे ज्यादा खराब रहा. इसका मुख्य कारण हीना शहाब का अपने समर्थकों को जोड़े रखना है. आरजेडी की कोशिश है कि हीना को जल्द से जल्द पार्टी में शामिल किया जाए. हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि हीना और आरजेडी हाईकमान के बीच पद और प्रतिष्ठा को लेकर बातचीत अटकी हुई है.

उधर, पार्टी ने पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव को भी मनाने की कोशिश शुरू कर दी है. बता दें, पप्पू यादव प्रशांत किशोर पर सबसे ज्यादा हमलावर रहे हैं. हाल ही में पप्पू यादव के पिता की श्रद्धांजलि सभा में मीसा भारती गई थीं. ऐसा कहा जा रहा है कि मीसा ने यहां दोनों परिवारों के बीच के रिश्तों को सुधारने की कोशिश की है.

इन दोनों नेताओं के अलावा, आरजेडी हाईकमान उन नेताओं को भी अपने साथ लाने की तैयारी कर रहा है, जिनका ग्राउंड पर मजबूत जनाधार है और जो पार्टी छोड़ चुके हैं.

रोड मैप जल्द

लोकसभा चुनाव के दौरान मधुबनी, नवादा, सीवान जैसे जिलों में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के भीतर बगावत देखने को मिली थी, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी को इन क्षेत्रों में भारी हार का सामना करना पड़ा. विधानसभा चुनाव में आरजेडी ऐसी गलतियों को दोहराना नहीं चाहती, खासकर तब जब प्रशांत किशोर फैक्टर बिहार की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है.

आरजेडी ने जिला और ब्लॉक स्तर पर अपनी स्थिति की समीक्षा शुरू कर दी है, जिसका स्वयं तेजस्वी यादव निगरानी कर रहे हैं. हाल ही में तेजस्वी ने मिथिलांचल के चार जिलों की यात्रा का आयोजन किया, ताकि पार्टी की स्थिति को सुधारने का प्रयास किया जा सके. सूत्रों के अनुसार, त्योहारों के बाद तेजस्वी फिर से राज्यभर में यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, जिसके लिए एक रोडमैप जल्द ही तैयार किया जाएगा.