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राजद का 1 सितंबर को आंदोलन, 65% आरक्षण को अनुसूची 9 में शामिल करने की मांग

पटना (The Bihar Now डेस्क)| राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (former Bihar deputy Chief Minister, Tejashwi Yadav) ने कहा है कि उनकी पार्टी 2023 में हुए जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों को संविधान की अनुसूची 9 (Schedule 9 of the Indian Constitution) के तहत शामिल करने की मांग को लेकर 1 सितंबर को आंदोलन (agitation) करेगी. तेजस्वी ने कहा कि वह बिहार में होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे.

उन्होंने कहा, “हमने पहले भी इसका उल्लेख किया था. हमारी सरकार ने ओबीसी, एससी और एसटी के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण दिया था, हमने इसे अनुसूची 9 के तहत शामिल करने का उल्लेख किया था. मामला विचाराधीन है. हम जानते थे कि बीजेपी ऐसा नहीं चाहती थी. वह आरक्षण खत्म करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इसे अनुसूची 9 में शामिल नहीं किया. हमने कहा था कि अगर उन्होंने (नीतीश सरकार) इसे अदालत में अच्छी तरह से प्रस्तुत नहीं करेगी, तो राजद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा और अपनी बात रखेगा. हम कोर्ट के समक्ष हैं और राजद अपना पक्ष अच्छे से रखेगा, इसलिए हमने 1 सितंबर को बिहार में आंदोलन की घोषणा की है.”

बता दें, इस साल जून में पटना उच्च न्यायालय ने पदों और सेवाओं में रिक्तियों के लिए बिहार आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को अधिकारातीत और अनुच्छेद 14, 15 और 16 के अंदर समानता की शर्तों का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया थे.

बिहार विधायिका (Bihar Legislature) ने 2023 में दोनों अधिनियमों में संशोधन किया था और नौकरियों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था.

जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए कोटा बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए दो प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (Extremely Backward Classes) के लिए 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग के लिए 18 प्रतिशत कर दिया था.

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने जातीय जनगणना को लेकर अपना समर्थन जताया है. पासवान ने कहा है कि जाति जनगणना जरूरी है, क्योंकि कई सरकारी योजनाएं जातिगत विचारों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं.

बताते चलें, अनुसूची 9 भारतीय संविधान में केंद्रीय और राज्य कानूनों की एक सूची है जिन्हें अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती है.