“भारत की आवाज के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार”: राहुल
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) ने कहा है कि भारत की आवाज के लिए मैं कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूँ. वे शुक्रवार को अपने संसद सदस्यता रद्द (Rahul Gandhi’s parliament membership canceled) होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया जताते हुए ट्वीट (Twit)कर कहा.
बता दें, गुरुवार को गुजरात के सूरत की अदालत में 2019 के एक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा (Rahul Gandhi sentenced to two years by Surat Court) सुनाई गई थी. सजा की घोषणा होने के बाद शुक्रवार को नए कानून के अनुसार राहुल गांधी की निचले सदन की सदस्यता समाप्त कर दी गई.
शुक्रवार शाम राहुल ने ट्वीट कर कहा, “मैं भारत की आवाज़ के लिए लड़ रहा हूं. मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं.”
इधर, कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने के पीछे ‘साजिश’ का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने दावा किया है कि राहुल गांधी को चुप कराने के लिए ऐसा किया गया है क्योंकि वे सरकार से कठिन सवाल पूछ रहे हैं. जबकि बीजेपी ने इस कदम को ‘वैध’ कहा. बीजेपी के अनुसार, एक स्वतंत्र अदालत ने राहुल की टिप्पणी पर फैसला दिया है. बीजेपी ने दावा किया कि राहुल गांधी ने पूरे अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) समुदाय का अपमान किया है.
क्या है मामला
कांग्रेस के 52 वर्षीय नेता राहुल गांधी को गुजरात की एक अदालत ने दोषी ठहराया है. राहुल गांधी को उनके 2019 के एक भाषण के लिए गुरुवार को दो साल की जेल की सजा सुनाई गई. राहुल गांदी ने पीएम मोदी के सरनेम को दो भगोड़े व्यापारियों के साथ जोड़ते हुए टिप्पणी की थी और कहा था कि “चोरों” ने सरनेम एक ही कैसे होते हैं.
इसे भी पढ़ें| “PM मोदी ने मुझे सूर्पनखा कहा था, मैं अब केस करूंगी” – कांग्रेस नेता
सजा सुनाने के बाद अदालत ने राहुल गांधी को जमानत दे दी है और उनकी सजा 30 दिनों के लिए निलंबित की है ताकि उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की इजाजत मिल सके.
नए कानून के अनुसार, किसी भी सांसद को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल की जेल की सजा सुनाई जाती है तो उसकी संसद की सदस्यता समाप्त हो जाती है.
बताते चलें, लोकसभा सचिवालय ने उनके निर्वाचन क्षेत्र केरल के वायनाड को खाली घोषित कर दिया है. चुनाव आयोग अब इस सीट पर उप चुनाव की घोषणा कर सकता है. राहुल गांधी को दिल्ली में अपना सरकारी बंगला खाली करने के लिए एक महीने का समय मिलेगा.