विदेशी साजिश के सहारे मोदी को हटा पायेंगे राहुल?
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| आर्गनाइज्ड क्राइम एण्ड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट! यह एक संस्था का नाम है. 24 से ज्यादा विदेशी संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित इस संस्था के कामकाज को विदेशी पत्रकारों का एक समूह देखता है.
पर, इस संस्था का जैसा नाम (Organized Crime and Corruption Reporting Project) है, काम वैसा नहीं है. बल्कि कहें काम बिल्कुल उल्टा है. संगठित अपराध और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने का दावा करने वाली इस संस्था के पत्रकार खुद भाडे़ के टट्टू हैं और भ्रष्टाचारियों के पक्ष में नरेटिव सेट कर संबंधित देश की सरकार पर सवाल खडे़ करते हुए अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में डिसक्रेडिड करने की कोशिश करते हैं.
दुनिया में कहीं भी संगठित अपराध और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने तथा अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के रहनुमाओं को बेपर्द करने के एथिकल वैल्यू को स्थापित करने के नाम पर बनी यह संस्था पूरी तरह से अनएथिकल है. भारत इसका प्रमाण है. यह संस्था राहुल गांधी के लिए काम कर रही है. देश में लोकसभा चुनाव होने हैं और अचानक यह प्रकट हुई है.
ओसीसीआरपी द्वारा साजिशन झूठी खबर देकर दुनिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि को प्रभावित करना और इधर राहुल गांधी उस झूठी खबर के आधार पर भारत में जनमानस को अपने पक्ष में करने का माहौल बनाएं, इरादा यही है. जबकि यह संस्था एथिकल होती तो भारत में नेहरू-गांधी परिवार का संगठित भ्रष्टाचार जांच के लिहाज से इस संस्था के लिए माकूल टारगेट हो सकता था.
हालांकि, इस साजिश को कामयाब करने के लिए विदेशी पत्रकारों की यह संस्था (OCCRP) राहुल गांधी को सूचनाएं उपलब्ध करा रही है यह माना जाय या राहुल गांधी खुद की तरह उन विदेशी पत्रकारों को भी पप्पू बना रहे हैं यह माना जाय ? यह सवाल भी है. क्योंकि, भारत में तो हर कोई राहुल गांधी को जानता है !!
कुछ देशों के मंत्रालयों सहित ओसीसीआरपी को जिन 24 से ज्यादा संस्थाओं द्वारा वित्त पोषण किया जाता है उनमें से एक ओपन सोसाइटी फाउण्डेशन भी है जिसका मालिक जार्ज सोरोस (George Soros) है. अमेरिका का यह अरबपति भारत के प्रति अपनी नापसंदगी के लिए जाना जाता है. मणिपुर अनरेस्ट में जार्ज सोरोस कुकियों के साथ खडा़ है और उन्हे पैसा उपलब्ध कराता है. केन्द्र सरकार जार्ज सोरोस को लेकर गम्भीर है और उसके खिलाफ कडा़ कदम उठाने वाली है. ऐसा होने पर राहुल गांधी की बिलबिलाहट सामने आ सकती है. एक जानकारी के अनुसार जार्ज सोरोस ने मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए 600 करोड़ रूपये का बजट रिलीज किया है.
यह भी महत्वपूर्ण है कि राहुल गांधी दो देशों की यात्रा पर निकलने वाले हैं. उनमे से एक देश फ्रांस है. मिनिस्ट्री फार योरोप एण्ड फारेन अफेयर्स आफ फ्रांस भी ओसीसीआरपी को फण्ड उपलब्ध कराती है. राहुल गाधी का फ्रांस दौरा इसलिए सवाल खडे़ करता है.
राहुल गांधी ने बीते 31 अगस्त को मुम्बई में एक प्रेस वार्ता की थी. राहुल ने यह प्रेस वार्ता विपक्षी दलों की पहले दिन की बैठक के पहले की जिसपर बवाल मच गया था. खैर, उस प्रेस वार्ता में राहुल गांधी ने ओसीसीआरपी की एक रिपोर्ट के आधार पर उद्योगपति गौतम अडाणी को घेरने की कोशिश की थी. पर ओरसीसीअरपी की वह रिपोर्ट हिण्डनबर्ग की रिपोर्ट की तरह सनसनी पैदा नहीं कर पाया और न ही उसकी नोटिस ली गई. पर ओसीसीआरपी देश में सक्रिय है और इसके टारगेट में उद्योग समूह पहले स्थान पर है.
मोदी सरकार को गिराने या साजिशन हटाने की कोशिश करने वालों में राहुल का नाम पहले नम्बर पर है. पर यह बंदा इतना ही स्पाइनलेस है कि उसकी साजिश या कोशिश कामयाब नहीं हो पाती ! 2014 तक केन्द्र सरकारों में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार (Atal Bihari Vajpayee Government) की अवधि को अपवाद मान लिया जाय तो यह क्रिस्टल क्लियर है कि किसी भी केन्द्र सरकार ने भारत राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना नहीं की. कांग्रेस को हिन्दू विरोधी कह देना पर्याप्त नहीं हो सकता. उसके हिन्दू विरोधी होने का मतलब भारतीय संस्कृति, विरासत, ज्ञान-परम्परा, नैतिक मूल्य एवं धर्म को समूल रूप से नष्ट कर देना है. नेहरू ने कांग्रेस को यही दिया जिसे उनके बाद की पीढि़यों ने यथासम्भव आगे बढा़ने की पुरजोर कोशिश की, पर सोनिया-राहुल-प्रियंका की त्रिमूर्ति तक आते-आते नेहरू खानदान की यह कोशिश खुद उनकी ही कब्र खोदने लगी है.
दूसरी तरफ, मोदी सरकार वह सब कर रही है जिसे न कांग्रेस ने किया न उसके ऐजेंडे में था. इसलिए उसके मोदी विरोध को धार नहीं मिल रही है. वैसे में मुसलमानों और अंग्रेजी शासन की साजिशों के मानिन्द कोशिश में लगी कांग्रेस को कामयाबी तो नहीं मिल सकती, हां उसकी साजिशों से देश को नुकसान न पहुंच सके, इसपर मोदी सरकार की पैनी नजर है. कांग्रेसी साजिश का दायरा देश के अलावा विदेशों तक है जिसे अंजाम देने में राहुल गांधी भाग-दौड़ कर रहे हैं. ओसीसीआरपी उसी साजिश का हिस्सा है.