रघुवंश सिंह की नाराजगी पड़ी भारी, रामा सिंह की टली एंट्री
पटना (TBN -The Bihar Now) | 23 जून को पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देनेवाले राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की नाराजगी ने पार्टी आलाकमान को झुकने पर मजबूर कर दिया है. पार्टी में रामा सिंह की एंट्री की बात से रघुवंश प्रसाद नाराज हो गए थे तथा अपना इस्तीफा सौंप दिया था.
जैसा कि मालूम है, रामा सिंह आज राष्ट्रीय जनता दल ज्वाइन करने वाले थे. सूत्रों के मुताबिक इस मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पहल करके डैमिज कंट्रोल किया. लालू के दखल के बाद तेजस्वी यादव ने रामा सिंह को पार्टी में जॉइन नहीं कराने का फैसला लिया. इस तरह रामा सिंह का पार्टी में शामिल होना फिलहाल टल गया है.
बताते चलें कि रामा सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह के बीच पहले से ही सियासी दुश्मनी रही है. रघुवंश प्रसाद और रामा सिंह की लड़ाई दो राजपूत नेताओं के बीच वर्चस्व और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को लेकर है.
वैशाली लोकसभा सीट से चार बार सांसद रह चुके रघुवंश सिंह पिछले लोकसभा चुनाव में हार गए थे. 2019 में रामा सिंह लोजपा के टिकट पर रघुवंश के खिलाफ खड़ा हुए थे. उस वर्ष यानि 2019 में भी राजद ने रामा सिंह को पार्टी में लाने की कोशिश की थी लेकिन उस वक्त भी रघुवंश सिंह के विरोध पर ऐसा नहीं हो सका था.
रघुवंश की नाराजगी क्यों पड़ी भारी?
बताया जा रहा है कि यह चुनावी साल होने के कारण पार्टी किसी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहती है. साथ ही रघुवंश प्रसाद सिंह राष्ट्रीय जनता दल में सवर्ण जाति के एक बड़ा चेहरा हैं. वैशाली में इनकी अपनी पकड़ भी है तथा सवर्ण जाती के वोट भी इनको मिलते हैं.
वैसे राजद सुप्रीमो लालू के काफी नजदीकी भी हैं रघुवंश प्रसाद सिंह तथा पार्टी के सभी फैसलों में साथ खड़े रहते हैं. राजद के सवर्ण आरक्षण के विरोध के समय भी रघुवंश अपनी पार्टी के साथ खड़े थे और धरने पर भी बैठे थे.
राष्ट्रीय जनता दल में रघुवंश प्रसाद उन गिने-चुने नेताओं में से एक हैं जों कभी भी भ्रष्टाचार या गुंडागर्दी के आरोपी नहीं रहे है. वैसे भी लालू के जेल जाने के बाद पार्टी में सीनियर नेताओं की कमी हो गई है. उनकी नाराजगी इस व्यक्त पार्टी और तेजस्वी के लिए काफी मंहगी पड़ सकती है.