पुष्पम प्रिया चौधरी ने दी खुलकर चुनौती
पटना (संदीप फिरोजाबादी की रिपोर्ट)- बिहार की राजनीति के दिग्गजों और सभी राजनीतिक दलों को खुलकर चुनौती देते हुए जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता विनोद चौधरी की बेटी पुष्पम प्रिया चौधरी ने खुद को बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया था. उसके बाद से ही पुष्पम प्रिया चौधरी जनता, मीडिया और राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बटोर रही हैं.
पुष्पम प्रिया चौधरी सोशल मीडिया पर हमेशा एक्टिव रहती हैं और बिहार की आम जनता से जुड़ने के लिए संदेशों के माध्यम से सूचनाओं का आदान प्रदान करती रहती हैं. पुष्पम ने अपने फेसबुक पेज पर बिहार की जनता के नाम सन्देश देते हुए लिखा है कि :-
“कारवाँ की नहीं, हमसफ़र की तलाश है…”
“साथियों, अर्से से बिहार में ही हूँ, अपने लोगों से मिल रही हूँ, वो लोग जिन्हें मेरी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, जिनकी त्रासदियों और आकांक्षाओं को सबसे पहले समझना ज़रूरी है. यह मुझे अपने अकादमिक ज्ञान को ज़मीनी हक़ीक़त के तराज़ू और बटखरे से तौलने में मदद करता है. जैसा कि महान विवेकानंद ने कहा था कि जब तक कोई भी भूखा सो रहा है, हमारी संस्कृति, हमारे अस्तित्व और हमारे भगवान पे लानत है. इस देश में ग्रासरूट का मतलब समझा दिया गया है कि नेता लोग आएँगे, अपनी डपोरशंखी बातें सुनाएँगे, फूलों से लादे जाएँगे, भले ही बग़ल में लोग जीवन घसीटते रहें लेकिन होली मिलन और इफ़्तार की दावत उड़ाएँगे, प्रेस, मीडिया और पावर ब्रोकर से मिलकर इन आयोजनों की तस्वीरें और खबरें छपाएँगे, और अंत में नक्षत्र, वायरस और लोगों को ही दोष मढ़कर कन्नी काट जाएँगे. और 30-40 साल तक ऐसे में ही बाल पकाकर “ज़मीन से जुड़े” अनुभवी नेता या “विकास-पुरुष” का ख़िताब पा जाएँगे. आपको और मुझे पता है कि ये नक़ली नेता लोग भगवान नहीं हैं जिनके दर्शन को लोग हाथ बांधे और फूल लिए क़तार में खड़े रहें और मुझे उनमें से एक बनने का तो बिल्कुल शौक़ नहीं है. आपसे सीधे संवाद करना है चाहे मिलकर या ऐसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जहाँ आप भी अपनी राय रख पाते हैं, मुझे बेख़ौफ़ भला-बुरा कह सकते हैं. अपनी बात पहुँचाने के लिए पावर लॉर्ड नहीं चाहिए और एकतरफ़ा बकैती के शामियाने नहीं सजाए जाएँगे. बिहार में 38 ज़िले हैं, 534 ब्लॉक हैं और 45000 के क़रीब गाँव हैं. मैं हर जगह आ रही हूँ. प्लुरल्स हर जगह पहुँच रहा है. प्लुरल्स के पेगेसस ने अभी तो द्रुत चाल पकड़ी है, अभी दौड़ने और उड़ने के लिए तो पूरे 8 महीने बचे है.आजकल 8 दिन में भी दुनियाँ बदल जाती है. आइए राजनीति के इस साहसी खेल में पहले के नियमों को बदलते हैं, पहले बिहार को बदलते हैं.”
पुष्पम प्रिया चौधरी ने इस संदेश के द्वारा बिहार के हालत और सरकार पर निशाना साधते हुए बिहार को बदलने समेत विभिन्न मुद्दों पर बात करते हुए राजनीति में अपनी गहरी पैंठ ज़माने के लिए विधानसभा चुनाव में उतरने के अपने निर्णय के बारे में भी साफ़ कर दिया है.