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PK ने बनाई बिहार में Tejashwi के वोट बैंक में सेंध लगाने की योजना

पटना (The Bihar Now डेस्क)| चुनावी रणनीतिकार (Poll strategist) और जन सुराज के संस्थापक (Jan Suraj founder) प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने घोषणा की है कि वह 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव (2025 Bihar Assembly elections) में अपनी पार्टी से 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे, इस कदम को राजद के तेजस्वी यादव और पार्टी के पारंपरिक मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक के लिए एक रणनीतिक चुनौती माना जा रहा है.

यह घोषणा पटना के बापू सभागार (Bapu Sabhagar, Patna) में जन सुराज की एक विशाल सभा के दौरान की गई, जिसमें मुस्लिम समुदाय (Muslim community) के 7,000 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया.

राजनीतिक प्रतिनिधित्व का विस्तार

प्रशांत किशोर की घोषणा बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में मुस्लिम प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है. 40 मुस्लिम उम्मीदवारों के वादे के साथ, किशोर ने 2 अक्टूबर, 2024 को अपनी नई पार्टी के आधिकारिक लॉन्च की योजना का खुलासा किया, जहां उनका लक्ष्य 4-5 मुसलमानों सहित 25 सदस्यों की एक कोर टीम को पेश करना है.

चुनाव रणनीतिकार ने यह भी दावा किया कि पार्टी का उद्घाटन राज्य भर के 10 मिलियन से अधिक समर्थकों के समर्थन से किया जाएगा.

इस कदम को राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के लिए सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, जो लंबे समय से अपनी चुनावी रीढ़ के रूप में मुस्लिम-यादव गठबंधन पर निर्भर है.

प्रशांत किशोर ने सभी 40 मुस्लिम उम्मीदवारों के खर्चों को वहन करने का भी वादा किया है. यह राजद के ऐतिहासिक प्रभुत्व को बाधित करने के उनके इरादे का संकेत, जो 1990 और 2005 के बीच लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के शासन के तहत 15 वर्षों से अधिक समय तक मुस्लिम और यादव वोट बैंक द्वारा कायम था.

पीके की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ और आलोचनाएँ

2 अक्टूबर, 2022 को शुरू हुए प्रशांत किशोर के अभियान में पूरे बिहार में व्यापक यात्रा शामिल थी और कई जिलों में उनके प्रयास जारी हैं.

लोगों के साथ बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर दोहराते रहे हैं कि जब वह अपनी पार्टी लॉन्च करेंगे तो इसमें लोगों का प्रतिनिधित्व उनकी जनसंख्या और नवीनतम जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर होगा.

बिहार जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 (Bihar Caste Survey Report 2023) के मुताबिक राज्य में मुस्लिम आबादी 18 फीसदी है.

मुस्लिम समुदाय के साथ अपनी हालिया बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens) जैसी केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की, जिनके बारे में उनका दावा है कि ये मुस्लिम हितों के लिए हानिकारक हैं.

उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर 2005 और 2012 के बीच मुस्लिम समुदाय के हितों का समर्थन करने और 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद उन्हें धोखा देने का भी आरोप लगाया.

उन्होंने स्थानीय शासन में विसंगतियों पर प्रकाश डाला, यह देखते हुए कि मुस्लिम आबादी के अनुरूप लगभग 1,650 ‘मुखिया’ और ‘सरपंच’ पद होने चाहिए, फिर भी वर्तमान में केवल 1,200 ही कार्यरत हैं.

राजद पर निशाना, बदलाव की वकालत

प्रशांत किशोर की रणनीति का उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक पर राजद की पकड़ को कम करना है. उन्होंने कथित तौर पर डर की रणनीति के माध्यम से मुस्लिम वोट आधार का शोषण करने और राजनीतिक और विकास वादों को पूरा करने में विफल रहने के लिए राजद नेताओं लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की आलोचना की.

उन्होंने कहा, “मुसलमानों की हालत ऐसी इसलिए है क्योंकि उनमें राजनीतिक जागरूकता की कमी है. राजनीतिक जागरूकता की कमी का सबसे बड़ा कारण राजद है. राजद ने मुसलमानों को भाजपा का डर दिखाकर उनके साथ राजनीतिक बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार किया है.”

प्रशांत किशोर ने कहा, “राजद ने मुसलमानों को केवल वोट बैंक के रूप में माना है और उनके विकास के लिए कभी काम नहीं किया है और उन्हें उनकी आबादी के अनुसार राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी नहीं दिया है.”

चुनाव रणनीतिकार ने हाल के लोकसभा चुनावों में राजद के न्यूनतम मुस्लिम प्रतिनिधित्व की भी निंदा की, जहां 23 में से केवल दो उम्मीदवार मुस्लिम थे, और जद (यू) और भाजपा के मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व नगण्य था.