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दोहरे ह’त्याकांड में आजीवन स’जा पाए प्रभुनाथ सिंह का राजनीतिक जीवन विवादास्पद रहा है

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को 1995 के दोहरे ह’त्याकांड मामले में बिहार से पूर्व लोकसभा सांसद प्रभुनाथ सिंह (former Lok Sabha MP Prabhunath Singh) को आजीवन कारावास की सजा का आदेश दिया है.

प्रभुनाथ सिंह अभी 28 साल एक पुराने हत्या के मामले में 2017 में झारखंड की हजारीबाग जेल में बंद हैं. बिहार के महाराजगंज, सारण और सीवान के इलाकों में उसका आतंक माना जाता था.

क्या था मामला

यह मामला 26 मार्च 1995 को विधानसभा चुनाव के दौरान की है. मशरख विधान सभा के धनुकी गांव के वोट ट्रेंड के बारे में जब प्रभुनाथ सिंह को पता चला तो वह काफी नाराज हो गए. वह अपने मन का वोट डलवाना चाहते थे. नतीजतन प्रभुनाथ समर्थक और विरोधियों के बीच राजकीय प्राथमिक विद्यालय धेनुकी पूरब टोला बूथ पर झंझट शुरू हो गया. इस बीच गोली चली जो वृक्षा राय के बेटे दारोगा राय और रामा राय के पुत्र राजेंद्र राय और एक महिला श्रीमती देवी को गोली लग गई. इलाज के दौरान दारोगा राय और राजेंद्र राय की मौत हो गई. पर पुलिस दस्तावेज के अनुसार इलाज के दौरान राजेंद्र राय ने महाराजगंज के तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह पर गोली मारने का आरोप लगाया था.

आखिरकार मशरक थाने में (पानापुर थाना) कांड संख्या 62/95 के अंतर्गत नामजद प्राथमिकी कराई गई थी. मामले की सुनवाई को छपरा कोर्ट में होना था, पर मृतक के परिजनों के आग्रह पर इस कांड की सुनवाई भागलपुर कोर्ट में की गई. तब यह तर्क दिया गया कि छपरा में सुनवाई होगी तो गवाही को प्रभावित किया जा सकता है. पर भागलपुर कोर्ट में भी न्याय नहीं मिली तो इस हत्याकांड की सुनवाई पटना की निचली अदालत में हुई.

पटना की निचली अदालत ने 2009 में तत्कालीन सांसद को बरी कर दिया था. तब मृतक के भाई अपीलकर्ता हरेंद्र राय ने पटना हाईकोर्ट में पिटीशन दायर किया. इस पिटीशन में कहा गया कि पीएमसीएच में पुलिस को दिया गया बयान और सीजर लिस्ट में दर्ज गवाह की गवाही निचली अदालत द्वारा नहीं ली गई है. इसमें मृतक दारोगा राय के पुत्र किशोरी राय, पानापुर के नरेंद्र सिंह व मशरक के संजीव कुमार का बयान नहीं हुआ था.

फिर जब पटना हाईकोर्ट से भी न्याय पाने में असमर्थ रहे तो वह सुप्रीम कोर्ट गए. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद तत्कालीन सांसद को दोषी करार दिया है. घटनास्थल से पुलिस ने खोखा वगैरह बरामद किया था. उसके सीजर लिस्ट पर भी किशोरी राय, नरेंद्र सिंह एवं संजीव कुमार के हस्ताक्षर थे. वह लोग उसके गवाह थे, लेकिन उनकी गवाही भी नहीं हुई थी.

विधायक अशोक सिंह की हत्या के भी आरोपी

1995 में सारण जिले के मसरख से जनता दल विधायक अशोक सिंह की 3 जुलाई को पटना के हार्डिंग रोड स्थित उनके सरकारी आवास पर बम फेंके जाने से हत्या कर दी गई थी. अशोक सिंह ने विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह को हराया था और कथित तौर पर प्रभुनाथ सिंह ने उन्हें धमकी दी थी कि उन्हें 90 दिनों के भीतर मार दिया जाएगा. अशोक सिंह तत्कालीन पुलिस महानिदेशक जी.पी. के साथ बैठक के बाद घर लौटे थे. जब हमला हुआ तो दोहरे पुलिस सुरक्षा की मांग कर रहे थे.

प्रभुनाथ सिंह व अन्य के खिलाफ उनकी पत्नी चांदनी सिंह ने पटना के सचिवालय थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. बाद में, 1997 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, मामले को तत्कालीन अविभाजित बिहार में पटना से हज़ारीबाग़ स्थानांतरित कर दिया गया क्योंकि यह आरोप लगाया गया था कि प्रभुनाथ सिंह पटना में मामले की जांच को प्रभावित कर सकते थे.

प्रभुनाथ सिंह कथित तौर पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी माने जाते हैं.

कौन हैं प्रभुनाथ सिंह

प्रभुनाथ सिंह भारत के बिहार के एक राजनीतिज्ञ हैं. वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पार्टी के सदस्य हैं. वह चार बार भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा के सदस्य रहे हैं. उन्होंने 1985 से 1995 तक मसरख विधानसभा क्षेत्र और 1998 से 2009 तक बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 2013 में उन्होंने उपचुनाव जीता और 2014 तक सांसद बने रहे.

प्रभुनाथ सिंह एक विवादास्पद व्यक्ति रहे हैं. उनपर हत्या, अपहरण और जबरन वसूली समेत कई अपराधों का आरोप लगाया गया है. 2019 में उन्हें दोहरे हत्याकांड के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. वह फिलहाल जेल में हैं.

अपनी कानूनी परेशानियों के बावजूद, सिंह बिहार में एक लोकप्रिय व्यक्ति बने हुए हैं. कई लोग उन्हें रॉबिनहुड जैसी शख्सियत के रूप में देखते हैं जो गरीबों और पीड़ितों के लिए खड़ा होता है. वह अपने शानदार व्यक्तित्व और विलासिता के प्रति प्रेम के लिए भी जाने जाते हैं.

प्रभुनाथ सिंह के राजनीतिक जीवन की कुछ प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार हैं:

1985: मसरख निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान सभा के लिए निर्दलीय चुने गए.
1990: मसरख निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान सभा के लिए जनता दल से चुने गए.
1998: महाराजगंज निर्वाचन क्षेत्र से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए.
1999: महाराजगंज निर्वाचन क्षेत्र से 13वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए.
2004: महाराजगंज निर्वाचन क्षेत्र से 14वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए.
2013: महाराजगंज निर्वाचन क्षेत्र से 15वीं लोकसभा उपचुनाव जीता.

प्रभुनाथ सिंह एक जटिल और विवादास्पद व्यक्ति हैं. वह एक शक्तिशाली राजनेता हैं और उनके बहुत सारे अनुयायी हैं, लेकिन वह एक अंधकारमय अतीत वाले व्यक्ति भी हैं. उनकी विरासत पर आने वाले कई वर्षों तक बहस होने की संभावना है.