एक झटके में टूटा पीके का जादुई आकर्षण, 4 में 3 सीटों पर जमानत जब्त
पटना (The Bihar Now डेस्क)| गत 2 अक्टूबर को राजधानी पटना (Patna) के वेटेनरी ग्राउन्ड (Vetenary Ground, Patna) में जन सुराज पार्टी (Jan Suraj Party) के लॉन्चिंग करते हुए पार्टी नेता प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने जोशपूर्वक चिल्लाते हुए कहा था कि 2025 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) का इंतजार क्यों करें. उन्होंने कहा था कि 2024 के नवंबर में चार सीटों के उपचुनाव में सभी को हराकर सब कुछ तय कर देंगे और 2025 में पूरी जीत हासिल करेंगे. लेकिन चारों सीटों के उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं, जिसने प्रशांत किशोर को नाकाम कर दिया है.
चुनावी रणनीति बनाने में माहिर पीके की जन सुराज पार्टी चारों सीटों पर हार गई है और तीन सीटों पर उनके उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई है. हालांकि इमामगंज, बेलागंज और तरारी में जन सुराज पार्टी और प्रशांत किशोर की इतनी इज्जत बची थी कि उसके कैंडिडेट तीसरे नंबर पर रहे, जबकि रामगढ़ सीट पर पार्टी चौथे स्थान पर रही.
अब 2025 के चुनाव का सफर प्रशांत किशोर और जन सुराज पार्टी के लिए और भी कठिन होगा, क्योंकि इस हार के साथ ही पीके का जादु एक ही झटके में टूट गया है.
उप-चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी की थोड़ी बहुत इज्जत इमामगंज में बची जहां इनकी पार्टी के जीतेंद्र पासवान ने 37 हजार वोट हासिल किए. चूंकि यहाँ पर जन सुराज ने 22 प्रतिशत वोट हासिल किया, इसलिए उनकी जमानत यहां सुरक्षित रही. बता दें, यह सीट ‘हम’ पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के गया से सांसद बनने के बाद खाली हुई थी. यहाँ से जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी और राजद के रोशन मांझी के बीच मुकाबला था. यहाँ से दीपा मांझी ने रोशन मांझी को 5945 वोट के अंतर से हराया.
इन सभी सीटों पर जमानत जब्त
वहीं, जहानाबाद के राजद सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव द्वारा खाली की गई बेलागंज सीट पर जन सुराज के मो. अमजद ने 17,285 वोट प्राप्त किए, लेकिन यह चुनाव में पड़े कुल वोट का केवल 10.66 प्रतिशत था. 16.66 प्रतिशत वोट नहीं मिलने के कारण उनकी जमानत जब्त हो गई.
वैसे इस सीट पर सुरेंद्र यादव के बेटे और राजद के उम्मीदवार विश्वनाथ सिंह यादव को भी हार का सामना करना पड़ा. जेडीयू की मनोरमा देवी ने राजद के विश्वनाथ सिंह यादव को 21,391 वोट के अंतर से हरा दिया. बेलागंज सीट पर लगातार 34 साल से राजद का कब्जा था, जिसमें 32 साल तक अकेले सुरेंद्र यादव की 8 बार जीत शामिल है.
बाकी दो सीटों पर जन सुराज की हालत काफी खराब रही. आरा से सीपीआई-माले के सांसद सुदामा प्रसाद की खाली की गई सीट तरारी में किरण सिंह को सिर्फ 5622 वोट मिले, जो कि 3.48 प्रतिशत बनते हैं. नतीजा, उनकी जमानत जब्त हो गई. तरारी में भाजपा के विशाल प्रशांत उर्फ सुशील पांडे ने सीपीआई-माले के राजू यादव को 10612 वोट के अंतर से हराया. पहले पीरो नाम से जानी जाने वाली तरारी सीट पर भाजपा की यह पहली जीत है, जो बाहुबली नेता सुनील पांडेय के बेटे ने हासिल की है, जो पहले जेडीयू के कई बार विधायक रह चुके हैं.
रामगढ़ सीट ने जन सुराज पार्टी की प्रतिष्ठा को सबसे ज्यादा प्रभावित किया जहां वह चौथे नंबर की पार्टी बनी. बक्सर के राजद सांसद सुधाकर सिंह की खाली सीट पर जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार सुशील सिंह कुशवाहा 6513 वोट के साथ चौथे स्थान पर रहे, जिनको कुल 3.87 फीसदी वोट मिले. उनके परिणाम के साथ उनकी जमानत जब्त हो गई.
रामगढ़ सीट पर बसपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला. अंततः भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने 1362 वोट के छोटे अंतर से बसपा के संतोष सिंह यादव, जिन्हें पिंटू यादव के नाम से जाना जाता है, को हरा दिया. इस चुनाव में एक दिलचस्प बात यह रही कि सुधाकर सिंह के भाई और राजद के उम्मीदवार अजीत कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे.