रिया चक्रवर्ती पर अपने दिए गए कमेंट पर पांडेजी को है पछतावा
पटना /अयोध्या (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे को सुशांत केस में चर्चित रिया चक्रवर्ती पर अपने दिए गए कमेंट पर पछतावा हो रहा है. पूर्व डीजीपी ने रिया के परिवार वालों द्वारा सीएम नीतीश कुमार पर किये गए कमेंट पर कहा था कि उनकी औकात नहीं है कि नीतीश पर कुछ बोल सकें.
गुप्तेश्वर पांडे फिर से चर्चा में आ गए हैं. इस बार वे इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि आजकल वे संत बन गए हैं. संत बनकर वे इन दिनों अयोध्या में कथा वाचन कर रहे हैं.
पिछले साल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी मामले में वे काफी चर्चित हुए थे. इस मामले की जांच को लेकर बिहार और महाराष्ट्र सरकार मे आपसी खींचातानी हुई थी और वे काफी सुर्खियों में रहे थे.
पूर्व डीजीपी ने उस वक्त दिवंगत सुशांत सिंह की दोस्त रिया चक्रवर्ती के लिए “औकात” का बयान दिया था. लेकिन बाद में इस शब्द को ‘अपमानजनक’ समझते हुए उन्होंने माफी भी मांग ली थी.
बता दें कि एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई को सौंपने के फैसले को गुप्तेश्वर पांडे ने ‘न्याय की जीत’ बताया था. इस दौरान रिया चक्रवर्ती के परिवार वालों ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर कुछ कमेन्ट कर दिया था. इस पर गुप्तेश्वर पांडे ने कहा था कि उनकी (रिया चक्रवर्ती) औकात नहीं कि वे नीतीश पर कुछ बोल सकें.
नए रूप में उन्हें पाने के बाद जब हाल ही में उनसे अपने उस कमेन्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपने उस कमेंट पर पछतावा है. उन्होंने समझाया कि उनके लिए ‘औकात’ का अंग्रेजी में मतलब ‘कद’ होता है. हालांकि उन्होंने कहा कि जब उन्हें यह पता चला कि उनके द्वारा बोला गये “औकात” शब्द को अपमानजनक माना गया, तब उन्होंने अपने शब्दों को माफी मांगकर वापस ले लिया था.
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बता दें कि पांडे ने पिछले साल बिहार विस चुनाव से पहले नौकरी से वीआरएस (VRS) ले लिया था और राज्य के डीजीपी पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्हें राजनीति में आने की काफी ललक थी जिस कारण उस चुनाव में बक्सर से लड़ना चाहते थे. उन्होंने 20 सितंबर 2020 को जदयू जॉइन भी कर लिया था, लेकिन उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया.
बन गए कथा वाचक, हुए अध्यात्मलीन
टिकट नहीं मिलने के बाद गुप्तेश्वर पांडे का राजनीति से मोह भंग होने लगा. फिर क्या था, उन्होंने धीरे-धीरे ईश्वर की राह पकड़ ली और फिर वे अध्यात्म की ओर मुड़ गए. इन दिनों वे एक नए नए अवतार के रूप में अयोध्या में कथा वाचन करते दिख रहे हैं.
अपने नए अवतार के बारे में उन्होंने कहा कि जीवन में एक समय ऐसा आता है जब आप इसके उद्देश्य को जानना समझना चाहते हैं. साथ ही आप ईश्वर को जानना चाहते हैं. उन्होंने अपने-आप को इसका अपवाद नहीं बताया.
उन्होंने कहा कि अब उनकी दिलचस्पी केवल ईश्वर में है. उनमें यह परिवर्तन अचानक भी नहीं हुआ है. वे कहते हैं कि भौतिक उपलब्धियां हमें खुश नहीं करती बल्कि असली खुशी भगवान में रमने में है. इसलिए अब केवल भगवान की सेवा करना चाहता हूं मैं.