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आनंद मोहन मामले में कोर्ट में न करें राजनीति – सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से निराशा ही हाथ लगी है. गुरुवार को जहां इसे जातीय जनगणना पर झटका लगा, वहीं शुक्रवार को आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर सरकार की ओर से समय पर जवाब ना देने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. साथ कोर्ट ने इस पर राजनीति करने से भी मना किया.

बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान मामले पर बिहार सरकार की ओर से समय से जवाब ना देने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने सभी पक्षकारों को सीधे तौर पर चेताया कि इस मामले का कोर्ट में कोई भी राजनीतिकरण नहीं करे और कोर्ट को सिर्फ कानूनी पहलू बताएं.

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दूसरी ओर, याचिकाकर्ता ने इस मामले को जानबूझकर टालने का आरोप लगाया है. सुनवाई की शुरुआत होते ही याचिकाकर्ता की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि याचिका सबको प्रेषित की गई. लेकिन जानबूझकर मामले को टालने की मांग की जा रही है और जवाब नहीं दाखिल किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट नाराज

सिद्धार्थ लूथरा के बयान पर कोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए बिहार सरकार को आखिरी मौका दिया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी. बेंच ने बिहार सरकार को आखिरी मौका देते हुए कहा कि आगे सुनवाई को टाला नहीं जाएगा.

जवाब के लिए एक सप्ताह की मोहलत

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को सजा में छूट के प्रावधानों से संबंधित बदलाव से जुड़े दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बिहार सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. इसी के साथ आनंद मोहन को भी एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया गया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बिहार के हलफनामे पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.

बता दें, आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने याचिका दाखिल की थी. इससे पहले 8 मई को मामले की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया गया था और 2 हफ्ते बाद सुनवाई की तारीख तय की थी. लेकिन ना ही बिहार सरकार और ना ही आनंद मोहन की ओर से अभी तक कोई जवाब दाखिल किया गया.

बता दें, आनंद मोहन जी कृष्णैया की हत्या मामले 16 साल तक जेल में था. इसके बाद बिहार सरकार ने कानून में बदलाव किया जिससे आनंद मोहन और 25 अन्य कैदी रिहा हो गए. जी कृष्णैया की पत्नी ने उनकी इसी रिहाई के खिलाफ याचिका दाखिल की थी.

(इनपुट-न्यूज)