प्रशांत किशोर की पटकथा को समझने के लिए रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं : मनोज झा
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राजद नेता मनोज झा (RJD leader Manoj Jha) ने सोमवार को प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पर हमला बोलते हुए कहा कि उनकी पटकथा को समझने के लिए रॉकेट साइंस समझने की जरूरत नहीं है. झा ने प्रशांत किशोर की उस टिप्पणी पर निशाना साधा जिसमें पीके ने कहा कि बिहार में 1990 के बाद से कुछ भी नहीं बदला है.
प्रशांत किशोर की टिप्पणी पर निशाना साधते हुए मनोज झा ने कहा कि राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर महत्वहीन मुद्दों को उठा रहे हैं लेकिन बिहार को विशेष दर्जा (special status to Bihar) देने जैसे मुद्दों को दबाने पर चुप हैं.
राज्यसभा सांसद झा (Rajya Sabha MP Manoj Jha) ने न्यूज एजेंसी को बताया कि उन्हें लग रहा था कि प्रशांत किशोर बिहार को विशेष दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार के बार-बार इनकार करने का मुद्दा उठाएंगे. “इसके बजाय, वह उन मुद्दों को उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं जो महत्वपूर्ण नहीं हैं और उन पर चुप हैं जिन पर उन्हें बोलना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “मुझे प्रशांत किशोर की पटकथा को समझने के लिए रॉकेट साइंस को समझने की जरूरत नहीं है.”
रविवार को पश्चिमी चंपारण जिले से अपनी राज्यव्यापी पदयात्रा शुरू करने वाले प्रशांत किशोर ने बिहार पर शासन करने वाले सभी राजनीतिक दलों पर हमला करते हुए कहा था कि 1990 के बाद से राज्य नहीं बदला है. उन्होंने कहा था कि यहां के लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए बाध्य हैं.
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झा ने कहा, “बिहार को समझने के लिए आपको पहले इसका विश्लेषण करना होगा. जब झारखंड अलग हुआ, उसके बाद बिहार को क्या मिला? झारखंड के कारण हमारे उद्योग की नींव मजबूत थी. झारखंड के अलग होने के बाद सरकार ने बिहार को विशेष दर्जा क्यों नहीं दिया? एक विशेष पैकेज क्यों नहीं दिया गया? और क्यों घोषणा के बाद भी प्रधानमंत्री चुप हैं? मैं चेतावनी दे रहा हूं, बिहार एक ज्वालामुखी पर बैठा है.”
मनोज ने कहा कि बिहार द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले मानव संसाधन की जरूरत सभी को है लेकिन इस पूंजी को राज्य के भीतर लगाने के लिए कोई भी निवेश करने में दिलचस्पी नहीं रखता है. उन्होंने कहा, “यह हमारे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के एजेंडे में है.”
बताते चलें, प्रशांत किशोर ने कहा था, ”1990 में बिहार सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा था और 2022 में भी वही है. यहां के लोग दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए बाध्य हैं.’
अपने ‘जन सुराज अभियान’ के तहत, प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से अपनी पदयात्रा शुरू की, जहां से गांधी ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था.