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दागी महारथियों के सहारे देश को दिशा देंगे नीतीश !!

पटना (वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| अगले महीने 11 अक्टूबर को सम्पूर्ण क्रांति के जननायक जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan, the father of Sampurna Kranti) जी की जयंती है. इस नायक की विडम्बना देखिए, खुद को इनका परम शिष्य बताने वाले लालू यादव (Lalu Yadav) घोटाले में सजायाफ्ता हैं तो दूसरे शिष्य नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने देश की अवस्था में बदलाव लाने के लिए उस पार्टी का सहयोग जरुरी बताया है जिसने सत्ता में रहते हुए जेपी पर लाठियां बरसाईं थी और जनान्दोलन को कुचलते हुए इमरजेंसी लगा दी थी.

नीतीश कुमार ने एक रिकार्ड बनाया है. इस या उस गठबंधन के सहारे सरकार भले बदल जाए, मुख्यमंत्री नीतीशे कुमार रहेंगे. अब शुद्ध रुप से समाजवादी चोला ओढ़े नीतीश कुमार बीजेपी को सत्ता से बाहर कर देने के लिए कांग्रेस को बेहद जरुरी मानते हैं.

यह वही कांग्रेस है जिसने सत्ता में बने रहने के लिए एक-से-एक ऐजेंडा चलाया, लोकतंत्र को शर्मसार किया, असंतुलित विकास से क्षेत्रीय राजनीति को बढ़ावा दिया जिससे भ्रष्टाचार आयामित हुआ लेकिन अब उसे कहीं भी तवज्जो नहीं मिल रही है तो नीतीश कुमार उसके सबसे बड़े खैरखाह बनकर सामने आ गए हैं.

जेपी की चर्चा सिर्फ नीतीश कुमार के दावे की वजह से की गई है. बिहार में अपने आन्दोलन के जरिए जेपी ने देश को दिशा दिखाई थी, अब वही दावा नीतीश कुमार कर रहे हैं.

1974 के आन्दोलन के बाद बिहार ही नहीं, देश भर की राजनीति में बड़े बदलाव हुए. लोकतंत्र की गुणवत्ता का ग्राफ नीचे लुढ़कता रहा, सत्ता का दम्भ पाले कांग्रेस की नीतियों की वजह से क्षेत्रीय स्तर पर पर अराजक राजनीतिक स्थिति ने भ्रष्टाचार को चरम पर पहुंचा दिया, शांति का उपदेश देने वाला बिहार लालू राज में वीभत्स नरसंहारों का गवाह बना, उसी लालू ने बिहार में अपनी जड़ें इतनी गहरी कर ली थी कि एक साल में दो बार चुनाव कराने पड़े तब वह सत्ता से बेदखल हो पाए और आज उसी की पार्टी के समर्थन से नीतीश कुमार सरकार चला रहे हैं.

लेकिन कांग्रेस के कुशासन पर ब्रेक क्या लगा, ऐसा लगने लगा मानो एक साथ कई नागों ने अपना फन काढ़ लिया हो. आतंकवाद, क्षेत्रीयवाद, तुष्टिकरण, दलाली, भ्रष्टाचार जैसे नागों का फन कुचलने की कोशिश में जहां बीजेपी को कामयाबी मिलती गई वहीं लगभग सारे राजनीतिक दलों के कारनामें भी सामने आते गए और आज लगभग सारे ऐसे दल अपने अस्तित्व पर ही खतरा मंडराता देख रहे हैं.

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ऐसे ही सारे दलों के बीच एकजुटता की राष्ट्रीय कोशिश में नीतीश कुमार लगे हुए हैं ताकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में केन्द्र की भाजपा नीत नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बेदखल किया जा सके. पहले की तुलना में आज बिहार जातिवाद और हिंसा की चपेट में ज्यादा है, राजद के साथ सरकार बनाने के बाद लोग ज्यादा असुरक्षित महसूस करने लगे हैं, लेकिन पिछले 17 वर्षों से सीएम रहे नीतीश कुमार का दावा है कि जैसे बिहार को एक दिशा दी गई, वैसे ही अब वह देश को दिशा देने के लिए उन दलों को एकजुट करेंगे जो भ्रष्टाचार और लूट के महारथी हैं और लगभग सारे-के-सारे कानूनी दायरे में हैं.

यह भी दिलचस्प है कि 5-7 सितम्बर तक नीतीश कुमार की तीन दिवसीय दिल्ली यात्रा को बेहद सफल बताया जा रहा है. भ्रष्टाचार के कारण कानूनी दायरे में आए राजनीतिक दलों के बीच अपने राजनीतिक बैरी भाजपा को निपटाने का उल्लास तो दिखता है लेकिन सभी के अपने-अपने अन्तर्विरोध उस उल्लास पर सवाल भी खड़े करते हैं.

(उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं)