तेजस्वी पर दिए अपने बयान से पलट सकते हैं नीतीश
पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| गलत जानकारी पर यकीन करने का खामियाजा भुगत रहे जदयू को परफेक्ट तोड़ की तलाश है. तलाश का यह मामला ताजा-ताजा है और मैसेज भी स्पष्ट है. इससे राजद का शीर्ष नेतृत्व हलकान है. महागठबंधन में शामिल राजद और जदयू लीड रोल में हैं और दोनों के बीच ’36’ का पुराना रिश्ता नए तेवर के साथ सामने आने के लिए तैयार है. नीतीश कुमार तेजस्वी यादव पर दिए अपने बयान से पलट सकते हैं. नीतीश कुमार ने कहा था कि 2025 का विधानसभा चुनाव महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लडे़गा.
2005 में सत्ता से बेदखल होने वाले लालू ने 2013 में उपेन्द्र कुशवाहा को राजद में शामिल किए जाने से इंकार कर दिया था. 2013 में ही चारा घोटाले में लालू को पहली बार सजा दी गई थी. इससे लालू की राजनीतिक दिशा बदल गई. उसी दौरान अपनी नई स्थिति के मद्देनजर लालू ने नीतीश कुमार को अपने लिए बड़ा सरदर्द बताया था. क्योंकि नीतीश के उभार के पहले तक पिछडे़ वर्ग से आने वाले एकमात्र नेता लालू ही थे. लालू का विचार यह था कि पिछडे़ वर्ग के एक और नेता (नीतीश कुमार) के बाद और किसी दूसरे नेता (उपेन्द्र कुशवाहा) को तवज्जो देना गलत होगा. दस साल बाद वही उपेन्द्र कुशवाहा लालू यादव की मुसीबत बढ़ाने वाले हैं.
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उपेन्द्र कुशवाहा को फिर से जदयू में लाए जाने के कयास हैं. जातीय गणना सर्वे की रिपोर्ट भी एक कारण है. सर्वे से आए आंकडो़ं में जो स्थिति मुसलमानो और यादवों की है, उसे संतुलित करने में उपेन्द्र कुशवाहा की भूमिका अहम हो सकती है. फिलहाल, सारी रणनीति लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही बनाई जा रही है जिसमें राजद की सफलता को 2019 जैसा या उसके आसपास तक सीमित किया जा सके. इस रणनीति पर आगे बढ़ने के पीछे का हिसाब-किताब लोकसभा चुनावों में मतदाताओं का रूझान है जिसके बरक्स इंडी अलायंस को कडी़ मशक्कत करनी पड़ सकती है. अभी इंडी अलायंस की जो स्थिति है उसे देखते हुए सीटों के बंटवारे का मसला किसी नई स्थिति को जन्म दे सकता है और उसका असर 2025 के अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है. इतना समय उस तैयारी के लिए काफी माना जा रहा है जिससे नीतीश कुमार तेजस्वी यादव पर दिए अपने बयान से मुकर जाएं और उपेन्द्र कुशवाहा को जदयू आगे कर दे.
यह आफर बड़ा है, पर आधिकारिक तौर पर उपेन्द्र कुशवाहा ने अभी कुछ नहीं कहा है. जदयू सूत्र यह जरूर बताते हैं कि इंडी अलायंस के बिहार चैप्टर के बीच सीटों का बंटवारा अहम है. इससे ज्यादा कुछ भी बताने से परहेज किया जा रहा है. पर, इससे यह संकेत मिलता है कि सीट बंटवारे के मसले पर राजद-जदयू के बीच ठन सकती है.