नीतीश कुमार कट टू साइज
पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भले मौजूदा केन्द्र सरकार को विकास के पैमाने पर असफल बताते रहें, मीडिया रिपोर्ट्स और सर्वे के मुताबिक बिहार की 90% प्रतिशत आबादी के लिए वह ‘अनवांटेड’ हो चुके हैं.
सूबे में राजनीतिक हलचल तेज है. नेताओं के बयान इसकी पुष्टि करते हैं. इससे जनता के मन में क्या चल रहा है, उसकी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और सर्वे से होती है.
लालू का पलड़ा नीतीश के मुकाबले भारी
लोगों की राय यह बताती है कि नीतीश कुमार और लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) अपने-अपने राजनीतिक हित को साधने में लगे हुए हैं, जिसमें लालू का पलड़ा नीतीश के मुकाबले भारी है. और, इसलिए नीतीश कुमार के पास लालू यादव के इशारे पर नाचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जनता की राय यह भी है कि नीतीश-लालू दोनो गरीबी की सिर्फ राजनीति करते हैं. दोनो का अपना-अपना एजेंडा है.
नीतीश पर लालू यादव को भरोसा नहीं
बिहार की जनता के विचारों के बरक्स ‘इंडिया’ (I.N.D.I.A.) के बिहार चैप्टर की गतिविधियों पर नजर डालें तो यह बात साफ-साफ नजर आती है कि सरकार में सहयोगी होने के बाद भी नीतीश कुमार पर लालू यादव को भरोसा नहीं है.
लालू यादव का यह बयान कि इंडिया के कंवेनर्स की संख्या चार-पांच भी हो सकती है, यह प्रत्यक्ष तौर पर नीतीश कुमार को उनकी हैसियत बताना है. विपक्ष को एकजुट करने का जो श्रेय नीतीश कुमार को मिलना चाहिए था, उसे कंवेनर्स की संख्या बढ़ाकर दूर की कौडी़ बना दिया गया.
नीतीश हो रहे पीछे
हालांकि, इंडिया के अध्यक्ष, कंवेनर आदि का फैसला दो-दिनी महाराष्ट्र बैठक में होना है, लेकिन उस बैठक के पहले ही लालू यादव का दिया गया बयान अधिकृत न होने के बाद भी इंडिया में लालू की हैसियत का संकेत देता है. इंडिया को सशक्त विपक्ष के तौर पर स्थापित करने का दावा विपक्षी दल चाहे जितना करें, एक समय सबसे आगे नजर आने वाले नीतीश कुमार पीछे होते जा रहे हैं.
इसलिए नीतीश कुमार को यह कहना पडा़ कि दो दिन चलने वाली बैठक में वह भाग लेंगे. बैठक 31 अगस्त और 1 सितम्बर को निर्धारित है.