नीतीश अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण लालू परिवार के भ्रष्टाचार से किया समझौता: सुशील मोदी
. नीतीश कुमार क्या तेजस्वी यादव की गिरफ्तारी तक चुप्पी साधे रहेंगे?
· नौकरी के बदले जमीन मामले के नये आरोप-पत्र में हेमा यादव का भी नाम
· लालू परिवार के भ्रष्टाचार से मुख्यमंत्री ने किया समझौता, अब वे जवाब नहीं मांगते
· जिनकी संस्कृति बिना कुछ लिये कुछ देने की नहीं, वे बाँट रहे हैं नियुक्ति -पत्र!
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते लालू परिवार के भ्रष्टाचार से समझौता कर लिया है. ऐसा कहना है बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP Rajya Sabha MP Sushil Kumar Modi) का.
सोमवार को सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू परिवार के भ्रष्टाचार से समझौता के कारण रेलवे की नौकरी के बदले लोगों की जमीन लिखवाने के मामले में अपने डिप्टी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) से अब बिंदुवार जवाब नहीं मांग रहे हैं. मोदी ने नीतीश से पूछा कि क्या वे भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) की तरह अपने सहयोगी मंत्री की गिरफ्तारी का इंतजार कर रहे हैं?
मोदी ने कहा कि नौकरी के बदले जमीन मामले (Land for Job Scam) में लालू परिवार के करीबी अमित कात्याल (Amit Katyal) की गिरफ्तारी के बाद ताजा आरोप-पत्र में तेजस्वी यादव की बहन हेमा यादव (Tejashwi Yadav’s sister Hema Yadav) और हृदयानंद चौधरी (Hridayanand Chaudhary) सहित 7नाम शामिल होने से आरोपियों के विरुद्ध कानून का शिकंजा कसता जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां जानना चाहती हैं कि लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) के रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी पाने वाले हृदयानंद चौधरी ने पटना में अपनी करोड़ों की जमीन लालू प्रसाद की पुत्री हेमा यादव को क्यों दान कर दी?
मोदी ने कहा कि जिनके पिता ने कुली-चपरासी जैसी मामूली सरकारी नौकरी देने के बदले लोगों की जमीन ले ली, वे क्या बिना कुछ लिये नियुक्ति -पत्र (appointment letter) बांट सकते हैं? समय आने पर सच सामने आएगा.
उन्होंने कहा कि राजद के साथ पिछली पारी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के मामले में तेजस्वी यादव का नाम आने पर उनसे अकेले में बात की थी और सभी आरोपों का बिंदुवार जवाब नहीं मिलने पर जुलाई 2017 में स्वयं पद इस्तीफा देकर गठबंधन तोड़ दिया था.
मोदी ने कहा कि 6 साल बाद फिर मुख्यमंत्री के सामने वही परिस्थिति है और लोग भी वही हैं, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री बनने का सपना उन्हें चुप रहने को विवश कर रहा है.
(इनपुट-विज्ञप्ति)