नहीं रहे ‘धरतीपुत्र’ मुलायम सिंह यादव, आज सुबह ली अंतिम सांस
नई दिल्ली / लखनऊ (TBN – The Bihar Now डेस्क)| उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का लंबी बीमारी के बाद सोमवार (10 अक्टूबर) सुबह 8:16 बजे गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल (Medanta Hospital, Gurugram) में निधन हो गया. वे 82 वर्ष के थे. पिछले 9 दिनों से वह मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती थे.
बता दें, मुलायम सिंह यादव की तबीयत पिछले रविवार 2 अक्टूबर दोपहर को अचानक बिगड़ गई थी. उनकी स्थिति को डॉक्टरों द्वारा “गंभीर” बताए जाने के बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्हें ICU में रखा गया था और एक व्यापक टीम द्वारा वे निरंतर निगरानी में थे. यादव पिछले कुछ महीनों से कई बीमारियों का इलाज करा रहे थे.
सोमवार को स्थिति खराब होने के बाद उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया. उनकी बिगड़ती स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों द्वारा उन्हें जीवन रक्षक दवाएं दी जा रही थी.
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह यादव के किसान परिवार में हुआ था. मुलायम अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े थे. प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई थे.
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लोगों के अनुसार, पिता सुघर सिंह मुलायम को पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. वह पिछले तीन दशकों से राजनीति में सक्रिय थे.
राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम०ए०) और बी० टी० करने के उपरान्त इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया.
मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में शुरू किया. बहुत कम समय में ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में नज़र आने लगा. मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज का सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया.
मुलायम सिंह यादव समाजवादी नेता रामसेवक यादव के प्रमुख शिष्य थे. रामसेवक यादव के कारण मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने. 1992में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई. वे तीन बार क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे. इसके अलावा वे केन्द्र सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके थे.
यूपी में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की विशेष पहचान थी. राज्य में सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह ने साहसिक योगदान किया था. मुलायम सिंह की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता की भी थी. यूपी की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव को प्यार से “नेता जी” कहा जाता था.
मुलायम सिंह यादव ने दो शादियां की थी. उनकी पहली पत्नी का नाम मालती देवी था. 1973 में अपने इकलौते बच्चे, अखिलेश यादव को जन्म देते समय जटिलताओं के बाद से मई 2003 में अपनी मृत्यु तक मालती देवी का स्वास्थ्य हमेशा खराब ही रहा.
मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी का नाम साधना गुप्ता था जिसके साथ उनका पुराना रिश्ता था. लेकिन साधना गुप्ता से उनकी शादी 1990 के दशक में हुई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी 2007 में मुलायम सिंह यादव और साधना गुप्ता के रिश्ते को स्वीकार किया गया था. उसके बाद साधना गुप्ता को लोग जानने लगे. साधना गुप्ता की पहली शादी से उनका एक बेटा प्रतीक यादव है. साधना गुप्ता का हाल ही में जुलाई 2022 में एक संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया.