मुकेश ने फूंका विद्रोह का विगुल, किया एनडीए मीटिंग का बहिष्कार

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार के मंत्री मुकेश सहनी ने एनडीए की बैठक का बहिष्कार कर विद्रोह का विगुल फूंक दिया है. सहनी ने कहा है कि चूंकि एनडीए में विधायकों और मंत्रियों की बात नहीं सुनी जाती है, इसलिए उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया है.
बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य मंत्री व विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी बीजेपी से काफी नाराज दिख रहे हैं. अपनी नाराजगी को सहनी ने सार्वजनिक भी कर दी है. इसलिए उन्होंने एनडीए (NDA) विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया. उनकी पार्टी के चारों विधायक इस बैठक से गायब रहें.
बैठक में रहने का कोई मतलब नहीं
सहनी ने कहा कि चूंकि वह एनडीए का हिस्सा हैं इसलिए अपनी बात रखने का उन्हें पूरा हक है. सहनी ने कहा, ‘मोदी जी कहते हैं सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास. लेकिन यूपी (UP) में सबका विश्वास नहीं दिख रहा. ये हमारी ताकत है कि यूपी में 5 हजार पुलिस उतारा गया. सीएम योगी की मंशा छोटे लोगों को आगे बढ़ने से रोकना है. हमारी जब बात नहीं सुनी जाती तब बैठक में रहने का कोई मतलब नहीं है’.
मुकेश सहनी ने कहा कि सन ऑफ मल्लाह यानि मेरी धमक यूपी में भी दिखाई दे रही है जिस कारण वहां की सरकार को उनसे डर लगता है. मेरे डर से यूपी में 5000 पुलिसकर्मी लगाए गए जो मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.
सहनी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का विश्वास है कि सबका साथ सबका विकास हो. इसे यूपी के सीएम योगी जी को समझने की जरूरत है. अब यह तो योगी जी ही बताएंगे कि आखिर उन्होंने उत्तर प्रदेश में हमें आजादी क्यों नहीं दी.
सहनी ने पटना वापस आने पर योगी पर आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सिर्फ एक जाति विशेष के लिए काम कर रहे हैं. इसपर पूरे देश में निषाद जाति के लोगों में उनके प्रति आक्रोश व्याप्त है.
बात आखिर थी क्या
बता दें कि मुकेश सहनी की पार्टी, वीआईपी उत्तर प्रदेश के लखनऊ और वाराणसी सहित सभी बड़े शहरों में फूलन देवी की प्रतिमा स्थापित करना चाहती थी. इसी सिलसिले में जब वे वाराणसी पहुंचे तो वहां उन्हें एयरपोर्ट से बाहर ही नहीं निकलने दिया गया. इतना ही नहीं, उन्हें दूसरी फ्लाइट से कोलकाता भेज दिया गया.
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मुकेश सहनी ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं सबका साथ सबका विकास और हम एक मूर्ति लगाने गए तो रोका गया. उन्होंने एक बड़ा बयान भी दिया और कहा कि अब एनडीए की बैठक में जाने का कोई मतलब नहीं है. जब एनडीए की बैठक में हमारी बातें नहीं सुनी जाती है तो हमें और जीतन राम मांझी को मिलकर सोचना है कि आखिर हमारी बात क्यों नहीं सुनी जा रही है. आज की बैठक के बहिष्कार का उत्तर प्रदेश से कोई लेना-देना नहीं है.