मोदी जी, आपसे गुजारिश है, बचकाने फैसले लेना बंद कीजिए – कांग्रेस
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| शुक्रवार को मोदी सरकार के द्वारा 2000 रुपये के नोट को बंद किए जाने पर कांग्रेस से कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि वो बचकाने फैसले लेना बंद करें.
कांग्रेस ने अपने ट्वीटर हैन्डल पर लिखा, “हमेशा की तरह PM मोदी का एक और फैसला गलत साबित हुआ. 2000 के नोट अब चलन में नहीं रहेंगे. याद रहे- नोटबंदी के तानाशाही फैसले के बाद इस नोट को लाया गया था. दावा था कि इससे कालाधन खत्म हो जाएगा, भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा. सारे दावे पलट गए, अब बिना सोचे-समझे लिया गया ये फैसला भी पलट गया. मोदी जी… आपसे गुजारिश है- बचकाने फैसले लेना बंद कीजिए.”
कांग्रेस ने एक अन्य ट्वीट में लिखा – अब नैनो चिप वाले ₹2000 के करेंसी नोट को चलन से बाहर किया जा रहा है, और इसे बदलने के लिए 30 सितंबर तक एक विंडो है. आप एक बार में केवल ₹20,000 का ही विनिमय कर सकते हैं. यहां तक कि जब सरकार ने ₹2000 का नोट पेश किया, तब भी कांग्रेस ने बहुत अधिक मूल्यवर्ग की चेतावनी दी थी; स्पष्ट रूप से, उन्होंने ध्यान नहीं दिया.
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विनाशकारी विमुद्रीकरण
कांग्रेस ने विमुद्रीकरण (demonetisation) को विनाशकारी बताते हुए कहा, “99% पैसा बैंकों में वापस आ गया; आरबीआई को केवल ₹16,000 करोड़ मिले जबकि नए नोटों की छपाई की लागत ₹21,000 करोड़ रही; साथ ही, विमुद्रीकरण (demonetisation) के बाद एटीएम को रीकैलिब्रेट किया गया.
विमुद्रीकरण की लागत
विमुद्रीकरण की लागत पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.2% से आधी होकर 4.1% हो गई; 35 लाख नौकरियां तत्काल नष्ट हो गईं; हजारों कारखाने बंद हो गए तथा करोड़ों एमएसएमई नष्ट हो गए.
गोलपोस्ट बदलना – कुछ हासिल नहीं हुआ
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा है कि मोदी सरकार द्वारा विमुद्रीकरण के रूप में गोलपोस्ट बदलने से कुछ हासिल नहीं हुआ. विमुद्रीकरण पर मोदी सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों जैसे काले धन की वसूली, आतंकी फंडिंग बंद करना, अर्थव्यवस्था में नकदी कम करना तथा नकली मुद्रा बंद करना पर विफलता ही हाथ लागि है.
अर्थव्यवस्था में नकदी दोगुनी हुई
कांग्रेस ने विमुद्रीकरण के बाद की अर्थव्यवस्था पर कहा कि हम कैशलेस इकॉनमी से बहुत दूर हैं. वास्तव में, विमुद्रीकरण के समय अर्थव्यवस्था में नकदी ₹17,74,000 करोड़ थी जो अब तक दोगुनी होकर ₹37,00,000 करोड़ हो गई है. इस तरह की अचानक प्रतिक्रिया और बार-बार होने वाले नीतिगत बदलाव मुद्रा में विश्वास को हिला देते हैं, जिससे लोग सोने की जमाखोरी करते हैं या डॉलर खरीदते हैं. नोटबंदी सबसे कठोर आर्थिक फैसला है और हम इसकी कीमत चुका रहे हैं.