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जातीय जनगणना को हरी झंडी, मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले की चारों ओर तारीफ

नीतीश कुमार ने बताया ऐतिहासिक, तेजस्वी ने लालू को दिया जीत का श्रेय
बीजेपी ने कहा- विकास की दिशा में मील का पत्थर, प्रशांत किशोर ने उठाए सवाल
सामाजिक समानता की ओर कदम, ध्रुवीकरण की राजनीति को करारा जवाब

नई दिल्ली / पटना (The Bihar Now डेस्क)| बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar assembly elections 2025) से ठीक कुछ महीने पहले केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) ने जनगणना के साथ जातीय गणना (caste census) कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिसकी चौतरफा सराहना हो रही है. बिहार के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Bihar) नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इसे सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का दिल से आभार जताया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय समाज के हर वर्ग के उत्थान और विकास के लिए नीतियां बनाने में मददगार साबित होगा.

वहीं, महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इसे अपनी लंबी लड़ाई की जीत बताया है. नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition) तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने इस फैसले को समाजवादियों और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की दशकों पुरानी मांग की जीत करार दिया.

तेजस्वी ने कहा, “30 साल से हमारी पार्टी और लालू जी इस मुद्दे पर संघर्ष कर रहे थे. यह समाजवादी विचारधारा की जीत है.” हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि बीजेपी अब इसका श्रेय लेने की कोशिश करेगी, लेकिन इस लड़ाई का असली नायक लालू यादव (Lalu Yadav) ही हैं.

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव (RJD chief Lalu Prasad Yadav) ने इस फैसले पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम समाजवादी लोग जो 30 साल पहले सोचते थे—आरक्षण, जातिगत गणना, समानता, बंधुत्व और धर्मनिरपेक्षता—उसे दूसरे लोग दशकों बाद अपनाते हैं. हमें जातिवादी कहने वालों को आज करारा जवाब मिला है. यह शुरुआत है, अभी बहुत कुछ बाकी है. हम अपने एजेंडे पर विरोधियों को नचाते रहेंगे.”

बीजेपी का दावा: विकास और समावेशी नीतियों का नया दौर

बिहार बीजेपी अध्यक्ष (Bihar BJP President) डॉ. दिलीप जायसवाल (Dr. Dilip Jaiswal) ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह कदम समाज के वंचित, शोषित और पीड़ित तबकों के लिए सटीक आंकड़ों के आधार पर योजनाएं बनाने में मदद करेगा. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश अब समावेशी विकास की राह पर तेजी से बढ़ रहा है. यह फैसला नीतियों को धरातल पर उतारने में मील का पत्थर साबित होगा.”

उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) ने भी बिहार की जनता की ओर से पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह निर्णय सभी जातियों के सम्मान और उनकी अस्मिता की रक्षा करते हुए उनके विकास के सपनों को साकार करेगा.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री (Union Minister of State for Home) नित्यानंद राय (Nityanand Rai) ने इसे कैबिनेट कमेटी ऑफ पॉलिटिकल अफेयर्स (Cabinet Committee on Political Affairs) की मंजूरी के बाद एक ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “विपक्ष ने अब तक सिर्फ जातीय जनगणना पर राजनीति की, लेकिन मोदी सरकार हर कदम जनता की भलाई के लिए उठाती है.”

केंद्र की नीति: ध्रुवीकरण नहीं, जवाबदेही और निष्पक्षता

नित्यानंद राय ने इस मौके पर कहा कि आजादी के बाद से अब तक की सभी जनगणनाओं में जातियों की गणना से परहेज किया गया. पिछली सरकारों ने अपने स्वार्थ और सत्ता को बचाने के लिए जातिगत संवेदनाओं का गलत इस्तेमाल किया, जिससे समाज में ध्रुवीकरण और तुष्टीकरण का जहर घोला गया. लेकिन, पीएम मोदी के इस फैसले से नीति परिवर्तन का नया युग शुरू होगा. यह निर्णय जवाबदेही, निष्पक्षता और सामाजिक समानता पर आधारित है.

प्रशांत किशोर की दो टूक: गणना से ज्यादा जरूरी है अमल

जन सुराज (Jan Suraj) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने इस फैसले पर अपनी अलग राय रखी. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की गणना से समाज की बेहतर समझ विकसित होती है, इसमें कोई बुराई नहीं. लेकिन, सिर्फ गणना कर लेने से देश में सुधार नहीं होगा. सुधार तभी संभव है, जब सरकार इन आंकड़ों के आधार पर ठोस कदम उठाए.

उन्होंने बिहार में पहले हुई जातीय जनगणना का जिक्र करते हुए कहा, “रिपोर्ट में गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये रोजगार के लिए देने की बात थी, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. सिर्फ किताब खरीदने से कोई विद्वान नहीं बनता, उसे पढ़ना और समझना भी पड़ता है.”

सामाजिक बदलाव की नई उम्मीद

यह फैसला न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में सामाजिक समानता और समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. जहां एक ओर यह फैसला समाज के कमजोर वर्गों के लिए नई नीतियों का रास्ता खोलेगा, वहीं दूसरी ओर बिहार में चुनावी माहौल को और गर्माने की पूरी संभावना है.