MLC चुनाव: राज्य की सियासत में बदले समीकरण, भूमिहारों के हाथ में लालटेन, पंजा ब्राह्मणों के साथ
पटना (TBN – Nikhil K D Verma)| बिहार विधान परिषद (MLC Election 2022) की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव ने बिहार में एक नए राजनीतिक समीकरण की शुरुआत कर दी है. पिछले 30 सालों से बिहार की राजनीति में बड़ी संख्या में हाशिए पर खड़ी सवर्ण जातियों (upper castes) ने प्रवेश किया है. 24 में से 12 सीटों पर सिर्फ भूमिहार (Bhumihar) और राजपूत (Rajput) जाति के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. इस चुनाव में दोनों जातियों के 6-6 उम्मीदवारों ने अपना झंडा लहराया है.
राजद (RJD) के नए समीकरण ने न केवल विधान परिषद में राबड़ी देवी (Rabri Devi) की कुर्सी छोड़ी, बल्कि राजद ने एक बार फिर जदयू (JDU) को पछाड़ दिया. हालांकि, कांग्रेस (Congress) ने विधान परिषद में अपने दम पर दो सीटें जीती हैं. एक पर उनके उम्मीदवार और दूसरे पर उनके समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. इसके साथ ही कांग्रेस ने 5 सीटों पर राजद का खेल भी बिगाड़ दिया.
राजद को मिला भूमिहारों का समर्थन
यह पहला मौका है जब राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) ने सवर्णों पर दांव लगाया और इसका फायदा भी मिला. तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद के अलावा बिहार में एक नया राजनीतिक समीकरण (Bhumihar, Yadav and Muslim) बनाया.
भूमिहारों को बिहार में राजद का कट्टर विरोधी कहा जाता है. लेकिन इस चुनाव में भूमिहारों ने भी राजद को अपना समर्थन दिया. तेजस्वी यादव ने 10 सवर्णों को टिकट दिया था, जिनमें से 5 भूमिहार प्रत्याशी थे. इनमें से 3 चुनाव जीतकर विधान परिषद तक पहुंचने में सफल रहे.
यह भी पढ़ें| नहीं बचा पाए ललन सिंह और संजय जायसवाल अपना गढ़, दोनों के क्षेत्रों में NDA प्रत्याशी की हार
राजनीतिक विश्लेषक लव कुमार मिश्रा (political analyst Luv Kumar Mishra) के मुताबिक अगर राजद इसी रणनीति पर कायम रहती है तो वह बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकती है. पिछले लोकसभा चुनाव से पहले ही तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल को ए टू जेड की पार्टी बता रहे थे. हालांकि टिकट बंटवारे में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला, लेकिन विधान परिषद चुनाव में उन्होंने रणनीति बदली और काफी हद तक सफल भी रहे. राजद के 6 नवनिर्वाचित सदस्यों में से 3 भूमिहार और एक यादव जाति से हैं. राजद ने विधान परिषद में 10 यादव और 1 मुस्लिम को टिकट दिया था.
कांग्रेस को मिला ब्राह्मणों का समर्थन
विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने 2 सीटों पर जीत हासिल की. बेगूसराय से उनके उम्मीदवार और पूर्वी चंपारण में उनके समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की. कांग्रेस को यह जीत अपने दम पर मिली है. इन दोनों सीटों पर कांग्रेस को मुसलमानों और ब्राह्मणों का समर्थन मिला.
इससे इस बात पर बहस तेज हो गई है कि कांग्रेस को बिहार में अपने पारंपरिक मतदाताओं का समर्थन मिलना शुरू हो गया है. 1990 के बाद यह पहला मौका है जब मुसलमानों ने राजद के बजाय कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है. यही वजह है कि कांग्रेस ने कई सीटों पर राजद का खेल खराब किया.
बता दें कि बिहार विधान परिषद में राजद अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरी थी. राजद ने कांग्रेस को कोई सीट नहीं दी. इससे नाराज कांग्रेस ने भी 24 में से 14 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 5 सीटों (कटिहार, दरभंगा, सीतामढ़ी, पूर्णिया और गोपालगंज) पर राजद का खेल बिगाड़ दिया. पार्टी का यह भी मानना है कि वह खाली हाथ चुनाव में गई और पिछले चुनावों से बेहतर प्रदर्शन किया.
पार्टी ने न केवल एक सीट जीती है, बल्कि कुछ अन्य सीटों पर भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. पश्चिम चंपारण में कांग्रेस प्रत्याशी अशफाक अहमद ने शानदार प्रदर्शन किया. हालांकि, वह चुनाव हार गए. लेकिन पार्टी को यहां अपनी ताकत का अहसास हुआ और पार्टी कांग्रेस छोड़कर जेडीयू में शामिल राजेश राम को तीसरे नंबर पर भेजने में सफल रही.
इस सीट पर कांग्रेस को मुसलमानों के साथ-साथ ब्राह्मणों का भी समर्थन मिला था. यही वजह रही कि राजद की जीत हुई और जदयू तीसरे नंबर पर चली गई. कांग्रेस पूर्वी चंपारण की सीट को अपनी कोटे की सीट मानती है, जिसे निर्दलीय उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने जीता था. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और राज्यसभा सदस्य अखिलेश सिंह महेश्वर सिंह के लिए प्रचार करने गए थे.
अंदरूनी कलह के चलते एनडीए के हाथ से निकली कई सीटें
विधान परिषद में स्थानीय प्राधिकरण द्वारा भरी जाने वाली अधिकांश सीटें एनडीए की आंतरिक लड़ाई के कारण हार गईं. हालांकि, 24 में से बीजेपी ने 7 सीटें, जेडीयू ने 5 और आरएलजेपी ने 1 सीट जीती है. जो पिछली बार से 11 कम है. पिछली बार जदयू के पास 11 सीटें थीं, जो इस बार घटकर 5 रह गईं. इसी तरह बीजेपी के पास 13 से 7 हो गईं.
इस चुनाव में राजद और कांग्रेस को फायदा हुआ है. कांग्रेस के पास एक सीट थी. वह अभी भी बना हुआ है. इसके साथ ही उनके समर्थित उम्मीदवारों में से एक ने भी जीत हासिल की है. इस तरह कांग्रेस को एक सीट का फायदा मिला. राजद की 3 सीटें बढ़कर 6 हो गईं.