मनीष वर्मा बने जदयू राष्ट्रीय बने महासचिव, नीतीश ने दी बड़ी जिम्मेदारी
पटना (The Bihar Now डेस्क)| पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा (Ex IAS Manish Kumar Verma) के जेडीयू (Janata Dal-United) में शामिल होने के बाद ठीक दो दिन बाद गुरुवार 11 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव (National General Secretary of JDU) बना दिया है. पिछले कई सालों से नीतीश कुमार के साथ मनीष वर्मा साए की तरह नजर आते रहे थे. कुर्मी जाति (Kurmi caste) से आने वाले मनीष वर्मा को नीतीश के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है.
उनकी नियुक्ति की जानकारी बिहार विधान परिषद के सदस्य पूर्व महासचिव अफाक अहमद खान (Afaque Ahmad Khan) ने प्रेस बयान जारी कर दी है. जारी बयान में कहा गया है, “जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार (बिहार के मुख्यमंत्री) ने मनीष कुमार वर्मा को तत्काल प्रभाव से जनता दल (यूनाइटेड) का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है. धन्यवाद!“
पिछले लंबे समय से यह चर्चा थी कि नीतीश कुमार उन्हें जदयू में बड़ी जिम्मेवारी देंगे. मंगलवार 9 जुलाई को ही मनीष वर्मा विधिवत रूप से जदयू की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की थी. मनीष वर्मा लेकर लोकसभा चुनाव से पहले ही यह चर्चा थी कि वो सक्रिय राजनीति में आयेंगे. उनके नालंदा से चुनाव लड़ाने की भी चर्चा थी. पिछले दिनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में हुई बैठक में भी उनके नाम की चर्चा थी.
मनीष वर्मा के जदयू जॉइन करने को नीतीश कुमार की अपनी पार्टी और वोटर पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. मनीष बिना किसी पद के ही पिछले एक साल से जेडीयू की संगठनात्मक गतिविधियों में लगे हुए थे. वे जेडीयू के लोकसभा चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से शामिल रहे थे.
महासचिवघोषित किए जाने के बाद मनीष वर्मा ने अपने नए X हैंडल पर नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया.
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मनीष कुमार वर्मा मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति से आने के साथ-साथ उनके करीबी रिश्तेदार भी बताए जाते हैं. मनीष कुमार वर्मा 2000 (2000-batch IAS officer) में ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी बने और सबसे पहले वह ओडिशा के कालाहांडी में सब कलेक्टर बनाए गए थे. इसके बाद वह गुनपुर, रायगढ़ में एसडीएम के पद पर रहे.
मुख्यमंत्री के सचिव भी रह चुके थे
मनीष कुमार वर्मा को नौकरी के पांच साल बाद पहली बार मलकानगिरी जिले का डीएम बनाया गया था. 2012 तक वह ओडिशा में कई जिलों के डीएम रहे, लेकिन 2012 के बाद ओडिशा को छोड़कर इंटर स्टेट डेपुटेशन में पांच साल के लिए बिहार आ गए. बिहार में पांच साल रहने के दौरान पटना का भी DM बनाया गया और मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी काम करने का मौका दिया गया.
पटना और पूर्णिया थे डीएम
23 मार्च 2018 को पांच साल पूरा हुआ तो भारत सरकार की मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति की ओर से पत्र जारी किया गया और इन्हें वापस ओडिशा भेजा जाने लगा तो मनीष कुमार वर्मा ने इनकार कर दिया. वीआरएस लेकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी. मनीष कुमार वर्मा 2014 में पटना के जिलाधिकारी के पद पर रह चुके हैं. इसके बाद उन्हें पूर्णिया का भी डीएम बनाया गया था.
(इनपुट-न्यूज)