फर्जी वीडियो मामले का सामना कर रहे मनीष कश्यप लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
बेतिया (TBN – The Bihar Now डेस्क)| तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी श्रमिकों पर हमले के मनगढ़ंत वीडियो प्रसारित करने के आरोप में नौ महीने जेल में बिताने वाले YouTuber मनीष कश्यप, पश्चिम चंपारण सीट से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं.
मनीष कश्यप, जिन्होंने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थक बताया, ने कहा कि वह पश्चिम चंपारण निर्वाचन क्षेत्र को ‘वंशवादी राजनीति’ के जादू से मुक्त करना चाहते हैं. कश्यप ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता संजय जायसवाल, जो तीन बार चुनाव लड़ कर लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया हैं, पर हमला बोला. संजय जायसवाल ने 2009, 2014 और 2019 में तीन लोकसभा चुनाव जीते हैं. उनके पिता, मदन प्रसाद जायसवाल, 1996, 1998 और 1999 में तीन बार बेतिया सीट से चुने गए थे. हालांकि 2008 में परिसीमन के कारण यह सीट समाप्त कर दी गई थी.
कश्यप ने दावा किया कि उन्हें किसी चुनौती की उम्मीद नहीं है क्योंकि संजय जायसवाल के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर है.
लड़ा था विधानसभा चुनाव
इससे पहले मनीष कश्यप ने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव पश्चिम चंपारण के चनपटिया विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था. चनपटिया सीट पर 2000 से काबिज भाजपा के उमाकांत सिंह ने 83,828 वोट हासिल कर अपनी सीट बरकरार रखी थी. कांग्रेस के अभिषेक रंजन 70,359 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. कश्यप 9,239 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.
मनीष कश्यप ने कहा कि उन्होंने पश्चिम चंपारण को ‘वंशवादी राजनीति’ से बचाने और पिछले सांसदों के गैर-प्रदर्शन के कारण पीड़ित लोगों के चेहरे पर चमक लाने के लिए मैदान में उतरने का फैसला किया है.
30 अप्रैल को करेंगे नामांकन पत्र दाखिल
कश्यप ने कहा, “इसलिए मैंने 30 अप्रैल को पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने का फैसला किया है.”
भाजपा के पश्चिम चंपारण जिला प्रमुख रूपक श्रीवास्तव ने मनीष कश्यप के दावों और आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें “गैर-जिम्मेदार” राजनीतिज्ञ बताया.
श्रीवास्तव ने पूछा कि हार के बाद कश्यप कितनी बार चनपटिया विधानसभा में आये. श्रीवास्तव ने कहा, “कश्यप, जो केवल एक गैर-जिम्मेदार राजनीतिज्ञ हैं, के विपरीत संजय जायसवाल ने पार्टी द्वारा आगे बढ़ाए जाने से पहले 20 वर्षों तक प्राथमिक सदस्य के रूप में काम किया है. मैं बता देता हूँ चुनाव के बाद मनीष कश्यप कीचड़ की मछलियाँ की तरह घटनास्थल से भाग जाएंगे.”
बता दें, तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu government) द्वारा कथित तौर पर मनगढ़ंत वीडियो फैलाने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला करने के बाद मनीष कश्यप राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गए. उस वीडियो में दावा किया गया था कि बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर तमिलनाडु में हमला किया गया था.
पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तमिलनाडु सरकार द्वारा उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लेने के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि स्थिर राज्यों में अशांति पैदा करने के लिए असत्यापित जानकारी प्रसारित करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
कश्यप ने अपने खिलाफ सभी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) को क्लब करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मामलों को पटना में स्थानांतरित करने को प्राथमिकता दी, जहां वह रहते हैं. बिहार सरकार भी अदालत में पेश हुई और कहा कि याचिकाकर्ता एक आदतन अपराधी है जो राज्य में आठ आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है.
पीठ ने दोनों राज्य सरकारों से कहा कि वह जांच के लिए सभी एफआईआर को एक जगह स्थानांतरित करने में रुचि रखती है. “उनके सभी पोस्ट का आशय यही है कि बिहार के प्रवासियों को तमिलनाडु में मार दिया जा रहा है. हम अभियोजन को रद्द नहीं करने जा रहे हैं. सभी मामलों की जांच एक ही एजेंसी से कराई जाए,” पीठ ने कहा.
पटना उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद कश्यप को अंततः 23 दिसंबर, 2023 को बेउर सेंट्रल जेल से जमानत पर रिहा कर दिया गया.