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बिहार में कांग्रेस का बड़ा बदलाव, जानिए अखिलेश को हटाने की वजह

पटना (The Bihar Now डेस्क)| बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने एक बड़ा कदम उठाया है. पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को हटा दिया और उनकी जगह कुतुम्बा के विधायक राजेश कुमार को नया अध्यक्ष बना दिया. इस फैसले के बाद बिहार की सियासत में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं.

इसी बीच बिहार के राजनीतिक गलियारों के भरोसेमंद सूत्रों से जो जानकारी सामने आई, वो हैरान करने वाली है. लेकिन पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर अखिलेश प्रसाद सिंह जैसे बड़े नेता को क्यों हटाया गया.

अखिलेश प्रसाद सिंह और लालू का पुराना रिश्ता

अखिलेश प्रसाद सिंह और लालू प्रसाद यादव की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. इसकी जड़ें बहुत पुरानी हैं. इसके लिए हमें साल 2004 तक जाना होगा. उस वक्त अखिलेश प्रसाद सिंह ने मोतिहारी से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. लेकिन तब वो कांग्रेस के नहीं, बल्कि लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर लड़े थे. लालू ने ही उन्हें दिल्ली की सियासत में पहुंचाया था. उस समय अखिलेश को केंद्र सरकार में कृषि, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण जैसे अहम मंत्रालयों का राज्य मंत्री बनाया गया. यह मौका उन्हें राजद के कोटे से मिला था.

लालू से अनबन और कांग्रेस की राह

कुछ समय बाद अखिलेश प्रसाद सिंह और लालू यादव के बीच तनाव बढ़ गया. इसके बाद अखिलेश ने राजद को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. साल 2009 में उन्होंने पूर्वी चंपारण से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. फिर भी वो कांग्रेस में डटे रहे. 2014 में उन्हें मुजफ्फरपुर से लोकसभा चुनाव का टिकट मिला, पर वहां भी जीत नहीं मिली. इसके बाद 2015 में तरारी विधानसभा सीट से भी उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन फिर हार का सामना करना पड़ा.

हार के बावजूद कांग्रेस ने उन्हें मौके दिए. 2018 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा. फिर 2024 में भी वो कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में दोबारा पहुंचे. इसके अलावा 2022 में उन्हें बिहार कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. लेकिन सियासी हलकों में यह बात भी चर्चा में रही कि 2019 में राजद और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर काफी खींचतान हुई थी. कहा जाता है कि उस वक्त अखिलेश प्रसाद सिंह ने ही दोनों पार्टियों के बीच समझौता करवाने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

अखिलेश को हटाने की वजह क्या ?

अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाने से कांग्रेस को सवर्ण वोटरों की नाराजगी का डर कम ही है. ऐसा लगता है कि पार्टी ने पहले से ही इसकी तैयारी कर रखी थी. कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को आगे बढ़ाया, जो भूमिहार जाति से हैं और पदयात्रा के जरिए बिहार में बड़ा चेहरा बन रहे हैं. दूसरी ओर, राजेश कुमार को अध्यक्ष बनाकर दलित वोटरों को लुभाने की कोशिश की गई है.

पार्टी में अंदरूनी नाराजगी

बिहार कांग्रेस के कई नेताओं में लंबे समय से नाराजगी थी. हमारे सूत्र के मुताबिक, कई नेता चाहते थे कि कांग्रेस गठबंधन की मजबूरी से बाहर निकले और 90 के दशक की तरह बिहार में अपने दम पर सत्ता हासिल करे. इन नेताओं के लिए अखिलेश प्रसाद सिंह एक रुकावट की तरह थे. ऐसा माना जाता है कि भले ही अखिलेश ने राजद छोड़ दिया था, लेकिन लालू से उनके रिश्ते अच्छे बने रहे.

कांग्रेस की नई रणनीति

बिहार कांग्रेस के नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने इस बदलाव के संकेत पहले ही दे दिए थे. हाल ही में पटना एयरपोर्ट पर उन्होंने साफ कहा कि अब कांग्रेस बिहार में जनता की ‘A टीम’ बनकर काम करेगी. यह बयान कांग्रेस के इरादों को साफ करता है. सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने यह फैसला पहले ही कर लिया था कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा बदलाव होगा.

आने वाला सियासी दंगल

इस बदलाव से यह साफ है कि इस बार कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर बड़ी खींचतान हो सकती है. कांग्रेस अब बिहार में मजबूती से खेलने के मूड में दिख रही है. ऐसा लगता है कि वो राजद के सीटों के प्रस्ताव को आसानी से स्वीकार नहीं करेगी. हालांकि, आखिरी फैसला दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान ही लेगा. अभी यह कहना मुश्किल है कि आगे क्या होगा, लेकिन हालात और बयानों से कुछ तो बड़ा होने के संकेत मिल रहे हैं.

नतीजा क्या होगा ?

अब सबकी नजर इस बात पर है कि इस फैसले का अंजाम क्या होगा. आने वाले कुछ दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी. बिहार की सियासत में यह बदलाव कितना रंग लाएगा, यह वक्त ही बताएगा.