जानिए विधानसभा के नए अध्यक्ष नंद किशोर यादव के बारे में
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)|गुरुवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता व विधानसभा सदस्य नंद किशोर यादव को बिहार विधानसभा का नया अध्यक्ष चुना गया. किसी और के द्वारा इस पद के लिए नामांकन नहीं डालने के कारण नंद किशोर यादव निर्विरोध चुन लिए गए. आइए जानते हैं विधानसभा के नए अध्यक्ष नंद किशोर यादव के बारे में.
स्व० पन्ना लाल यादव और स्व० राजकुमारी यादव के पुत्र नंद किशोर यादव का जन्म 26 अगस्त 1953 को हुआ था. उनके परदादा स्व० झालो सरदार, जो जमींदार थे, शेर पालने के शौकीन थे जबकि नंद किशोर के दादा स्व० रामदास यादव को पंक्षियों का शौक था.
बातचीत में सादगी, व्यवहार में आत्मीयता और बेहद संवेदनशील हृदय वाले नंद किशोर यादव का पुश्तैनी घर गोलकपुर (महेन्द्रू) में था जहाँ आज पटना लॉ कॉलेज का छात्रावास बना हुआ है. छात्रावास बनने के कारण सरकार ने उनका घर-जमीन अधिग्रहण कर लिया. इसके बाद नंद किशोर के दादाजी चांई टोला (महेन्द्रू) में बस गए.
नंद किशोर यादव के पिता स्व० पन्ना लाल यादव के जन्म के मात्र 27 दिन के भीतर ही उनकी माताजी (नंद किशोर यादव की दादी) का देहान्त हो गया. इस कारण नंद किशोर के पिता का लालन-पालन खाजेकलां स्थित ननिहाल में हुआ था.
नंद किशोर के पिता ने पुराने पटना शहर के खाजेकलां इलाका में उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया था. यहीं नंद किशोर यादव का जन्म हुआ. खाजेकलां इलाके में ही नंद किशोर का बचपन गुजरा.
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1969 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद नंद किशोर यादव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए. नंदकिशोर यादव के अनुसार, एक बार उनका एक मित्र कुमार दिनेश जो आरएसएस का सदस्य था, ने उन्हें एक गीत सुनाया था. गीत सुनने के बाद नंदकिशोर के दिल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में और जानने की उत्सुकता बढ़ गई. फिर वे आरएसएस से इतने प्रभावित हुए कि वह आरएसएस से जुड़ गए.
वह आरएसएस के एक समर्पित स्वयंसेवक रहे हैं. उन्होंने शुरू से छात्रों की समस्याओं को लेकर लगातार संघर्ष किया. इस कारण छात्र राजनीति में उनकी पहचान गहराती गई और उन्हें काफी लोकप्रिय बना दिया. इसके बाद वे 1971 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए.
1974 में वह स्व० जयप्रकाश नारायण के आवाहन पर अपनी स्नातक की पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन से जुड़ गए. उन्हें पटना सिटी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष बना दिया गया. जेपी के आह्वान पर ही उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अपने आपको सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन को समर्पित कर दिया.
18 फरवरी 1974 को पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की ओर से आयोजित एक अधिवेशन में छात्र आन्दोलन को वृहद रूप देने के लिए बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति का गठन किया गया. इस अधिवेशन में राज्य के विभिन्न भागों से आये छात्र नेता शामिल हुए. इसी छात्र आन्दोलन से बिहार के कई नेताओं को पहचान मिली जिसमें नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, सुशील कुमार मोदी, रामविलास पासवान, नरेन्द्र सिंह आदि नेताओं के साथ नंद किशोर यादव भी थे. पटना सिटी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष होने के कारण नंद किशोर यादव अपने क्षेत्र में पहले से ही सक्रिय थे.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की अगुवाई वाले सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण नंदकिशोर यादव को 1974-1975 के बीच लगभग एक वर्ष तक मीसा और डीआईआर के तहत जेल में रहना पड़ा था. फिर जेल से बाहर आकर वे भूमिगत हो गए और छात्र-आन्दोलन की धार को तेज करने में जुटे रहे.
1978 में नंद किशोर यादव की राजनीतिक यात्रा शुरू हुई जब वे पटना नगर निगम के पार्षद बने. उसके बाद नंद किशोर यादव ने जनता युवा मोर्चा के पटना जिला अध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाली. 1982 में पटना नगर निगम के उप महापौर बने. उन्हें 1983 में भारतीय जनता पार्टी का पटना महानगर का अध्यक्ष बनाया गया. फिर 1998 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेवारी मिली. 1995 से 1998 तक वे प्रदेश भाजपा के महामंत्री थे. 1995 में नंदकिशोर यादव पहली बार पूर्वी पटना विधान सभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए. उसके बाद से वह लगातार 7वीं बार 2020 में अपने गृह क्षेत्र पूर्वी पटना (बाद में पटना साहिब) विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं.
(इनपुट-विभिन्न श्रोत)