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बढ़ती जा रही है जदयू की टीस……..

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) गजब के आत्मविश्वास से लबरेज हैं. पिछले महीने 10 अगस्त को जो कहा, इस महीने 3 सितम्बर को उसका आधार बता दिया.

पिछले 10 अगस्त को आठवीं बार सीएम की शपथ लेने के बाद सवालिया लहजे में सीएम ने एक बात कही थी – “2014 में जो आए, वह 2024 में रहेंगे? जदयू की राज्य कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन 3 सितम्बर को उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि देश का विपक्ष भाजपा को लोकसभा चुनावों में 50 सीटों पर समेंट देगा.

यह कहकर उन्होंने कांग्रेस को भी थपकी दी. जैसे कह रहे हों, “भाजपा की हालत आपसे भी बुरी कर देंगे.”

53 सांसदों वाली कांग्रेस को तकनीकी तौर पर लोकसभा में विपक्ष का दर्जा प्राप्त नही है. तब भाजपा की स्थिति क्या होगी जब, उसके सिर्फ 50 सांसद होंगे?

भाजपा से तल्खी के साथ अलग होने वाले नीतीश कुमार का प्रवाह देखने लायक है. मन की अन्तर्धारा अब प्रकट होने लगी है. भाजपा में वह इतना ही बंधा हुआ महसूस करते थे.

उन्होंने देश और बिहार को चेताया भी है. भाजपा को विश्वासघाती स्वभाव का बताते हुए सावधानी बरतने के लिए कहा है कि भाजपा सामाजिक और साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ेगी.

जदयू बैठक के पहले दिन उनकी टीस भी सामने आई जब उन्होंने आरसीपी सिंह का जिक्र किया. उस बैठक में मणिपुर जदयू विधायकों के भाजपा में शामिल होने का कष्ट भी बड़ा था. विपक्षी दल के नेताओं से मिलने के लिए नीतीश कुमार 5 सितम्बर को दिल्ली में रहेंगे.

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अब जरा तस्वीर के दूसरे पहलू पर नजर डालें. बीते बुधवार 31 अगस्त को तेलंगाना के सीएम के. चन्द्रशेखर राव नीतीश के बुलावे पर बिहार आए थे. दोनों सीएम ने प्रेस वार्ता की. पर पत्रकारों की जिज्ञासा शांत नही हुई. मीडिया यह समझना चाह रही थी कि राव, नीतीश कुमार को पीएम फेस के लिए अपना समर्थन देंगे, राव ने इंकार करते हुए कहा कि समय आने पर देखा जायेगा.

इस प्रेस वार्ता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और नीतीश कुमार की जबरदस्त किरकिरी हुई. इसके अगले ही दिन जदयू कार्यालय के आगे एक बड़ी सी होर्डिंग लोगों को दिखाई पड़ी, जिसका मजमून था ‘देश मांगे नीतीशे कुमार’. उसमें के. चन्द्रशेखर राव गायब थे.

तेलंगाना में लोकसभा की 17 सीटें हैं. नीतीश कुमार ने वहां शुन्य की व्यवस्था कर ली है. दक्षिण के पांच में से एक राज्य की यह तस्वीर है. इसके अलावा अरूणाचल प्रदेश और मणिपुर में उसके विधायकों ने भाजपा ज्वाइन कर ली है. जदयू मानता है कि भाजपा ने उसके विधायकों को तोड़ लिया है.

इस आरोप में कितना दम है, इसे समझना चाहिए. मान लीजिए किसी खास काम से एक व्यक्ति सीएम नीतीश से मिलने गया. सीएम से मुलाकात हुई और उसने अपनी बात रखी. सीएम ने उसके काम के लिए इंकार नही किया पर कोई आश्वासन भी नहीं दिया. नाराज होकर निकला वह व्यक्ति बाहर यदि यह कहे कि सीएम ने उसे बुलाया और आफिस पहुंचने पर मिलने से मना कर दिया, तो इसकी सच्चाई क्या मानी जायेगी ?

भाजपा में शामिल अरूणाचल प्रदेश और मणिपुर के जदयू विधायकों को लेकर जदयू नेतृत्व का नजरिया उस झूठे व्यक्ति जैसा ही है. पर, नीतीश कुमार ने पूरे विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठाया है, इसलिए उनकी आगामी दिल्ली यात्रा महत्वपूर्ण होनी चाहिए क्योंकि इसे पूरा देश देखेगा.

(उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं)