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जदयू ने रख दी बिहार के लिए “स्पेशल स्टैटस” की मांग, बीजेपी की बढ़ी टेंशन

नई दिल्ली / पटना (The Bihar Now डेस्क)| जनता दल यूनाइटेड (Janata Dal United) ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग के प्रस्ताव के साथ अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक संपन्न की. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के नेतृत्व वाली पार्टी ने आर्थिक और विकासात्मक असमानताओं को उजागर करते हुए बिहार को विशेष दर्जा (demand for a “special category” status for Bihar) दिए जाने की लंबे समय से चली आ रही आवश्यकता पर जोर दिया.

बिहार के लिए “विशेष श्रेणी” के दर्जे की मांग नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी के लिए लगातार रही है और इस साल की शुरुआत में बिहार के सीएम के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) का हिस्सा बनने के बाद से यह मांग सामने आई है. कहा जा रहा है कि अपने सहयोगी दल की इस मांग ने बीजेपी सरकार की टेंशन बढ़ा दी है.

बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग नई नहीं है. यह बिहार के विकास पथ को तेज करने और राज्य की अनूठी चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”

जदयू ने अपने राष्ट्रीय सम्मेलन में गाडगिल फॉर्मूला के तहत बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग करते हुए केंद्रीय सहायता ब्रेकडाउन, विशेष योजना सहायता और असम और जम्मू-कश्मीर की तरह पूर्व-जीएसटी युग की तरह कर रियायतों की मांग की.

क्या है विशेष श्रेणी का दर्जा ?

विशेष श्रेणी की अवधारणा योजना आयोग (अब नीति आयोग) के उपाध्यक्ष, सामाजिक वैज्ञानिक धनंजय रामचंद्र गाडगिल (Dhananjay Ramchandra Gadgil) के दिमाग की उपज थी, जिन्होंने योजना आयोग की तीसरी पंचवर्षीय योजना तैयार की थी.

गाडगिल फॉर्मूला के अनुसार, विशेष श्रेणी का दर्जा तब दिया जाता है जब किसी राज्य में निम्नलिखित विशेषताएं हों :

  1. पहाड़ी और कठिन इलाका (Hilly and difficult terrain),
  2. कम जनसंख्या घनत्व या महत्वपूर्ण जनजातीय जनसंख्या (Low population density or significant tribal population),
  3. सीमाओं के पार रणनीतिक स्थान (Strategic location across borders),
  4. आर्थिक और ढांचागत पिछड़ापन (Economic and infrastructural backwardness),
  5. राज्य वित्त की अव्यवहार्य प्रकृति (Non-viable nature of state finances),

इसका उद्देश्य वंचित राज्यों (disadvantaged states) की मदद करना था. यह दर्जा सबसे पहले असम, नागालैंड और जम्मू-कश्मीर को दिया गया था और बाद में इसे अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड तक बढ़ा दिया गया. विशेष श्रेणी का दर्जा पाने वाला अंतिम राज्य तेलंगाना (Telangana) था. तर्क यह है कि कम संसाधन आधार वाले राज्यों की मदद की जाए जो विकास के लिए संसाधन नहीं जुटा सकते.

हालाँकि, केंद्र ने कहा था कि अब वह किसी भी राज्य की ‘विशेष श्रेणी का दर्जा’ की माँग पर विचार नहीं करेगा, क्योंकि 14वें वित्त आयोग (14th Finance Commission) ने इसे ख़त्म करने की सिफ़ारिश की है. एससीएस की शुरुआत 1969 में पहाड़ी इलाकों, रणनीतिक अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और आर्थिक और ढांचागत पिछड़ेपन वाले कुछ पिछड़े राज्यों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई थी.

इधर, प्रस्ताव में बिहार के आरक्षण कोटा की सुरक्षा की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया, जिसे हाल ही में बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है. जेडीयू ने प्रस्ताव दिया कि इस कोटा को न्यायिक जांच से बचाने के लिए संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए, जिससे इसका निर्बाध कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके.

हालिया विवादों के संबंध में, पार्टी ने NEET परीक्षा में कथित अनियमितताओं पर गहरी चिंता व्यक्त की और गहन जांच का आह्वान किया. नेता ने कहा, “ऐसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं की विश्वसनीयता बहाल करना और प्रक्रिया की निष्पक्षता में छात्रों और अभिभावकों का विश्वास कायम रखना जरूरी है.”