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इंडी गठबंधन की बैठक टली, TMC ने कहा कांग्रेस ‘जमींदारी’ मानसिकता छोड़े

नई दिल्ली / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बुधवार 6 दिसम्बर को 28 घटक दलों की इंडी एलायन्स (Indian National Development Inclusive Alliance) की होने वाली बैठक टाल दी गई है. कांग्रेस द्वारा अपनी बार्गेनिंग पावर बढ़ाने की सोच पर आयोजित यह बैठक पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद टल गई है. ऐसे में यह बात उठने लगी है कि अब इंडी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

दरअसल में देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के पहले इन राज्यों में बेहतर नतीजों की मंशा से कांग्रेस अपनी बार्गेनिंग पावर बढ़ाने की सोच रही थी. इसी कारण कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा गठबंधन की बैठक 6 तारीख को आयोजित की गई थी. लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवाने तथा मध्य प्रदेश में मिली हार के बाद कांग्रेस के लिए सियासी जमीन तंग हो गई. साथ ही, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और नीतीश कुमार ने बैठक में खुद जाने के बजाए अपनी पार्टी के किसी दूसरे नेताओं को भेजने का फैसला किया था.

माना जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करके कांग्रेस ने इंडी गठबंधन की ड्राइविंग सीट अपने नाम करने की सोची थी. पर नतीजे के बाद अब उसकी दावेदारी करने की स्थिति नहीं रह गई. इतना ही नहीं, चुनावी नतीजों के पहले विपक्षी गठबंधन INDIA के पक्ष में पहले जो सियासी माहौल बना हुआ था, वो अब फीका पड़ गया.

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने अपने तय कार्यक्रम का हवाला देकर इस बैठक में शामिल होने से मना कर दिया था. उन्होंने कहा था कि मुझे INDIA गठबंधन की बैठक के बारे में नहीं पता और न ही कोई फोन आया. बंगाल में दो दिन का कार्यक्रम पहले से तय है, जिसमें शामिल होना है.

कांग्रेस ‘जमींदारी’ मानसिकता को छोड़े

उधर, इंडिया ब्लॉक संसदीय नेताओं की स्थगित बैठक पर टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा, “हमने सुना है कि इंडिया अलायंस की निर्धारित बैठक को टाल दिया गया है. घोष ने कहा कि अगर कांग्रेस ‘जमींदारी’ की मानसिकता को छोड़ कर सीटों का ठीक से समायोजन कर ले, ममता बनर्जी जैसे वरिष्ठों के अनुभव का उपयोग कर सही भावना के साथ चुनाव लड़े, तो लोकसभा में भाजपा को हराना संभव है.”

बैठक को लेकर सपा नेता अखिलेश यादव और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी बैठक में खुद न जाने का निर्णय लिया था. इनदोनों नेताओं ने बैठक में अपनी पार्टी के नेताओं को भेजने का फैसला किया था. एक के बाद एक विभिन्न दलों द्वारा इस बैठक में भाग लेने से अपने कदम पीछे खींचने के कारण कांग्रेस को ये बैठक स्थागित करनी पड़ी. वैसे अब इंडी गठबंधन की बैठक कब होगी, यह साफ नहीं है.

क्या इंडी गठबंधन में सब कुछ ठीक है?

बिहार के सीएम नीतीश कुमार को इंडी गठबंधन का शिल्पकार माना जाता है. ऐसे में नीतीश द्वारा बैठक में खुद नहीं जाने के फैसले से यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि क्या इंडी गठबंधन में सब कुछ ठीक है ? बता दें, नीतीश अपनी जगह पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और रणजी के मंत्री संजय झा को बैठक में भेजने वाले थे.

उधर ममता बनर्जी ही नहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी खुद शिरकत करने के बजाय सपा के महासचिव राम गोपाल यादव को भेजने का फैसला किया था. ऐसे में यह बात साफ है कि इंडी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. मध्य प्रदेश चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और अखिलेश के बीच दरार पैदा हो गई थी जबकि ममता बनर्जी पहले ही लेफ्ट के साथ दोस्ती के लिए तैयार नहीं है.

विपक्षी गठबंधन INDIA की यह बैठक पिछली बार 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में हुई थी. तीन महीने के बाद 6 दिसम्बर को फिर से बैठक का आयोजन होने वाला था. लेकिन, इंडी गठबंधन के तीन प्रमुख सहयोगी दल के नेताओं द्वारा खुद बैठक में नहीं जाने के फैसले के कारण कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा और बैठक को स्थगित कर देना पड़ा.

बता दें, 31 अगस्त को मुंबई में इंडी गठबंधन की हुई तीसरी बैठक में समन्वय की विभिन्न कमिटियां बनी थीं और कुछ साझा फैसले भी हुए थे. लेकिन उन फैसलों पर अभी तक जमीनी अमल नहीं हो पाया है. साथ ही, देश के पांच राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव के कारण गठबंधन की बैठक नहीं हो रही थी. इस बात को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार अपनी नाराजगी दिखाई थी.

पांच राज्यों में हुए चुनाव को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा था. ये चुनाव इंडी गठबंधन की पहली बड़ी परीक्षा थी. इस चुनाव के नतीजों के आते ही गठबंधन में हो रहे बिखराव व टकराव सतह पर आ गए हैं. आश्चर्य की बात रही कि इन चुनावों में इंडी गठबंधन में शामिल दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोंकी.

अपने ‘घमंड’ के कारण कांग्रेस की हुई हार

इंडी गठबंधन के शिल्पकार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कहा है कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों में कांग्रेस की हार उसके ‘घमंड’ की वजह से हुई है. टीएमसी ने भी कहा है कि कांग्रेस की यह हार ‘ज़मींदारी एटीट्यूड’ की वजह से हुई है. नेशनल कॉफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी कांग्रेस को लेकर अलोचना की है. ऐसे में ममता बनर्जी से अखिलेश का किनारा करना इसी का संकेत है. ममता और अखिलेश में समन्वय भी अच्छा है. ऐसे में वह भी उनकी राह पर आगे बढ़ सकते हैं.

हार ने कांग्रेस को इंडी गठबंधन में बनाया कमजोर

पाँच राज्यों के नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी देश में सिर्फ कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश तक सिमट गई है. ऐसे में इंडी गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है. गठबंधन में शामिल सपा और टीएमसी सहित क्षेत्रीय शक्तियों को अब लग रहा है कि जब कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है, तो उसके साथ बने रहने या उसे लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें देने से कोई फायदा नहीं है. उमर अब्दुल्ला ने भी कटाक्ष किया है कि तीन माह बाद कांग्रेस को इंडिया गठबंधन की याद आई है, जब वह तीन राज्यों का चुनाव हार चुकी है.

बताते चलें, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सबसे कमजोर है और उसकी निर्भरता सपा सहित यहां के दूसरे क्षेत्रीय दलों पर है. इधर तीन हिन्दी भाषी राज्यों में हार के बाद कांग्रेस का संकट और गहरा गया है. ऐसे में तीन महीने पहले तक इंडी गठबंधन के पक्ष में दिख रहा माहौल अब बदल गया है. तीन राज्यों में मिली करारी हार के बाद इंडी गठबंधन का मनोबल फीका पड़ गया है. इस गठबंधन की कुछ पार्टियों के नेता दबी जुबान में कहने लगे हैं कि 2024 में नरेंद्र मोदी सत्ता में हैट्रिक लगाएंगे. बिहार से जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने तो यहां तक कह दिया है कि “मोदी है तो मुमकिन है”.

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