हिन्दू-मुसलमान एक हो जाएं तो लालू-नीतीश की जातिवादी राजनीति से छुटकारा सम्भव
पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| राजनीति में सक्रियता जरूरी बताई गई है. बिहार की बढ़ी हुई राजनीतिक सक्रियता कई कारणों से महत्वपूर्ण है. एक तरफ महागठबंधन की सरकार अपने वजूद और इकबाल को बनाए रखने के लिए सक्रिय है तो दूसरी तरफ सामाजिक स्तर पर भी एक राजनीतिक सक्रियता है जिसका दायरा बढ़ता जा रहा है. जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के जरिए प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) इस सक्रियता को नित नई धार दे रहे हैं.
2015 के बिहार विधान सभा चुनावों (Bihar Legislative Assembly Elections) में अपनी रणनीतिक कुशलता का परचम लहराने वाले प्रशांत किशोर का क्षोभ सामने आ जाता है क्योंकि बिहार के विकास के लिए एक योजना तैयार हुई थी जिसे सात निश्चय (Saat NIshchay) का नाम दिया गया. प्रशांत किशोर नेपथ्य में थे. इस योजना को बिहार के लिए जरूरी बताते हुए बारहा नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) अपनी पीठ भी थपथपाते रहे हैं.
पर, 4 दिसम्बर को पूर्वी चम्पारण के बनकटवा प्रखण्ड में मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कह दिया कि यदि आधे-अधूरे तौर पर भी सात निश्चय योजना को नीतीश कुमार ने लागू कर दिया होता तो बिहार की मौजूदा सूरत में काफी बदलाव आ जाता. कहने की जरूरत नहीं कि हाल ही में नीतीश कुमार ने एक सवाल का जवाब देते हुए पूछा था कि मीडिया किसकी बात कर रही है. राजनीति का a, b, c, d भी उसको (प्रशांत किशोर) आता है ?
सच्चाई भी यही है कि नीतीश कुमार के लिए रणनीति तैयार करने के क्रम में प्रशांत किशोर ने उनकी राजनीति का मर्म भी समझ लिया है. यह प्रशांत किशोर की बातों से झलकता है. 4 दिसम्बर को बनकटवा से पदयात्रा को आगे बढ़ाते हुए जब वह निमुइया पूर्व पहुंचे तब वहां मौजूद लोगों को लालू-नीतीश की राजनीति का खेल समझाया.
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वैसे यह भी एक सच्चाई है कि जातिवाद को बढ़ावा देने में लालू-नीतीश (Lalu-NItish) को कामयाबी तो मिली पर इसका कोई सांगठनिक प्रभाव नहीं बन पाया और दोनों ही दलों का कमजोर संगठन की वजह से अपनी जातिवादी राजनीति पर भरोसा ज्यादा रहता आया है. निमुइया पूर्व में प्रशांत किशोर ने सभा में मौजूद लोगों का आह्वान किया कि जातिवादी राजनीति की जगह हिन्दू और मुसलमानों को एक साथ आगे बढ़कर राजनीति करनी चाहिए. इससे दोनों की राजनीतिक हिस्सेदारी बढ़ेगी जो लालू-नीतीश की राजनीति की वजह नहीं बढ़ पाई.
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी चाहिए और लालू यादव को अपने परिवार की बेहतरी. इसको ध्यान में रखकर ही राजद का एम-वाई समीकरण बनाया गया है और नीतीश कुमार भी अपनी कुर्सी के लिहाज से ही राजनीति करते आए है. प्रशांत ने कहा कि यदि हिन्दू और मुसलमान एक साथ होकर राजनीति करने लगें तो लालू-नीतीश की राजनीति के दिन लद जायेंगे.