कितनी महत्वपूर्ण है इंडी अलायंस की चर्चा ?
पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के खिलाफ विपक्षी एकजुटता के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कांग्रेस पार्टी (Congress Party) पर बड़ा हमला बोला है. उसे विपक्षी गठबंधन से कोई मतलब नहीं है – ऐसा सार्वजनिक तौर पर नीतीश कुमार ने कहा. ऐसा कहते समय उनकी बातों में कोई कड़वाहट नहीं थी, वह तनाव में नहीं थे, बाडी लैंग्वेज का संकेत था कि लाजिकल एण्ड की बात बताते हुए वह शांत भाव में ही थे.
इंडी अलायंस (I.N.D.I.Alliance) के गठन के बाद उसपर ऐसा करारा हमला सूत्रधार की तरफ से आया है. जबकि शुरुआत में ही लालू यादव (Lalu Yadav) का एक बयान कांग्रेस के लिए सिग्नल था. अपने बयान में लालू यादव ने इंडी अलायंस (I.N.D.I.Alliance) के कंवेनर के बारे में कहा था कि एक नहीं बल्कि चार या पांच कंवेनर हो सकते हैं. उस समय नीतीश कुमार ने इसे हल्के रुप में लिया था. बंगलूरु (Bengaluru) में अलायंस की हुई दूसरी बैठक को कांग्रेस ने हाईजैक कर लिया तबतक नीतीश कुमार खामख्याली में रहे कि कंवेनर पद के लिए उनके नाम की घोषणा कर दी जायेगी, लेकिन महाराष्ट्र में हुई तीसरी बैठक में नीतीश कुमार समझ पाए कि उनका कंवेनर बनना मुमकिन नहीं है.
ऐसा कुछ नहीं हुआ जैसा नीतीश कुमार ने चाहा
इंडी अलायंस (I.N.D.I.Alliance) की तरफ से ऐसा कुछ नहीं हुआ जैसा नीतीश कुमार ने चाहा हो. जबकि कांग्रेस का घोषित स्टैण्ड था कि अलायंस में सीटों के बंटवारे पर वह पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद बात शुरु करेगी. अलायंस के घटक दलों को यह पता था कि चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जाने पर वह निर्णायक भूमिका में बातचीत करेगी. इसकी एक वजह यह भी है कि अलायंस का कोई भी घटक दल कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार नहीं करता. सूत्र बताते हैं कि घटक दलों के इस रवैये के कारण ही कांग्रेस ने सीट बंटवारे पर बातचीत टाल दी.
गौर करने की बात है कि लोकसभा के 210 सीट वाले चार बडे़ राज्यों यूपी (80), महाराष्ट्र (48), पश्चिम बंगाल (42) और बिहार (40) में कांग्रेस पार्टी की स्थिति तीसरे या चौथे दर्जे की है. इन राज्यों में क्षेत्रीय दलों के सामने उसे घुटने टेकने पडे़ंगे. यह स्थिति कांग्रेस की बड़ी भूमिका को छोटी कर देने वाली है और यह सिर्फ चार राज्यों की बात नहीं है, देश भर में उसकी स्थिति ऐसी ही है. अपनी स्थिति को लेकर कांग्रेस कहीं भी मुगालते में नजर नहीं आती. तब बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर वह क्या करेगी ?
कांग्रेस के लिए आने वाला समय संकटपूर्ण
अपनी करतूतों से अभी तक बचती आई कांग्रेस के लिए आने वाला समय संकटपूर्ण साबित होने वाला है. सत्ता से दूर हो गई कांग्रेस का आचरण कितना आपत्तिजनक रहा है, यह उसकी प्रवृतियों से स्पष्ट होता है. इसलिए आने वाला संकट उसके लिए कितना बड़ा है, इसका अंदाजा लोकसभा के एथिक्स कमिटी (Ethics Committee of Lok Sabha) के इरादे से लगाया जा सकता है जो टीएमसी सांसद महुआ मोईत्रा (TMC MP Mahua Moitra) के ईमेल मामले को देख रही है.
राहुल गांधी का गुप्त विदेशी दौरा
मिली जानकारी के अनुसार कमिटी महुआ मोईत्रा से उनके विदेशी दौरों का व्यौरा तलब करने वाली है. इसका असर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के उन दौरों फर भी पडे़गा जो गुप्त रहे हैं और जिनमें बीते 23-24 अक्टूबर के उनका उजबेकिस्तान (Uzbekistan Tour) दौरा जुड़ा है. यह मामला देश के सांसद के विदेशी दौरे पर जाने लेकिन उसकी जानकारी संसद को न देने का है.
राहुल कर रहे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर भारत को मुस्लिम विरोधी राष्ट्र का प्रोपेगैण्डा !!
यह अत्यंत गम्भीर मामला है. राहुल के उजबेकिस्तान दौरे के बाद केरल में बम विस्फोट, मराठाओं के आन्दोलन में बडे़ पैमाने पर आगजनी, मणिपुर में हिंसा की घटनाओं को प्रायोजित बताया जा रहा है. दरअसल, सामंथा पावर (Samantha Power) नामक अमेरिकी महिला के निर्देश पर राहुल का उजबेकिस्तान दौरा हुआ था. यह महिला लीबिया, सीरिया जैसे देशों में तख्तापलट की मास्टरमाइंड रही है. राहुल गांधी की इस मुलाकात को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर भारत को मुस्लिम विरोधी राष्ट्र के रूप मे प्रोपेगैण्डा चलाने और राष्ट्रीय स्तर पर देश में अशांति फैलाने की साजिश के रूप में देखा जा रहा है. राहुल का यह दौरा गुप्त था, संसद को इसकी जानकारी नहीं थी.
कुल मिलाकर देखा जाय तो देश में कांग्रेस पार्टी की भूमिका और आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इंडी अलायंस (I.N.D.I.Alliance) के प्रति उसका रवैया सवालों के घेरे में है. ऐसे में नीतीश कुमार का उसपर हमला एक ताजातरीन तस्वीर पेश करता है. बिहार में नीतीश कुमार की स्थिति जितनी नाजुक हो, लालू की तरह वह दागी नहीं हैं. इसलिए सूत्रधार के हमले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी देखने लायक होगी.