लालू की जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई जनवरी 2024 तक टली
नई दिल्ली / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| मंगलवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (RJD President Lalu Prasad) के लिए बहुत राहत देने वाली खबर आई जब सुप्रीम कोर्ट (The Supreme Court of India) ने करोड़ों रुपये के चारा घोटाले (fodder scam) के सिलसिले में लालू को दी गई जमानत रद्द करने की मांग करने वाली सीबीआई (CBI) की याचिका पर सुनवाई टाल दी.
न्यायमूर्ति ए.एस. की पीठ बोपन्ना (Justice A.S. Bopanna) और एम.एम. सुंदरेश (Justice M.M. Sundresh) ने याचिका पर जनवरी 2024 के अंतिम सप्ताह में किसी गैर-विविध दिन पर सुनवाई करने का निर्णय लिया.
केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू (Additional Solicitor General S.V. Raju) ने आग्रह किया कि मामले में शामिल कानून के सवाल पर शीर्ष अदालत द्वारा निर्णय की आवश्यकता है.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर विशेष अनुमति याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) ने तर्क दिया है कि राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख को कानून की गलत धारणा पर झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दी गई थी.
लालू प्रसाद का बचाव करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Senior advocate Kapil Sibal) ने कहा कि आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha polls) को देखते हुए सीबीआई राजद नेता को वापस जेल में डालना चाहती है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने में देरी के लिए सीबीआई पर सवाल उठाए.
इस साल अगस्त में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (Chief Justice of India D.Y. Chandrachud) ने केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा लालू प्रसाद की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग के बाद मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था.
विशेष रूप से सोमवार और शुक्रवार के अलावा अन्य दिनों को सुप्रीम कोर्ट में गैर-विविध दिनों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जब विभिन्न बेंचों द्वारा नियमित सुनवाई की जाती है.
बता दें, पिछले साल अप्रैल में झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) ने डोरंडा कोषागार (Doranda treasury) से 139.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से निकासी से संबंधित पांचवें चारा घोटाले के मामले में लालू प्रसाद को जमानत दे दी थी.
विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल, 2021 और 9 अक्टूबर, 2020 को जारी जमानत आदेशों को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर पहले ही नोटिस जारी कर दिया था, जहां झारखंड उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी से दुमका कोषागार (Dumka Treasury) और चाईबासा कोषागार (Chaibasa Treasury) से धन की निकासी से संबंधित मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को जमानत दे दी थी.
गौरतलब है, विभाजन से पहले बिहार में लालू प्रसाद के मुख्यमंत्री रहते हुए पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) में करोड़ों रुपये का चारा घोटाला हुआ था. यह घोटाला 1996 में सामने आया और पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) के निर्देश पर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.
लालू प्रसाद को झारखंड के देवघर, दुमका और चाईबासा कोषागार से धोखाधड़ी से पैसे निकालने के चार चारा घोटाले के मामलों में दोषी ठहराया गया था. डोरंडा मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी और 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.