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क्या वाक आऊट कर कांग्रेस ने सेल्फ गोल कर लिया ?

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| मणिपुर की हिंसा (Manipur violence) के विरोध में केन्द्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) लाने वाला विपक्ष प्रधानमंत्री का जवाब सुने बिना ही लोकसभा से वाक आऊट कर गया.

यह ऐसे ही नहीं हुआ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के रणनीतिक कौशल से वह सदन में इस तरह से घिरता चला गया कि उसके पास वाक आऊट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

क्या कांग्रेस को वाक आऊट करना चाहिए था ? जिस रणनीति के तहत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और जिस उम्मीद से सदन के साथ-साथ पूरा देश कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) के सम्बोधन को सुनने के लिए उत्सुक था, कांग्रेस की वैसी तैयारी नहीं थी. जिसके बाद प्रधानमंत्री का जवाब सुन पाना कांग्रेस के वश का नहीं था और उसे वाक आऊट करना पडा़.

किया सेल्फ गोल

कांग्रेस के वाक आऊट कर जाने का मैसेज कितना गम्भीर है, शायद इसका अंदाजा भी कांग्रेस को नहीं है. वैसे समय में जब कांग्रेस की सारी रणनीति अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही तैयार होती है, वाक आऊट कर उसने सेल्फ गोल कर लिया.

जबकि पूरा देश और दुनिया नरेन्द्र मोदी का जवाब सुनने के लिए उत्सुक हो, प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर को ही केन्द्र में रखकर कांग्रेस बधिया उधेड़ दी. कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक-आर्थिक नीतियों का दुष्प्रभाव मणिपुर सहित पूरे नार्थ ईस्ट के लिए कितना हानिकारक रहा, यह सब सुन पाने का साहस कांग्रेस नहीं दिखा पाई और मोदी के पिच पर क्लीन बोल्ड हो गई.

सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को वैसे भी गिरना ही था, लेकिन यह विपक्ष की गैर मौजूदगी में गिरा जिससे यह भी साबित हुआ कि कांग्रेस वास्तव में कितनी गैर जिम्मेदार पार्टी है.

प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में भी सरकार की गम्भीरता का जिक्र किया. एक दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने विस्तार से मणिपुर प्रकरण की चर्चा करते हुए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी थी. लेकिन प्रधानमंत्री का जवाब सुने बिना कांग्रेस के वाक आऊट ने उसकी राजनीति का कच्चा चिट्ठा देश के सामने रख दिया.

कल यानि शुक्रवार को मानसून सत्र का अंतिम दिन है.उसके बाद शीतकालीन सत्र शुरू होने तक विपक्षी राजनीति के लिए प्रधानमंत्री ने एक लकीर खींच दी है. वैसे इसी माह विपक्ष(इंडिया) की तीसरी बैठक महाराष्ट्र में निर्धारित है जिसमें विपक्ष की कसक दिखाई पडे़ तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

मणिपुर की घटना जैसे गम्भीर और संवेदनशील मसले पर समाधान से कांग्रेस पार्टी की दूरी बनाए रखना उसकी चुनावी तैयारियों को उंगली दिखाता रहेगा.