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देश विरोधी पार्टी को आधी आबादी ने सिखाया सबक

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के एक्जिट पोल एक्जैक्ट नहीं निकले. हिन्दी पट्टी (राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़) में कांग्रेस का दमखम निकल गया. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसे अपनी सरकार गंवानी पडी़. कांग्रेस को यह परिणाम उसके भ्रष्टाचार में डूबे रहने के कारण मिला. लेकिन तेलंगाना में कांग्रेस की जीत का मनोवैज्ञानिक पक्ष हतोत्साहित करने वाला है.

उपरोक्त तीन राज्यों के अलावा एक और राज्य हिमाचल प्रदेश है जहां कांग्रेस का राजनीतिक अस्तित्व नजर आता है. लेकिन आदतन भ्रष्टाचारी यह पार्टी विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों का अध्ययन करे तो उसे आधी आबादी के वोटिंग विहेवियर से सीख मिल सकती है. राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में महिलाओं ने कांग्रेस पार्टी की सारी रणनीति को ध्वस्त कर दिया और बताया कि न तो भ्रष्टाचार मंजूर है और न ही सनातन का विरोध. आस्था के मामले में हिन्दी पट्टी के ये राज्य संवेदनशील हैं जिसे कांग्रेस ने महत्व नहीं दिया और अब स्वंय महत्वहीन हो गई.

दूसरी तरफ अनुमान से कहीं परे जाकर तेलंगाना में कांग्रेस ने जैसा प्रदर्शन किया, वह खासकर भाजपा के लिए इस रूप में समझना जरूरी है कि उसका प्रदर्शन उसके उभार को इंगित करने वाला है और आगे काम आ सकता है. फौरी तौर पर तेलंगाना में कांग्रेस की जीत पार्टी की नीति या विचारधारा की जीत नहीं मानी जा सकती. केसीआर के फ्रीबी के जवाब में कांग्रेस के फ्रीबी का ज्यादा होना ही उसकी जीत का कारण है. इसलिए फ्रीबी के आधार पर इस जीत का मनोवैज्ञानिक पक्ष हतोत्साहित करने वाला है. मतदाताओं के लिहाज से भी और शासनिक दृष्टि से भी. मुफ्त की रेवडी़ का भार जहां इकोनोमी पर पड़ता है वहीं ऐसा उपाय मतदाताओं को नैतिक रूप से कमजोर भी करता है. मतदाताओं के चरित्र को पतनोन्मुख बनाने के उद्देश्य से मुफ्त की रेवडी़ बांटने का प्रलोभन देने का निहितार्थ सत्ता प्राप्त कर लेने के बाद गैर-जिम्मेदार सरकार से भी हो जाता है.

तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद से अबतक मुख्यमंत्री रहे के. चन्द्रशेखर राव का पिछले दस वर्षों का शासन गैर जिम्मेदारी और भ्रष्टाचार का ही पर्याय रहा है. अब अपने दम पर पहली बार कांग्रेस की सरकार बनने वाली है जो खुद आदतन भ्रष्टाचारी है. राजनीतिक रूप तेलंगाना कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ और राजस्थान की क्षतिपूर्ती से ज्यादा नहीं है. बगल के कर्नाटक में भी कांग्रेस की ही सरकार है. पर वहां कांग्रेस ने जो मुफ्त की रेबड़ी देने का वादा किया तो अब स्थिति यह है कि सरकार अपने कर्मियों के वेतन का भुगतान समय पर नहीं कर पाती. विधायकों को फण्ड का टोटा पड़ गया है समय-समय पर उनका गुस्सा सामने आता है.

सनातन का विरोध, देश का विरोध, राजनीतिक रूप से अविश्वास झेल रही कांग्रेस पार्टी की तेलंगाना जीत इसलिए हतोत्साहित करता है.