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फ्लोर टेस्ट : जब नीतीश हुए पानी-पानी

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)I बिहार ने आज फिर यह साबित कर दिया की वह गणतंत्र की जननी है. पाला बदल के बाद नीतीश सरकार ने आज विधानसभा में जिस सौहार्दऔर शांतिपूर्ण माहौल में विश्वास मत हासिल किया उसने हमारे गणतंत्र की जननी होने के तथ्य पर मुहर लगाता है.

भाजपा के साथ मिलकर नीतीश जी के द्वारा नई सरकार बनाने के बाद कतिपय नेताओं के गैरजिम्मेदाराना बयान और विधायकों की बाड़ेबंदी ने माहौल को तनावपूर्ण बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही थी की विधानसभा की बैठक में अप्रत्याशित घटनाएं हो सकती हैं. लेकिन सभी विधायकों ने जिस संयम और शालीनता का परिचय दिया वह प्रशंसनीय है.

अवध बिहारी चौधरी का कद हुआ ऊंचा

शुरुआत विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने की. उनका प्रारम्भिक उदबोधन बरबस ही यह स्मरण करा गया कि वे प्रथम राष्ट्रपति ड़ॉ. राजेंद्र प्रसाद के जिले से आते हैं. बिना किसी आरोप प्रत्यारोप के उन्होंने उपाध्यक्ष महेश्वर हज़ारी को आसन सौंपा और अपने खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव में अपनी पराजय को बिना किसी कटुता के विनम्रता से स्वीकार किया. सत्ता पक्ष ने भी उनकी मर्यादा का ख्याल रखा और किसी ने सदन में कोई बयान नहीं दिया. इससे चौधरी का कद ऊंचा हुआ है और सम्मान बढ़ा है.

दिन तेजस्वी यादव का रहा

लेकिन यह कहने कोई गुरेज नहीं आज का दिन तेजस्वी यादव का रहा. जिस विनम्रता, सुर और लय में उन्होंने नीतीश कुमार पर चुन- चुन कर हमले किए उसने नीतीश को पानी -पानी कर दिया. पूरे भाषण के दौरान नीतीश जी की भाव भंगिमा देखने लायक थी. वे असहज दिखे और मुंह बिचकाते रहे. तेजस्वी के शब्दों का चयन और उदाहरण काबिले तारीफ रही. उन्होंने एक परिपक्व राजनेता जैसा भाषण दिया.

लेखक पत्रकार

भाजपा के कई विधायक भी उनके भाषण के मुरीद हुए. जब जवाब देने की बारी आई तो नीतीश के पास तेजस्वी के सवालों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं था. वे अपने ही भाषण में फंसते नजर आए. वही पुराना घिसा पीटा लालू- राबड़ी राज की आलोचना का सुर उन्होंने सुनाया.

नीतीश जी से यह पूछा जाना चाहिए कि जब राजद इतनी बुरी पार्टी है तो फिर दो-दो बार उसके साथ मिलकर सरकार क्यों बनाया ?

उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी अच्छा बोला. उन्होंने लालू राज और उनके भ्रष्टाचार की ऐसी बखिया उधेड़ी की तेजस्वी असहज दिखे. बहुत हद तक उन्होंने और विजय सिन्हा ने नीतीश पर हमले के प्रहार को कुंद किया.

तेजस्वी ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि अब कोई बच्चा भी नीतीश जी की बात पर भरोसा नहीं करेगा. लेकिन लगे हाथ उन्होंने नीतीश को फिर साथ आने का आमंत्रण भी दे डाला. यानि, उन्होंने राह खुली रखी है, भाजपा की तरह अपना दरवाजा बंद नहीं किया. शायद यह सत्ता की राजनीति की मज़बूरी है.

वैसे भी समाजवादी बार -बार टूटने हुए फिर जुड़ने के लिए जाने जाते हैं.

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से)