सुप्रीम कोर्ट अखबार नहीं देखता क्या – डॉ अजय आलोक
पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| जमानत पर छूट कर राजनीति कर रहे लालू यादव (RJD Supremo Lalu Prasad Yadav) ने एक ऐसा खुलासा किया है जिससे इंडी अलांयस (I.N.D.I. Alliance) की किरकिरी तय मानी जा रही है. एक जयंती कार्यक्रम में अपनी वाहवाही से बावले हुए लालू यादव ने खुलासा किया है रांची जेल (Ranchi Jail) में रहने के दौरान सोनिया गांधी (Congress Leader Sonia Gandhi) से राजनीतिक बातें होती थीं.
लालू का यह खुलासा सोनिया गांधी के लिए समस्या खड़ी कर सकता है. जमानत पर बाहर आकर लालू ने जिस तरह जेल के अंदर अपने क्रियाकलापों की जानकारी दी, वह न्यायालय की गरिमा को चोट पहुंचाने वाला भी है. सीबीआई ने लालू की जमानत को रद्द किए जाने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में डाल रखी है और इसपर अगली सुनवाई नवम्बर में है.
लालू के इस खुलासे पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी होनी ही थी. भाजपा के तेज तर्रार प्रवक्ता डॉ अजय आलोक (BJP Spokesperson Dr. Ajay Alok) ने यह जानना चाहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) अखबार नहीं देखता है क्या? उनका इशारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई मौकों पर लिए गए स्वतः संज्ञान की ओर था.
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की खामोशी लालू की जमानत पर होने वाली अगली सुनवाई में क्या रंग दिखायेगी, यह देखना दिलचस्प होगा. उल्लेखनीय है जब बैडमिंटन खेलते लालू की तस्वीर छपी और सीबीआई ने जमानत रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की तब लालू ने सुप्रीम कोर्ट से उम्र दराज होने और बीमारी का हवाला देते हुए जमानत रद्द न करने की गुहार लगाई थी.
न्यायालय के समक्ष विचाराधीन इस मामले पर कोई भी फैसला तो सुप्रीम कोर्ट ही करेगा लेकिन अपने वक्तव्य और गतिविधियों से लालू ने यह तो बताया है कि राजनीतिक रसूख के बूते एक सजायाफ्ता व्यवस्था में हस्तक्षेप कर सकता है, अन्य अपराधियों का हौसला बुलंद कर सकता और अपने समर्थकों को मनमानी करने का मैसेज दे सकता है. वैसे भी जमानत पर छूटने के बाद लालू की राजनीतिक गतिविधियां जिस तरह से बढ़ी हैं, एक सजायाफ्ता को इतनी छूट भी मिल सकती है, यह शायद भारत में ही सम्भव है. राजनीति करने वाला एक सजायाफ्ता जो चुनाव लड़ना तो दूर, मतदान तक नहीं कर सकता लेकिन देश का प्रधानमंत्री कौन होगा, वह तय कर सकता है, यह स्थिति जिस देश में हो उसे तो गजब ही कहा जा सकता है.