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नीतीश के दो खास मंत्री सहित 12 विधान पार्षदों की बढ़ेंगी मुश्किलें !

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार के राज्यपाल द्वारा मनोनीत 12 विधान पार्षदों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. इनमें बिहार सरकार के दो मंत्री अशोक चौधरी और जनक राम भी शामिल हैं. मामला दरअसल इन सभी पार्षदों के मनोनयन का है और इस संदर्भ में पटना हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.

बता दें, राज्यपाल कोटे से मनोनयन के बाद ये सभी 12 विधान पार्षद बने हैं. याचिककर्ता ने अपनी याचिका में इन सभी के मनोनयन पर ही सवाल उठा दिया है. उसके अनुसार इन सभी पार्षदों के मनोनयन में त्रुटियों का अंबार है. याचिका पर मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रख लिया.

याचिककर्ता ने कहा है कि भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार, राज्यपाल कोटे से कलाकार, वैज्ञानिक, साहित्य, सामाजिक कार्यकर्ता और सहकारिता आंदोलन से जुड़े हुए विशिष्ट लोगों का मनोनयन हो सकता है. जहां तक सामाजिक कार्यकर्ता का प्रश्न है, उसको काम का अनुभव, व्यवहारिक ज्ञान और विशिष्ट होना चाहिए. लेकिन पार्षदों के मनोनयन में इन सभी बातों को अनदेखा किया गया है.

इनका मनोनयन संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन

याचिकाकर्ता और हाईकोर्ट के सीनियर वकील बसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया कि मनोनीत किए गए सदस्यों में कोई पार्टी का अधिकारी है, तो कोई कहीं का अध्यक्ष. जिन लोगों को मनोनीत किया गया है वे ना तो साहित्य की विधा से जुड़ें हैं और ना वैज्ञानिक और ना तो कलाकार हैं. यह संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है. ऐसा फैसला सभी मापदंडो को अनदेखा करते हुए लिया गया है.

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बताते चलें, इन 12 विधान पार्षदों में नीतीश सरकार के दो मंत्री और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी हैं. नीतीश के ये दो खास मंत्री हैं भवन निर्णाण मंत्री अशोक चौधरी और खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम. इनके अलावा संजय कुमार सिंह, ललन कुमार सर्राफ, डा राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, डॉ राम वचन राय, संजय सिंह, देवेश कुमार, प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर और निवेदिता सिंह का भी राज्यपाल के कोटे से विधान पार्षद के रूप में मनोनयन किया गया है.