मोदी की घोषणा और काम दोनों में जमीन आसमान का अंतर- राजद

पटना / चंपारण (TBN रिपोर्ट) | भारत में कोरोना महामारी से बचाव के लिए घोषित किये गए लॉकडाउन के चलते धंधे रोजगार बंद हो जाने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. इसको ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को सम्बोधित करते हुए 20 लाख करोड़ रु. का ऐलान किया है इस पर सभी राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया आना शुरू हो चुकी हैं.
इसी क्रम में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश प्रवक्ता सह विधायक डॉक्टर रामानुज प्रसाद एवं राजद के प्रदेश महासचिव भाई अरुण कुमार ने संयुक्त प्रेस बयान जारी कर कहां कि नरेंद्र मोदी ने जो कल 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है वह अभी तक जितने भी सहायता दिए हैं एवं बजट में उपलब्ध प्रधानों को जोड़कर 20 लाख करोड़ बता रहे हैं जिसमें रिजर्व बैंक के द्वारा हाल ही में दिए गए पैकेज को भी उन्होंने अपने घोषणाओं में जोड़ने का काम किया है इससे उनकी नियत का पता चल रहा है.
इनकी घोषणा और काम दोनों में आसमान जमीन का अंतर होता है मोदी सिर्फ और सिर्फ जनता को आई वास करने का काम करते हैं मोदी शुरू से ही मजदूर विरोधी प्रधानमंत्री रहे हैं इसमें भी उन्होंने मजदूर को 12 घंटे काम करने का श्रम भर में कानूनों में परिवर्तन कर दिए हैं मोदी देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात कर रहे हैं हमारा देश पहले से ही आत्मनिर्भर है परंतु जब से मोदी सत्ता में बैठे हैं तब से सरकार आत्मनिर्भर नहीं रहे मोदी पहले सरकार को आप निर्भर बनाएं उसके बाद ही देश आत्मनिर्भर हो पाएगा.
सरकार के सबसे बड़े विभाग रेलवे जो कि लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में फायदा कर रहा था मोदी के शासनकाल में घाटे में चला गया और उसे प्राइवेट सेक्टर को सौपने में लगे हैं मोदी के सरकार में एयर इंडिया इंडियन वाइल बीएसएनएल समेत कई सरकारी कंपनियां को सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में बेच देने का काम किया हो वैसे स्थिति में देश आत्मनिर्भर कैसे बनेगा.
आपके शासनकाल में बड़े-बड़े उद्योगपति पूंजीपति बैंकों का लाखों करोड़ों रुपया चूना लगाकर विदेश भाग जाने का काम किया हो और आपके द्वारा भागे हुए लोगों का 68 हजार करोड़ का कर्ज माफ कर देते हैं ऐसा लगता है की यह भी 20 लाख करोड़ के पैकेज में जोड़ दिया गया.
वित्त मंत्री ने आज दो प्रेस कॉन्फ्रेंस में बातें रखी उसे लग रहा है की जो भी बजट में 13 लाख करोड़ का प्रावधान रखा था जिसमें कृषि बीमा योजना आयुष्मान योजना अन्नपूर्णा योजना उज्जवला योजना दिव्यांग एवं बुजुर्गों का पेंशन सभी को 20 लाख करोड़ में शामिल कर लिया गया.
जिस प्रकार भारत की अर्थव्यवस्था को दर्शाने का जो प्रयास किया गया है वह गलत है भारत की अर्थव्यवस्था अभी पटरी से उतर गई और जीडीपी 0% पर पहुंच गई है कहीं कोई उत्पादन नहीं हो रहा है कुल मिलाकर कहा जाए तो कुछ चीजों को छोड़कर अधिकांश पुराने योजनाओं में ही नए लेबल लगाकर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है.