फ्लोर टेस्ट से पहले कहीं RJD में ही तो ‘खेला’ नहीं हो गया !
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| मंगलवार 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार का फ्लोर टेस्ट है. कहा तो ये जा रहा है कि उस दिन महागठबंधन कोई ‘खेला’ करेगा और नीतीश की सरकार गिर जाएगी. लेकिन इधर बड़ी खबर यह है कि फ्लोर टेस्ट के दो दिन पहले ही आरजेडी के 12 एमएलए गायब हैं.
बताया जा रहा है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की रडार से बाहर इन सभी एमएलए की खोज-खबर ली जा रही है. सबों का फोन मिलाया जा रहा है लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा है. यहां तक की उन सबके नजदीकियों के पास ‘विशेष दूत’ भेजकर यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि वे कहां हैं और हमेशा संपर्क में रहने से कन्नी क्यों काट रहे हैं.
राजद से इन एमएलए का मोहभंग
अभी तक की सूचना के अनुसार, लगभग एक दर्जन विधायकों से लालू का संपर्क नहीं हो पा रहा है. जो विधायक संपर्क में भी हैं, उनके बारे में भी संशय कम नहीं हो पा रहा है. लालू की पहुंच से दूर रहने वाले विधायक माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण से अलग हैं.
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इधर, राजद पहले से ही यह मानकर चल रहा कि उसके दो विधायक आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद और मोकामा की नीलम देवी ने अपना खेमा बदल लिया है. दोनों का राजद से मोहभंग हो चुका है. किंतु ताजा परेशानी लगभग दस अन्य विधायकों के कन्नी काटने से जुड़ी है.
हो सकता है बड़ा खेला
सूत्रों का दावा है कि राजद के एक पूर्व मंत्री के आवास पर तीन-चार दिन पहले गुप्त बैठक हुई थी, जिसमें राजद में रहकर क्या खोया और क्या पाया के आधार पर आत्म-विश्लेषण किया गया था. इस बैठक का निष्कर्ष अन्य विकल्पों पर विचार करने का भी था.
सूत्र का यह भी दावा है कि राजद के विपरीत दिशा में चलने का रास्ता यहीं से निकला. तेजस्वी यादव स्पीकर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के लिए शक्ति परीक्षण के दिन जिस ‘खेला’ होने की बात कर रहे हैं, बहुत संभव है कि वह स्वयं ही उससे प्रभावित हो जाएं और जरूरत के वक्त उनके कुछ विधायक सदन में अनुपस्थित रहें.
कांग्रेस विधायकों के टूटने का डर
राजद-कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के साथ बनी बिहार की नई सरकार की विधानसभा में 12 फरवरी को परीक्षा है. इसी दिन विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी, जिससे साफ हो जाएगा कि किसके पक्ष में कितने विधायक हैं.
अबतक कांग्रेस विधायकों के सबसे ज्यादा टूटने का डर था. यही कारण है कि 19 में से उसके 16 विधायकों को करीब हफ्ते भर से बिहार से बाहर हैदराबाद के रिसार्ट में रखा गया है, जहां कांग्रेस की सरकार है. भाजपा-जदयू की तरफ से भी एहतियात बरता जा रहा है. विधायकों पर नजर रखी जा रही है.
अनहोनी पर भरपाई की व्यवस्था
दरअसल कुछ दिन पहले राजद नेता तेजस्वी यादव के दिए गए उस बयान का मतलब निकाला जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि खेल अभी खत्म नहीं हुआ है. तेजस्वी का संकेत सदन में नीतीश कुमार की नई सरकार को बहुमत साबित करने के लिए आवश्यक संख्या से है. बिहार में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 122 विधायक चाहिए. सत्ता पक्ष के पास अभी 128 विधायक हैं.
अनुपस्थित रहकर सत्ता पक्ष को मदद
चार विधायकों वाली पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को विश्वसनीय नहीं माना जा रहा है. पार्टी प्रमुख जीतनराम मांझी ने पहले ही यह बताकर सत्तापक्ष को सशंकित कर दिया है कि लालू प्रसाद की तरफ से उन्हें सीएम पद का ऑफर दिया गया था. यदि उन्होंने निष्ठा बदल ली और सत्ता पक्ष में कोई ‘अनहोनी’ हो गई तो भरपाई के लिए राजद के असंतुष्ट विधायकों का सहारा चाहिए. ऐसे में राजद के कुछ विधायक अनुपस्थित रहकर सत्ता पक्ष को मदद पहुंचा सकते हैं.
(इनपुट-मीडिया)