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जब जाति देखकर मंत्री बनते है तो मुस्लिम उप-मुख्यमंत्री क्यों नहीं – अख्तरुल ईमान

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बनी है और सत्ता के गलियारों में एक नई बयार बह रही है. इस नई बयार के बीच ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) की तरफ से यह मांग उठी है कि राज्य में एक और उप-मुख्यमंत्री बनाया जाए जो मुस्लिम समाज का हो.

मंत्रिमंडल के विस्तार होने के पहले ही एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने ऐसी मांग उठाई है जिससे बिहार के सियासी हलकों में थोड़ी हलचल तेज हो गई है. ईमान ने मांग की है कि अल्पसंख्यकों के वोट प्रतिशत को ध्यान में रखते हुए एक और उप-मुख्यमंत्री बनाया (Demand for Muslim Deputy CM arose in Bihar) जाए जो मुस्लिम समुदाय से हो.

ईमान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब जाति देखकर सरकार में मंत्री बनाया जाता है तो अल्पसंख्यक से उप-मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया जाता है जबकि इसकी आबादी अकेले बिहार में सबसे ज्यादा है.

उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज की बात हर राजनीतिक दल करता है, लेकिन जब प्रतिनिधित्व देने की बात आती है तो वे कन्नी काटने लगते हैं. ईमान ने कहा कि महागठबंधन की नई सरकार में वोट प्रतिशत के हिसाब से इस बार सबसे ज्यादा मुस्लिम समाज ने वोट दिया है. ऐसे स्थिति में मुस्लिम समाज से किसी को उप-मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए.

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एआईएमआईएम विधायक ने कहा कि देश के दूसरे राज्यों में भी ऐसा हो रहा है. जब एक से अधिक उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं तो बिहार में क्यों नहीं बन सकते और मुस्लिम समुदाय से उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं हो सकते.

इधर, एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की मांग पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि किसकी क्या मांग है, इस पर मुझे कुछ नहीं कहना है. उन्होंने कहा कि यह पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा कि अल्पसंख्यक से उप-मुख्यमंत्री बनेगा या नहीं. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए जितना काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है उतना किसी ने नहीं किया है.

बताते चलें, वर्तमान महागठबंधन में सात दल शामिल हैं – जद (यू), राजद, कांग्रेस, सीपीआई (एमएल), सीपीआई, सीपीआई (एम), और एचएएम – जिनके पास बिहार विधानसभा के कुल 243 सीटों में से 164 सीटें हैं. 24 अगस्त को जदयू-राजद के नेतृत्व वाली सरकार विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेगी.