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कांग्रेस पार्टी में गहरा असंतोष, कई दिग्गज भाजपा के सम्पर्क में

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| किसी भी कीमत पर नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) को सत्ता से बाहर करने पर आमादा कांग्रेस पार्टी (Congress Party) , I.N.D.I. गठबंधन की सीट शेयरिंग की मांग को टाल रही है. I.N.D.I. गठबंधन बार-बार एक ही बात दुहराता है कि कांग्रेस बड़ा दिल दिखाए. यानि वह कम-से-कम सीटों पर चुनाव लडे़. कांग्रेस हाईकमान (Congress High Command) इसके लिए तैयार भी है. फिर भी सीट शेयरिंग के मसले को वह टाल रही है क्योंकि ऐसा करने पर ढ़ेर सारे अभ्यर्थियों को टिकट से वंचित होना पडे़गा. इस बात से पार्टी में गहरा असंतोष भी पांव पसार रहा है. यह बड़ी वजह है कि सीट शेयरिंग का मसला कांग्रेस हाईकमान टाल रहा है.

2024 का लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) कांग्रेस के लिए कैसी-कैसी स्थितियां पैदा करता जा रहा है, उसके कारण भी उतने ही स्पष्ट हैं. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की मर्जी को सबकुछ मानकर अपना कैरियर चौपट करने में कई राज्य के नेताओं को परहेज है. कांग्रेस हाईकमान को इसकी भनक लग गई है. और यही वजह है कि सीट शेयरिंग पर होने वाली बातचीत को काग्रेस अभी टाल रही है. दिल्ली, पंजाब, यूपी, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक सहित दक्षिण भारत से मिल रही जानकारियां कांग्रेस को सन्न करने वाली हैं. विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया कांग्रेस से बड़ा दिल दिखाने की बात कर रहा है और अपनी स्थिति से समझौता कर कांग्रेस हाई कमान ऐसा करने की सोचता भी है तब उसकी पार्टी इसके लिए तैयार नहीं है.

भाजपा के संपर्क में

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी (Delhi Pradesh Congress Committee) ने अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से समझौता न करने की बार-बार अपील की, पर उस अपील की कोई सुनवाई नहीं हुई. 2019 के चुनावों में दिल्ली (Delhi) की सभी 7 सीटें भाजपा (BJP) की झोली में गयी थीं और पांच सीटों पर कांग्रेस दूसरे नम्बर पर थी. पर, इसपर गौर नहीं किया जा रहा है और इससे दिल्ली कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के दो पूर्व अध्यक्ष और दो पूर्व मंत्री भाजपा के सम्पर्क में हैं.

यही हाल पंजाब (Punjab) का है. पंजाब कांग्रेस कमिटी सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. लेकिन हाईकमान की तरफ से कोई संकेत नहीं मिल रहा है. इससे वहां पार्टी कैडर में असंतोष है. कांग्रेसी हाईकमान के ऐसे रवैये का ही परिणाम है कि पंजाब के एक पूर्व सीएम सहित तीन बडे़ कांग्रेसी भाजपा के सम्पर्क में हैं.

इसी तरह महाराष्ट्र से एक पूर्व सीएम, यूपीए काल में यहां से दो केन्द्रीय मंत्री एवं एक बडे़ कांग्रेसी नेता भाजपा के सम्पर्क में हैं. मध्य प्रदेश से कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे एक वरिष्ठ कांग्रेसी सहित तीन, कर्नाटक से चार, यूपी से दो, पश्चिम बंगाल से जाना-पहचाना चेहरा और तमिलनाडू से भी चार कांग्रेसी अपने राजनीतिक कैरियर को लेकर आश्वस्त नहीं हैं और भाजपा के सम्पर्क में हैं. इन 26 कांग्रेसियों में से पांच को भाजपा ने उनपर विचार करने से ही मना कर दिया है. पूर्व में हिन्दू विरोधी बयानों से ये पांचो चर्चा का केन्द्रबिन्दू बने हुए थे.

कांग्रेस की छवि में गिरावट

पिछले दो लोकसभा चुनावों में हार और राष्ट्रीय स्तर पर संगठनात्मक कमजोरी ही कांग्रेस के लिए काफी नहीं है, बची-खुची कसर उसकी छवि ने पूरी कर दी है. राष्ट्र विरोधी, हिन्दू विरोधी, सनातन विरोधी रवैये से कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में जहां उसकी सरकारें हैं, वहां भी उसकी छवि में गिरावट आई है और इसका खामियाजा उसे लोकसभा चुनावों में उठाना पड़ सकता है. कांग्रेस पार्टी सीट शेयरिंग का मसला राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनावों तक टालना चाहती है. इन पांच राज्यों के चुनाव परिणाम उसके पक्ष में कैसे रहते हैं, इसके आधार पर वह लोकसभा चुनाव की रणनीति तय करना चाहती है. पर, इसी बीच खबर यह भी है कि पार्टी स्तर पर असंतोष भी गहराता जा रहा है.