देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू, केंद्र ने किया अधिसूचित
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| केंद्र ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) को लागू करने के लिए नियमों की अधिसूचना की घोषणा कर दी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने यह लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections 2024) कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले की है. गौरतलब है, देश में आम चुनावों की घोषणा जल्द होने वाली है.
बता दें, सीएए (CAA) दिसंबर 2019 में पारित हुआ था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए. इसलिए नियम अधिसूचित नहीं होने के कारण अब तक कानून लागू नहीं हो सका था.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है.
अमित शाह ने एक्स (X) पर एक पोस्ट में कहा, “केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित कर दिया है. ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर सताए गए अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे. इस अधिसूचना के साथ पीएम मोदी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है.”
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कई मौकों पर कहा था कि सीएए नियमों को अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित कर दिया जाएगा.
पिछले साल 27 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था कि सीएए के कार्यान्वयन को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह देश का कानून है. उन्होंने इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जनता को गुमराह करने का भी आरोप लगाया था. कोलकाता में एक पार्टी बैठक में बोलते हुए शाह ने पहले इस बात पर जोर दिया कि भाजपा सीएए को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सीएए का विरोध कर रही है.
अत्यधिक विवादित सीएए को लागू करने का आश्वासन पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी एजेंडा था.
सीएए लागू होने का क्या मतलब है?
सीएए नियम जारी होने के साथ मोदी सरकार अब तीन देशों के सताए हुए गैर-मुस्लिम प्रवासियों – हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई – को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना शुरू कर देगी.
2019 सीएए ने 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया, जिसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता की अनुमति दी गई, जो दिसंबर 2014 से पहले “धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर” के कारण पड़ोसी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भाग गए थे.”
मुसलमान शामिल नहीं
हालाँकि, अधिनियम में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. सीएए 2019 संशोधन के तहत, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में प्रवेश करने वाले और अपने मूल देश में “धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर” का सामना करने वाले प्रवासियों को नए कानून द्वारा नागरिकता के लिए पात्र बनाया गया था. इस प्रकार के प्रवासियों को छह वर्षों में फास्ट ट्रैक भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी.
संशोधन ने इन प्रवासियों के देशीयकरण के लिए निवास की आवश्यकता को ग्यारह वर्ष से घटाकर पांच वर्ष कर दिया.
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
सीएए लागू होने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करता है तो वह इसका विरोध करेंगी.
कोलकाता स्थित राज्य सचिवालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “मैं यह स्पष्ट कर दूं कि लोगों के साथ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज का हम विरोध करेंगे.”
इधर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने का समय स्पष्ट रूप से आगामी लोकसभा चुनावों में ध्रुवीकरण करने के लिए बनाया गया है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार विस्तार मांगने के बाद चुनाव से ठीक पहले का समय स्पष्ट रूप से चुनावों का ध्रुवीकरण करने के लिए बनाया गया है, खासकर पश्चिम बंगाल और असम में.”
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिजनेस की तरह और समयबद्ध तरीके से काम करती है. सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया समय प्रधानमंत्री के सफेद झूठ का एक और प्रदर्शन है.”
उधर, AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता था. ओवैसी ने सोशल मीडिया एक्स (X) पर लिखा, “आप क्रोनोलॉजी समझिए, पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे. सीएए पर हमारी आपत्तियां जस की तस हैं. सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता था.”
ओवैसी ने कहा, “सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है. एनपीआर-एनआरसी के साथ, सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को लक्षित करना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है.”
उन्होंने कहा कि सीएए एनपीआर एनआरसी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे भारतीयों के पास फिर से इसका विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.