जातीय जनगणना देशहित में और समय की मांग, केंद्र करे पुर्नविचार: नीतीश
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना आज समय की जरूरत है. यह विकास का समर्थक है और नीति निर्माताओं को पिछड़ी जातियों को लक्षित करके कल्याणकारी नीतियां तैयार करने में मदद करता है.
नक्सलवाद को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के बाद सीएम नीतीश पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत के दौरान ये बात कही. नीतीश ने कहा कि जाति आधारित जनगणना एक जायज मांग है और समय की मांग है. यह विकास समर्थक है और नीति निर्माताओं को पिछड़ी जातियों पर लक्षित कल्याणकारी नीतियां तैयार करने में मदद करेगा.
उन्होंने कहा, “हमारे पास यह मानने के कई कारण हैं कि यह सही क्यों है. जाति-आधारित जनगणना के साथ, हमें लोगों के बारे में सटीक जानकारी मिलेगी. हम पिछड़े लोगों को आगे लाने पर बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होंगे. यह कहना कि 2011 में सामाजिक- आर्थिक-जाति जनगणना सही ढंग से नहीं हो पाई थी, इसका मतलब यह नहीं है कि अब जाति जनगणना नहीं होनी चाहिए. हम इस मामले को लेकर बिहार में सभी दलों के साथ बैठक करेंगे”.
उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना अगर होगा तो ठीक से होगा, हर घर से पूरी जानकारी लेंगे तो सारी बात स्पष्ट हो जाएगी. ऐसी कोई जाति नहीं जिसमें उपजाति नहीं है.
नीतीश ने कहा कि अगर जाति के आधार पर गणना नहीं होती है तो हम लोग इसे कतई सही नहीं मानते. बिहार के सारे दल के लोगों ने जातीय जनगणना की मांग किया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को बिहार विधानमंडल से सर्वसम्मति से पास किया गया है. हम तो यही आग्रह करेंगे कि फिर से निर्णय पर पुर्नविचार करें और जातीय जनगणा करायें. हमलोगों बिहार में एक बार फिर से बैठेंगे और विचार करेंगे. हर किसी को मालूम है कि हमलोगों की इच्छा क्या है?
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बता दें, संसद के मानसून सत्र में संविधान (127) विधेयक, 2021 पर बहस के दौरान कई विपक्षी सदस्यों में जाति-आधारित जनगणना की मांग को लेकर व्यापक भागीदारी देखी गई.
23 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला 10 दलों का प्रतिनिधिमंडल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक जाति आधारित जनगणना पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में एक बैठक हुई थी.
इसी तरह, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव व अन्य कई विपक्षी सदस्यों द्वारा जाति आधारित जनगणना की मांग की गई थी. इतना ही नहीं, भाजपा के कुछ सहयोगियों ने भी ऐसी ही मांग की है.
तेजस्वी ने लिखी है 33 नेताओं को चिट्ठी
इधर, केंद्र सरकार द्वारा यह स्पष्ट कर दिए जाने के बाद कि जातीय जनगणना नहीं हो पाएगी, बिहार विधानमंडल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को देशभर के 33 वरिष्ठ रजिनीतिक नेताओं को चिट्ठी लिखी है. पत्र में तेजस्वी ने केंद्र सरकार के उदासीन रवैये और सबकी साझा आशंकाओं की चर्चा की है. साथ ही, नेताओं से इस मामले में साझी रणनीति तय करने के लिए सुझाव भी मांगा है.
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अश्विनी चौबे ने कहा तेजस्वी अभी बबुआ हैं
जातीय जनगणना पर तेजस्वी यादव द्वारा 33 राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को पत्र लिखने पर केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने शनिवार को पटना में कहा कि तेजस्वी यादव अभी बबुआ हैं.
जातीय जनगणना की मांग दिखावे के लिए : रेणु देवी
राज्य की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा कि बीजेपी सामाजिक समरसता की बात करती है. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से क्या होगा? रेणु देवी के अनुसार विपक्षी दल जातीय जनगणना की बात सिर्फ दिखावे के लिए कर रहा है. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों द्वारा आपसी मतभेद कराने के लिए जाति जनगणना की बात की जा रही है.