केंद्र ने कहा जाति जनगणना नहीं होगी, अब क्या करेंगे नीतीश
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार की अधिकांश राजनीतिक दलों द्वारा इन दिनों उठाई जा रही जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे. केंद्र सरकार ने यह बात अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर जनगणना के आंकड़ों की मांग करने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर अपने हलफनामे में लिखा है.
केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर जनगणना के आंकड़ों की मांग करने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए. सरकार के अनुसार, पिछड़े वर्गों की जनगणना “प्रशासनिक रूप से कठिन” है और इससे “पूर्णता और सटीकता” दोनों का नुकसान होगा.
एक हलफनामा दायर करते हुए कहा गया है कि केंद्र सरकार ने 7 जनवरी, 2020 को एक अधिसूचना जारी की थी. इस अधिसूचना में आगामी 2021 की जनगणना में जानकारी एकत्र करने का प्रावधान है. इसमें सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित जानकारी एकत्र करने का प्रावधान शामिल है. इसमें किसी अन्य जाति के बारे में जानकारी एकत्र करने का कोई उल्लेख नहीं है.
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इस हलफनामे में केंद्र सरकार द्वारा कहा गया है कि आगामी जनगणना से किसी भी अन्य जाति के बारे में जानकारी को बाहर रखना सरकार द्वारा सजग होकर लिया गया नीतिगत फैसला (conscious policy decision) है.
इसलिए, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह आगामी 2021 की जनगणना में पिछड़े तबके के सामाजिक-आर्थिक डेटा की गणना शामिल करने का जनगणना विभाग को आदेश जारी न करे. केंद्र सरकार ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई ऐसा आदेश जारी करता है तो “यह एससी-एसटी अधिनियम की धारा 8 के तहत बनाए गए नीतिगत निर्णय में हस्तक्षेप करने के समान होगा.”
बता दें, महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दायर कर केंद्र एवं अन्य संबंधित प्राधिकरणों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित एसईसीसी 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की और कहा कि बार-बार आग्रह के बावजूद उसे ये उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसी याचिका में सुनवाई के बाद 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन हफ्ते में जवाब देने को कहा था.
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इससे पहले महाराष्ट्र की विधानसभा ने इसी साल एक प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को कहा था कि वह 2011 की जनगणना के वो आंकडे जारी करे जिससे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग यानि OBC की जनसंख्या पता चल सके. बता दें कि 2011 में हुई जनगणना में गडबडी के कारण उसके कई आकंडे केंद्र सरकार ने जारी करने से इनकार कर दिया था.
यह मामला गुरुवार को न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया, जिसने इस पर सुनवाई की अगली तारीख 26 अक्टूबर को है.
बिहार के नेताओं ने पीएम से मिलकर की थी जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग
जातिगत जनगणना पर केंद्र का रूख इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. सबों ने जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी.
अब क्या करेंगे नीतीश व अन्य दल के नेता
याद दिला दें, संसद के पिछले सत्र में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया था कि वह 2021 की जनगणना को जातिगत आधार पर कराने नहीं जा रही है. इसके बाद बिहार में सबसे बडा सियासी घमासान छिड़ गया था.
आरजेडी ने जहां इस मामले पर तूफान खड़ा कर दिया वहीं नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को जातीय जनगणना के लिए पत्र लिख डाला. इतना ही नहीं, नीतीश कुमार एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने चले गये. पीएम से मिलने के बाद नीतीश का बार-बार यह कहना था कि प्रधानमंत्री ने उनकी बातें बहुत गंभीरता से सुनी है औऱ वे उचित फैसला लेंगे. उस वक्त नीतीश ने कहा था कि प्रधानमंत्री के फैसले के बाद ही वे कोई आगे का कदम उठायेंगे.
अब जब कि केंद्र की मोदी सरकार ने जातीय जनगणना पर अपना रुख साफ कर दिया है, यह देखना दिलचस्प होगा कि अब नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा. क्या नीतीश कोई निर्णायक फैसला लेंगे. सोचने की बात यह भी है कि क्या नीतीश अभी कुर्सी छोड़ने की स्थिति में हैं. यह भी सवाल उठता है कि कहीं वे फिर से कोई बीच का रास्ता तो नहीं निकलेंगे. खैर, अब तो फैसला नीतीश कुमार का होगा जो आने वाले कुछ दिनों में पता चलेगा.