चुनिंदा टीवी एंकरों का बायकाट या मीडिया को सतर्क रहने की सलाह !
पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की एक्स्क्लूसिव रिपोर्ट)| पूत के पांव पालने में पहचान लिए जाते हैं. सदियों पुरानी यह कहावत सिर्फ साकारात्मक पक्ष का संकेत देता है. यानि संतान प्रतिभावान है, विलक्षण है और बड़ा होकर परिवार, समाज और देश का नाम रौशन करेगा. पर इस कहावत का अर्थ बिल्कुल उल्टा भी तो सकता है. एकदम नकारात्मक. ऐसा हो या न हो, पर इंडिया (I.N.D.I.A.) के साथ यह पक्ष फिट बैठता है. इंडिया यानि विपक्षी दलों का महागठबंधन जो आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबा और कानूनी कार्रवाई होने से खौफजदा है.
इंडिया गठबंधन कोआर्डिनेशन कमिटी (I.N.D.I.A. Alliance Coordination Committee) की बैठक शरद पवार (Sharad Pawar) की अध्यक्षता में बुधवार को हुई जिसमें टीएमसी (TMC) और सीपीएम (CPM) को छोड़ सारे दल के कमिटी सदस्य उपस्थित थे. बैठक मे रणनीति पर विचार विमर्श हुआ और कुछ फैसले लिए गए. उन फैसलों में एक फैसला काफी महत्वपूर्ण है. मीडिया मामलों पर बनी सब कमिटी को एक खास काम के लिए अधिकृत किया गया. यह कमिटी टाप रैंकिंग टीवी चैनलों के वैसे एंकरों की शिनाख्त करेगी जिनके टीवी डिबेट्स वाले शोज में विपक्षी दल के प्रवक्ताओं से ऐसे सवाल पूछे जातें हैं जो या तो भाजपा के पक्ष वाले होते हैं या फिर उनके जवाब पर टोकाटाकी की जाती है या उन्हें अपनी पूरी बात कहने का मौका नहीं दिया जाता. मीडिया की निषपक्षता पर यह बडे़ सवाल खड़ा करता है. सब कमिटी वैसे एंकरों की शिनाख्त कर यह सुनिश्चित करेगी कि इंडिया गठबंधन के प्रवक्ता वैसे एंकरों के टीवी डिबेट शोज में न जाएं.
सब-कमिटी की सफाई
दिलचस्प है इस सिलसिले में सब कमिटी की दी गई सफाई. सब कमिटी ने कहा कि वह ऐसे शोज वाले चैनलों का नहीं बल्कि उनके एंकरों का बायकाट करती है. अब यह समझने की बात है कि वो सारे एंकर जो इंडिया महागठबंधन के निशाने पर हैं, उन्हें अपने शोज के लिए बाजाप्ता प्रबंधन से अनुमति मिलती है तब वो अपना डिबेट शो कंडक्ट करते हैं. अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई देने वाला इंडिया महागठबंधन यही चाहता है कि उससे ऐसे सवालों का जवाब न मांगा जाय और देश को उसकी जानकारी न हो जो उनकी कारस्तानी से जुडे़ हों और जिन्हें वह भाजपा के पक्ष का सवाल बताती है. ऐसा होने की स्थिति में वह बायकाट करेगी. मीडिया मामलों की इस सब कमिटी में कांग्रेस के जय राम रमेश, आप के राघव चठ्ढा और राजद के मनोज झा सदस्य हैं.
इंडिया (I.N.D.I.A.) महागठबंधन का यह फैसला देखने में अहिंसात्मक लगता है. लेकिन तब आप (AAP) और राजद (RJD) का कोई नामोनिशान नहीं था जब इमरजेंसी लगी थी और मनमुताबिक मीडिया का गला घोंटा गया था. तानाशाही देखिए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का फैसला मानने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को पद से त्याग पत्र देना पड़ता और इसलिए उस फैसले को देश के लिए गहरा संकट मानते हुए आपातकाल घोषित कर दिया गया. उस कालिख को चेहरे पर लिए घूम रही कांग्रेस का चुनिंदा डिबेट शोज के एंकरों का बायकाट करना उसकी वह मजबूरी है जिससे ज्यादा अभी कुछ और वह नहीं कर सकती. क्योंकि वह सत्ता से बाहर है. लेकिन मंशा तो साफ है. न सिर्फ संबंधित एंकर्स बल्कि उनके चैनल भी इंडिया महागठबंधन और खासकर कांग्रेस (Congress) के टारगेट पर हैं. कांग्रेस जैसी तानाशाह प्रवृति वाली पार्टी जब सत्ता में रहेगी तब मीडिया का हश्र क्या होगा, उसके बायकाट के इस फैसले से यह ध्वनित होता है.
बिलबिलाता इंडिया महागठबंधन
इससे एक बात और साफ होती है. देश पर हुकूमत करने का ख्वाब देख रहा इंडिया महागठबंधन चुनावी शिकस्त से कितना बिलबिलाया हुआ है और यह उसका स्पष्ट मत है कि मीडिया निष्पक्ष नहीं है. ऐसी तल्खी कभी भी सत्ता पक्ष ने कारवां, द क्विंट सहित वामपंथी रूझान वाले मीडिया घरानों पर नहीं दिखाई जबकि वह खुले रुप से सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ खबरें छाप कर देश में अनावश्यक सनसनी फैलाने की चेष्टा करती हैं. लेकिन उसके बाद भी पिछले 2014 से ऐसी झूठी और भ्रामक खबरों को देश की जनता नकारती रही है. साजिशें बेपर्द हो जाने के बाद इंडिया महागठबंधन विपक्ष में रहते हुए यदि चुनिंदा टीवी एंकरों का बायकाट कर सकती है तब सत्ता प्राप्त होने पर ऐसे एंकरों और चैनलों को खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. इसलिए कोई अचरज नहीं कि खुद तानाशाही के बुखार से तप रहा इंडिया महागठबंधन मोदी सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाए और अप्रिय सवाल पूछे जाने पर मीडिया को गोदी मीडिया कहकर अपनी भड़ास निकाले.
इसका कारण स्पष्ट है. मौजूदा केन्द्र सरकार की जितनी आलोचना की जाती है, सोशल मीडिया के प्लेटफार्म्स पर ऐसे पत्रकारों के You Tube चैनल्स की भरमार है जहां मोदी विरोध में लम्बे-लम्बे वीडियोज अपलोड किए जाते हैं. उनके व्यूअर्स की तादात भी अच्छी खासी लाखों में होती है. बावजूद उसके उनका ऐजेंडा काम नहीं आता और मोदी सरकार की आलोचना धरी की धरी रह जाती है. फिर भी चुनिंदा टीवी एंकरों के डिबेट शोज का बायकाट करने का फैसला फौरी तौर पर भले न सही, उसके सत्ता में आने की स्थिति में खतरनाक जरुर है. बोलने की आजादी की झंडाबरदार इंडिया महागठबंधन ने यह साफ कर दिया है कि उसका यह जुमला सिर्फ तभी तक है जबतक वह सत्ता से बाहर है. सत्ता मिलने पर यदि उसपर भी वैसे ही सवाल खडे़ किए जाएं तब मीडिया का गला घोंट देने में भी उसे देर नहीं लगेगी.
सबसे बडा़ प्रमाण तो कांग्रेस पार्टी के सबसे बडे़ नेता खुद राहुल गांधी हैं जो विदेशी धरती पर देश के खिलाफ एजेंडा चलाते हैं और विदेशी मीडिया का सहारा लेते हैं. इंडिया महागठबंधन शायद यह कहना चाहता है कि राहुल गांधी जो कर रहे हैं, न सिर्फ वह सही है बल्कि भारतीय मीडिया को उनकी देश विरोधी गतिविधियों पर कोई सवाल पूछना ही नहीं चाहिए. अन्यथा न सिर्फ उनका बायकाट होगा बल्कि उनको चिन्हित भी किया जायेगा और समय आने पर उचित कार्रवाई भी होगी. इसलिए समझदारों की राय है कि विपक्षी महागठबंधन या कांग्रेस जब भाजपा की पिच पर बैटिंग करते हैं तब अक्सर जीरो पर ही आऊट होते हैं.