I.N.D.I.A. में मचे घमासान का सबसे बुरा असर बिहार पर
पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| अगला लोकसभा चुनाव विपक्षी नेताओं की महत्वकांक्षा का गवाह बनेगा. जितनी एकजुटता का दावा विपक्ष का महागठबधंन कर रहा है, वह राज्यों के स्तर पर तार-तार हो रहा है. बिहार भी पीछे नहीं है. सबों की तरह यहां भी एक दूसरे को निबटाने की पूरी तैयारी है जिसमें बिहार का हित लालू-नीतीश की मुट्ठी (Lalu-Nitish fist) में कैद होकर रह गया है.
31 अगस्त और 1 सितम्बर को महाराष्ट्र (Maharashtra) में होने वाली विपक्ष की बैठक का मुद्दा स्पष्ट है. इतनी मजबूती का डंका बजाओ कि एनडीए (NDA) के होश उड़ जाएं. लेकिन आशंका इसके बिल्कुल उलट की है. नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को सत्ता से बाहर करने के नाम पर यह एकजुटता सीटों के बंटवारे पर बिल्कुल बिखरी हुई है. उसका नतीजा राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के खिलाफ जितना जाय, बिहार (Bihar) उसमें बुरी तरह से पिसने वाला है. बिहार की विधि-व्यवस्था (law and order of Bihar) और बुरी होगी तथा सत्ता संघर्ष में विकास कार्य ठप पड़ जायेंगे.
मोदी पीड़ितों की बैठक में घमासान
जितने भी मोदी पीडि़त चर्चित नाम हैं, महाराष्ट्र की बैठक में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित है. लेकिन इसी बीच यूपी की समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने 29 लोकसभा सीटों वाले मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में अपने 6 उम्मीदवारों को उतारने की घोषणा कर दी है. अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी (Arvind Kejriwal’s AAP Party) बिहार के सभी सीटों पर चुनाव लडे़गी. पंजाब में विपक्ष के कांग्रेसी नेता प्रताप सिंह बाजवा (Congress leader Pratap Singh Bajwa) आप का चेहरा तक नहीं देखना चहते. उनके अनुसार आप एंटी पजाब पार्टी है और दीमक की तरह चाट कर पंजाब को खोखला कर रही है. पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं और वहां आप की सरकार है.
ममता कोस रही कांग्रेस को
उधर एंटी मोदी का मुखर चेहरा बनी ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पानी पी-पीकर कांग्रेस को कोस रही हैं. कांग्रेस-सीपीएम का गठजोड़ (Congress-CPM alliance) उन्हें जरा भी नहीं सुहा रहा है. लेकिन इंडिया (I.N.D.I.A.) के एजेंडे से यह सब गायब है. इस घमासान के बीच महाराष्ट्र में होने वाली दो दिवसीय बैठक का अंजाम क्या होगा, वह देखना तो दिलचस्प होगा ही, विपक्षी दलों की घुटी हुई राजनीति कितनी कलुषित होगी, यह भी सामने आयेगा.
लालू नहीं चाहते नीतीश बने कंवेनर
बिहार भी इसकी चपेट में आने वाला है. यहां के दो धुरन्धर लालू यादव (Lalu Yadav) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अपना-अपना जौहर दिखायेंगे. लालू यादव नहीं चाहते कि नीतीश कुमार कंवेनर बनाए जाएं. इस पर सर्वानुमति नहीं बन पाने के कारण नीतीश कुमार ने इस पद को लेने से ही मना कर दिया है. इसका असर बिहार की राजनीति और शासन दोनो पर पड़ना तय है और चूंकि बिहार जैसा सत्ता संघर्ष अन्य किसी भी विपक्षी राज्य में नहीं है, इसलिए बिहार की और दुर्गति ही होने वाली है.