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घटना आपराधिक, पर सीएम स्तर से हो गई सियासत

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेगुसराय फायरिंग (Begusarai Firing) की घटना को ‘जानबूझकर किया गया’ बता रहे हैं तो सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाकपा (माले) ने साफ तौर पर कहा कि यह साजिश भाजपा की हो सकती है. जबकि आमतौर पर हिंसक वारदातों में राजद की भूमिका की आशंका ही सामने आती रही है जिसका ताजा उदाहरण अग्निवीर योजना को लेकर हुई हिंसा की घटना है.

आने वाले समय में सूबे की राजनीति के संकेत इसमें छिपे हैं. क्योंकि न सिर्फ सरेआम फायरिंग की ऐसी घटना बिहार में पहली है बल्कि पहली बार मुख्यमंत्री ने पिछड़ों और मुसलमानों को टारगेट कर इसकी राजनीतिक दिशा भी तय कर दी है.

इस घटना से उनके सुशासन के इकबाल पर जो सवाल खड़ा हुआ है, उसका कोई भाव उनके चेहरे पर दिखाई नहीं पड़ा जब बुधवार को वह मीडिया से बात कर रहे थे. जबकि अपराधियों ने 30 किलोमीटर लम्बे रेंज को कवर किया और इस बड़े रेंज में एनएच तथा एसएच के दोनों तरफ पिछड़े और मुसलमानों की उतनी बड़ी बस्ती नहीं है. साफ है कि सीएम ने राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है. इसकी जांच तो बिहार पुलिस ही करेगी.

यह कुछ वैसा ही है जैसे 2008 के 26/11 के मुम्बई आतंकी हमले की गम्भीरता को नष्ट कर देने के लिए सत्तारुढ़ कांग्रेस ने आरएसएस के खिलाफ भगवा आतंकवाद की साजिश रही थी. लेकिन अपनी जान पर खेलकर तुकाराम ने अजमल कसाब को जिन्दा पकड़ लिया और कांग्रेस की साजिश धरी की धरी रह गई.

राजनीति देखिए, जिस तरह से ईडी, सीबीआई और आईटी के मनमाना इस्तेमाल का आरोप नरेन्द्र मोदी पर विपक्ष तब लगाता है, जब इन एजेंसियों की रेड में भ्रष्टाचारी नेता ही सामने आते हैं. तब खम ठोककर नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बाहर कर देने की घोषणा करने वाले नीतीश कुमार इस अवसर को चूक जाएं, ऐसा कौन विश्वास करेगा. यह इसलिए भी क्योंकि यहां मामला उलट है.

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सीएम की इस बात में दम है कि यह घटना जानबूझकर किया गया हमला है. अब भाजपा क्या कर सकती है, जब सरकार महागठबंधन की और पुलिस भी उसी की. तब यह देखना होगा कि वह विपक्ष का रोना रोती है या अपने जनाधार के सहारे अपराधियों की जानकारी उपलब्ध कराती है. सरकार उस घटना को अपने इकबाल से जोडे़गी, ऐसा लगता नहीं है क्योंकि पिछड़े और मुसलमान कहकर उसने अपना मैसेज दे दिया है. पुलिस की जांच किस दिशा में बढ़ती हुई सामने आती है, उससे सियासत भी तय होगी.

(उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं)