आगामी लोकसभा चुनाव में ललन सिंह के सामने हो सकती है बाहुबली की नवविवाहिता पत्नी !
मुंगेर / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुंगेर से सांसद राजीव रंजन (ललन) सिंह के विरुद्ध आगामी लोक सभा चुनाव में एक नवविवाहिता के मैदान में खड़ा होने की उम्मीद है. यह नवविवाहिता और कोई नहीं बल्कि नवादा के बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं.
जी हाँ, हाल ही में जेल से छूटकर बाहर आए 62 वर्षीय बाहुबली अशोक महतो ने कल यानि मंगलवार 19 मार्च को विशेष परिस्थिति में ‘खरमास’ में 46 वर्षीय अनीता कुमारी से शादी कर ली. लोगों ने बताया कि उनके इस उम्र में शादी करने के पीछे बड़ा राज है.
दरअसल कुछ दिनों पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने अशोक महतो को मिलने के लिए बुलाया था. लालू ने अशोक से कहा कि तुम चुनाव लड़ो. इससे अशोक महतो के दिल में चुनाव लड़ने की उम्मीद जग गई. साथ ही उन्हें यह डर भी हो गया कि यदि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिया नामांकन किया तो लोग उनकी आपराधिक इतिहास या अन्य कोई कहानी बनाकर उनका नामांकन रद्द करवा सकते हैं.
खेला सेफ गेम
इसके बाद अशोक ने सोचा कि आरजेडी के संभावित उम्मीदवार के रूप में वो खुद खड़ा न होकर अपनी पत्नी का नामांकन करवाए. लेकिन वे शादीशुदा तो थे नहीं. फिर शुरू हुई उनके लिए योग्य लड़की की खोज. 62 वर्षीय अशोक महतो को शादी के लिए पहले तो कन्या नहीं मिल रही थी. बहुत खोजबीन के बाद लखीसराय जिले की एक लड़की का नाम सामने आया. फिर क्या था, चट मंगनी, पट विवाह. अशोक महतो ने दो दिनों के अंदर उससे शादी कर ली.
शादी के लिए अशोक महतो करीब 50 गाड़ियों के साथ देर रात मुंगेर की ओर से बख्तियारपुर पहुंचे. फिर करौटा के जगदंबा स्थान में हिंदू रीति रिवाज से शादी हो गई.
नौकरीशुदा है अशोक की पत्नी
46 वर्षीय अनीता कुमारी मुंगेर लखीसराय जिले के सीमा पर स्थित सूर्यगढा प्रखंड के बंशीपुर गांव के रहने वाले पीडब्ल्यूडी के अवकाश प्राप्त इंजीनियर हरि प्रसाद मेहता की बेटी हैं. उन्होंने लॉ की पढ़ाई की है और दिल्ली में रहती हैं. इतना ही नहीं, अनीता दिल्ली में ही किसी बड़ी कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी भी करती है.
अब मंगलवार को शादी करने के बाद अशोक महतो बुधवार को लालू यादव से मिलने अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ पटना पहुंच गए. इसके बाद से ही सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है कि अशोक महतो की पत्नी अनीता कुमारी आरजेडी के टिकट पर मुंगेर से वर्तमान जदयू सांसद ललन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं.
आरजेडी का इनकार
इससे पहले, अशोक महतो मुंगेर में रोड शो करते हुए लोगों को बता रहे थे कि राजद ने उन्हें टिकट देने का वादा किया है. लेकिन पार्टी इस दावे से इनकार करते हुए कहा था कि हमें इसकी जानकारी नहीं है. राजद के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने मंगलवार को कहा, ‘हम नहीं जानते कि अशोक महतो को इस तरह के अभियान शुरू करने के लिए किसने अधिकृत किया क्योंकि ग्रैंड अलायंस में सीट-बंटवारे के समझौते को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.
शनिवार को अशोक महतो ने 30-40 वाहनों के साथ मुंगेर में एक रोड शो किया था जिसमें उन्होंने गले में हरे रंग की पट्टी पहनी हुई थी, जिस पर राजद का लालटेन चिन्ह उभरा हुआ था.
अशोक अकेले ऐसे नेता नहीं
चुनाव के लिए इस तरह शादी करने वाले अशोक महतो ही अकेले नहीं हैं. उनसे पहले एक और मजबूत नेता, अजय सिंह ने अशुभ पितृपक्ष अवधि के दौरान शादी की थी. दरअसल, दरौंदा की विधायक जगमातो देवी का 2011 में निधन होने के बाद उनके बेटे अजय सिंह जदयू से विधायक बनना चाहते थे. लेकिन सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू ने उनके आपराधिक इतिहास के कारण उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था.
फिर अशोक महतो की तरह, अजय सिंह को अपनी पत्नी को अपनी मां की सीट से मैदान में उतारने की सलाह दी गई थी. लेकिन समस्या यह थी कि वह तब कुंवारे थे. स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किए गए और कम से कम 16 महिलाओं ने विज्ञापन पर अपनी प्रतिक्रिया दी. फिर अजय सिंह ने अंततः कविता सिंह से शादी की, जिन्होंने 2011 के उपचुनाव में जद (यू) उम्मीदवार के रूप में दरौंदा सीट जीती थी. फिर 2019 में कविता सीवान से सांसद चुनी गईं.
कौन है अशोक महतो
बताते चलें, अशोक महतो पर नवादा जेल ब्रेक कांड (Nawada Jail Break case) समेत अन्य कई आपराधिक मामले हैं. 2005 में लोकसभा के सदस्य राजो सिंह की हत्या के लिए अशोक महतो के गिरोह को ही जिम्मेदार माना जाता है. इस हत्याकांड के बाद इस गिरोह के प्रमुख सदस्य अशोक महतो को गिरफ्तार कर लिया गया था परन्तु 2002 में वे नवादा जेल से भागने में कामयाब रहे. अशोक के सहयोगी पिंटू महतो ने जेल से उन्हें भगाने में विशेष भूमिका निभाई थी. इस दौरान उन्होंने तीन पुलिस अधिकारियों की हत्या भी कर दी थी.
अशोक महतो गिरोह का गुस्सा मुख्य रूप से उच्च जाति भूमिहारों के खिलाफ था और उन्हीं के खिलाफ इसने प्रतिशोध की लड़ाई भी छेड़ी थी. अशोक महतो गिरोह 1990 के दशक के अंत में बड़ी संख्या में अगड़ी जाति के लोगों की हत्याओं के लिए भी जिम्मेदार घोषित किया गया था.
अशोक महतो और विधानसभा सदस्य अरुणा देवी के पति अखिलेश सिंह के बीच आपस में जबरदस्त मनमुटाव था. इस कारण नवादा, नालंदा और शेखपुरा जिलों के 100 से अधिक गांव प्रभावित थे. 1998 से 2006 के बीच नवादा जिले में इस प्रतिद्वंद्विता एवं भूमिहारों और कोइरियों के बीच के जातिगत संघर्ष के कारण 200 से अधिक लोगों की जान जाने की घटना सामने आई थी.
मुख्य रूप से, इन दोनों ग्रुपों के बीच का संघर्ष नवादा, नालंदा और शेखपुरा जिलों में पत्थर तोड़ने और बालू उठाने की व्यवस्था पर वर्चस्व के लिए था. 2003 में अशोक महतो गिरोह ने अखिलेश सिंह की पत्नी (विधायक) अरुणा देवी, उनके पिता और छह साल के बालक के साथ पांच अन्य लोगों की कथित तौर पर हत्या कर दी थी. यह माना जाता है कि अखिलेश सिंह गिरोह द्वारा पहले कथित तौर पर मारे गए सात मजदूरों की मौत के प्रतिशोध में ये हत्याएँ की गई थी. 2000 में इस गिरोह ने एक विधायक के घर पर हमला किया था और वहाँ 11 लोगों को मार डाला था.
अशोक महतो और अखिलेश सिंह की यह प्रतिद्वंद्विता धीरे-धीरे वर्चस्व स्थापित करने के लिए बन गई और इन दोनों गिरोहों के समर्थन में जातियों का एक संघटन भी सक्रिय हो गया था. 2005 के चुनाव के दौरान अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी अपने क्षेत्र की विधान सभा के लिए लोक जनशक्ति पार्टी की उम्मीदवार बनी थी. उसी वर्ष अखिलेश सिंह ने अपने समुदाय और भूमिहारों के सम्मान की रक्षा की बात उठाई. यहीं से अशोक महतो और उनके बीच का विरोध बहुत बढ़ गया. अशोक महतो अपने क्षेत्र में बड़ी संख्या में उच्च जाति के लोगों की हत्या के लिए भी जिम्मेदार माने जाते है.
(इनपुट-न्यूज)